Bihar Vidhansabha Session: अनुपूरक बजट पर घमासान, नीतीश सरकार बनाम विपक्ष- विजेंद्र यादव का लालू यादव पर सीधा वार

 

Bihar news: 18वीं बिहार विधानसभा के पहले सत्र का आख़िरी दिन राजनीतिक गर्मी से भर गया। शुक्रवार को दोनों सदनों में ऐसा शोर-शराबा देखने को मिला कि सदन का माहौल बहस कम और आरोप–प्रत्यारोप का अखाड़ा ज़्यादा नज़र आया। अनुपूरक बजट पर चर्चा के दौरान विपक्ष ने सरकार को घेरा, तो सरकार की तरफ़ से भी तीखा जवाब देने में कोई कमी नहीं छोड़ी गई।

91 हजार करोड़ के अनुपूरक बजट पर विपक्ष का हमला

सरकार द्वारा पेश किए गए 91,000 करोड़ रुपए के अनुपूरक बजट पर विपक्ष ने सवालों की बोछार कर दी। विपक्ष का तर्क था कि इतनी बड़ी राशि की जरूरत कैसे पड़ गई? क्या राज्य में संकट तीन गुना बढ़ गया है?

वित्त मंत्री विजेंद्र यादव विपक्ष के तीखे सवालों का जवाब देने के लिए खड़े हुए और उन्होंने पलटवार में कहा- “कभी बजट बढ़ता है, कभी घटता है। यह वित्तीय व्यवस्था का हिस्सा है। आप पूछते हैं पैसा कहां से आएगा? उस समय को याद करिए जब बिहार का बंटवारा हुआ था। तब कहा जाता था कि बिहार में लालू, आलू और बालू ही बचा है — अब बिहार क्या खाएगा?”

लालू यादव पर सीधा हमला, चरित्र और ईमान पर सवाल

बहस के दौरान मंत्री विजेंद्र यादव ने अचानक हमला व्यक्तिगत पटल पर ले जाते हुए लालू प्रसाद यादव के ‘चरित्र और ईमान’ पर सवाल खड़े कर दिए। उन्होंने कहा- “काम करने के लिए अच्छे चरित्र और ईमान की ज़रूरत होती है, जो हमारे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पास है।”

विजेंद्र यादव ने आगे कहा कि कभी बिहार का बजट सिर्फ 25,000 करोड़ था, “लेकिन नीतीश कुमार के ज्ञान, विज्ञान और ईमान ने ही इस राज्य का बजट 3 लाख करोड़ से ज़्यादा किया। जिनमें ईमान और चरित्र होता है, उन्हें पैसे की कमी नहीं होती—वे व्यवस्था बनाते हैं, घोटाले नहीं।”

उनके यह बोलते ही विपक्ष भड़क उठा और सदन में जमकर नारेबाज़ी शुरू हो गई।

“और बोलिए, तो और पोल खोलेंगे”-सदन में बढ़ा तनाव

विपक्ष के शोर के बीच विजेंद्र यादव और भी आक्रामक हो गए। उन्होंने विपक्ष को चुनौती देते हुए कहा, और बोलिएगा तो और पोल खोल देंगे। उन्होंने साफ़ कहा कि ईमान का संकट नीतीश कुमार में नहीं है। कमी जहां होती है, वहीं चारा और बालू घोटाले होते हैं।”

जीएसटी और राजस्व पर सरकार का स्पष्टीकरण

बजट को लेकर उठ रही आशंकाओं पर वित्त मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि जीएसटी व्यवस्था में बिहार की अर्थव्यवस्था जितनी तेज़ी से आगे बढ़ेगी, राज्य का हिस्सा भी उतना ही बढ़ेगा। “बिहार में बिक्री बढ़ेगी तो राजस्व बढ़ेगा। सिस्टम पारदर्शी है, इसमें धन का प्रबंधन ईमान से होता है,” उन्होंने कहा।

अनुपूरक बजट पर हुई इस गर्मागर्म बहस ने सत्र के आखिरी दिन को राजनीतिक टकराव की चरम सीमा तक पहुँचा दिया। सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ही एक-दूसरे पर आरोपों की झड़ी लगाने में पीछे नहीं रहे। लेकिन एक बात साफ़ है, विधानसभा के इस घमासान ने बिहार की सियासत में आने वाले महीनों की टोन पहले ही तय कर दी है।