Bihar Politics: अशोक चौधरी की असिस्टेंट प्रोफेसर नियुक्ति पर रोक, शिक्षा मंत्री बोले-मामला आयोग के पास, जांच जारी

Bihar Politics: अशोक चौधरी की प्रोफेसर नियुक्ति पर ब्रेक! नाम के पेंच में फंसी कुर्सी, जांच के घेरे में मंत्री

 

Bihar political news: बिहार की राजनीति में एक बार फिर सियासी हलचल तेज हो गई है। शिक्षा मंत्री सुनील कुमार ने सोमवार को प्रेसवार्ता कर साफ किया कि बिहार सरकार के मंत्री अशोक चौधरी की असिस्टेंट प्रोफेसर नियुक्ति का मामला फिलहाल जांच के दायरे में है। शिक्षा मंत्री ने बताया कि इस नियुक्ति से जुड़ी फाइल को आयोग के पास भेजा गया है और विभागीय स्तर पर समीक्षा के दौरान कुछ तकनीकी कमियां सामने आई हैं, जिनकी गहन जांच की जा रही है।

शिक्षा मंत्री ने स्पष्ट कहा कि सरकार किसी भी तरह की अनियमितता को नजरअंदाज नहीं करेगी। नियम और प्रक्रिया के तहत ही अंतिम फैसला लिया जाएगा।

क्या है पूरा विवाद

दरअसल, मंत्री अशोक चौधरी को जून 2025 में राजनीति विज्ञान विषय के असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर नियुक्ति मिली थी। लेकिन नियुक्ति पत्र जारी होने से ठीक पहले नीतीश सरकार ने इस पर रोक लगा दी। इसके बाद मामला सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बन गया।

यह नियुक्ति बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग की प्रक्रिया के तहत हुई थी, जिसके लिए सितंबर 2020 में विज्ञापन निकाला गया था। लंबे समय बाद प्रक्रिया पूरी हुई और सफल उम्मीदवारों को विश्वविद्यालय आवंटित किए गए।

इंटरव्यू क्लियर, फिर भी अटका मामला

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अशोक चौधरी ने 274 अभ्यर्थियों के साथ इंटरव्यू में सफलता हासिल की थी। उन्हें पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय आवंटित किया गया, जहां कुल 18 पदों पर नियुक्ति होनी थी। अन्य सभी चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र मिल गए, लेकिन अशोक चौधरी के मामले में अंतिम वक्त पर ब्रेक लग गया।

नाम बना अड़चन की वजह

सूत्रों के मुताबिक, नियुक्ति रोकने की मुख्य वजह दस्तावेजों में नाम को लेकर सामने आया विरोधाभास है। शैक्षणिक प्रमाण पत्रों में उनका नाम ‘अशोक कुमार’ दर्ज है, जबकि चुनावी हलफनामों और राजनीतिक दस्तावेजों में नाम ‘अशोक चौधरी’ है। दस्तावेज सत्यापन के दौरान यही अंतर सवालों के घेरे में आ गया।

शिक्षा मंत्री का साफ संदेश

शिक्षा मंत्री सुनील कुमार ने कहा कि पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की जा रही है। उन्होंने दो टूक कहा कि चाहे कोई भी हो, नियमों से ऊपर नहीं है। जांच पूरी होने के बाद ही आगे की कार्रवाई पर फैसला लिया जाएगा।

अब सबकी नजरें इस बात पर टिकी हैं कि जांच के बाद अशोक चौधरी की प्रोफेसर बनने की राह साफ होती है या फिर यह मामला सियासी विवाद बनकर और लंबा खिंचता है।