जन्मदिन विशेष : 'मोदी' बस नाम ही काफी है ! 

 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 17 सितंबर को अपना 74वां जन्मदिन मनाएंगे और 75वें वर्ष में प्रवेश करेंगे। वह पहले गैर-कांग्रेसी नेता हैं, जिन्होंने लगातार 3 बार प्रधानमंत्री का पद संभाला है। उनके नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने 303 सीटों के साथ बड़ी जीत दर्ज की और 21 राज्यों में बीजेपी या उसके गठबंधन की सरकार बनाई। उनकी राजनीतिक यात्रा और लीडरशिप ने भारतीय राजनीति में एक नया अध्याय जोड़ा, जिससे उन्हें एक प्रमुख नेता के रूप में मान्यता मिली।
ऐसे में जानेंगे कि बालाकोट एयरस्ट्राइक, नोटेबंदी, लॉकडाउन और आर्टिकल 370 खत्म करने जैसे बड़े फैसले लेने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सियासी सफर के बारे में।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा:
नरेंद्र दामोदरदास मोदी का जन्म 17 सितंबर 1950 को गुजरात के वडनगर नामक छोटे से कस्बे में हुआ था। उनके पिता का नाम दामोदरदास मूलचंद मोदी और माता का नाम हीराबेन मोदी है। उनका परिवार बेहद साधारण था और नरेंद्र मोदी ने शुरुआती दिनों में अपने पिता के साथ चाय बेचने में मदद की। बचपन से ही नरेंद्र मोदी को पढ़ाई के साथ-साथ सामाजिक गतिविधियों में रुचि थी। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा वडनगर से पूरी की। हालांकि, उनके पढ़ाई के रिकॉर्ड सीमित हैं, लेकिन उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातक और गुजरात विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की।
प्रारंभिक राजनीतिक जीवन:
नरेंद्र मोदी के जीवन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उन्होंने किशोर अवस्था में ही RSS से जुड़ने का फैसला किया। RSS में रहते हुए उन्होंने संगठन की विचारधारा और संगठनात्मक कार्य सीखे। संघ के कार्यकर्ता के रूप में उन्होंने अनुशासन, सेवा, और राष्ट्रप्रेम की भावना को अपने जीवन का हिस्सा बनाया।
1975 में भारत में लगे आपातकाल के दौरान नरेंद्र मोदी ने संघ के कई कार्यकर्ताओं के साथ भूमिगत होकर सरकार विरोधी गतिविधियों में भाग लिया और विरोध प्रदर्शनों का हिस्सा बने।
भारतीय जनता पार्टी (BJP) में प्रवेश:
साल 1985 में नरेंद्र मोदी भारतीय जनता पार्टी (BJP) में शामिल हुए और उन्होंने संगठन के विभिन्न स्तरों पर काम किया। उनकी संगठनात्मक क्षमता ने उन्हें पार्टी में जल्द ही एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया। मोदी ने गुजरात में पार्टी के लिए कई सफल अभियानों का नेतृत्व किया। नरेंद्र मोदी को 1995 में गुजरात भाजपा का महासचिव (संगठन) नियुक्त किया गया। 2001 में गुजरात में केशुभाई पटेल की सरकार को भूकंप और अन्य प्रशासनिक कारणों से आलोचना झेलनी पड़ी। इसी दौरान नरेंद्र मोदी को गुजरात का मुख्यमंत्री नियुक्त किया गया।
गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में (2001-2014):
नरेंद्र मोदी ने 7 अक्टूबर 2001 को गुजरात के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। उनकी पहली बड़ी चुनौती 2002 का गुजरात दंगा था, जो गोधरा कांड के बाद शुरू हुआ। इस घटना को लेकर मोदी की भूमिका पर सवाल उठाए गए, लेकिन वे इस संकट से उबरते हुए राज्य में प्रशासनिक सुधारों पर ध्यान केंद्रित करते रहे।
नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में गुजरात ने तेजी से औद्योगिक विकास देखा। उन्होंने राज्य में बुनियादी ढांचे, बिजली आपूर्ति, और निवेश के क्षेत्र में बड़े सुधार किए। "वाइब्रेंट गुजरात" शिखर सम्मेलन के माध्यम से उन्होंने राज्य को एक निवेश केंद्र के रूप में स्थापित किया।
नरेंद्र मोदी ने 2002, 2007, और 2012 के गुजरात विधानसभा चुनावों में भाजपा को बड़ी जीत दिलाई। उनकी विकास की राजनीति और सुशासन के मॉडल ने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर एक प्रभावी नेता के रूप में उभारा।
भारत के प्रधानमंत्री के रूप में (2014-वर्तमान):
देश की कमान पीएम मोदी के हाथों में आई तो पूरे देश में एक अलग माहौल बन गया. 2014 के बाद बीजेपी अपनी विचारधारा को जमीन पर उतारने में सफल रही. जिसका असर ये हुआ कि कुछ ही सालों में देश के अधिकतर राज्यों में एनडीए और बीजेपी का कब्जा हो गया. ये वो दौर था जब देश की राजनीति ने भी करवट बदली और पहले जहां देश में अल्पसंख्यक बेस्ड पॉलिटिक्स हावी थी, वो बहुसंख्यक (हिंदू) केंद्रित सियासत में तब्दील हो गई.
इसके बाद 2019 में फिर लोकसभा चुनाव हुए. बतौर प्रधानमंत्री पीएम मोदी का यह पहला चुनाव था जबकि अमित शाह बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे. बीजेपी को मेजोरिटी बेस्ड पॉलटिक्स का फायदा मिला और वो पहले से और मजबूत होकर सत्ता में लौटी. चुनाव में बीजेपी अपने दम पर 303 सीटें जीतने में कामयाब रही. वहीं, एनडीए के खाते में 352 सीटें आईं. 2019 के चुनाव में ऐतिहासिक जीत मिलने के बाद बीजेपी पहले से और ताकतवर हुई.
जिसके बाद साल 2024 में एक बार फिर केंद्र में भाजपा की सरकार बनी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीसरी बार बतौर देश के मुखिया, भारत की बागडोर अपने हाथ में ली। 
गौरतलब है कि 18 करोड़ सदस्यों के साथ भाजपा ने कई कारनामे किए हैं। 2014 में पहली बार गैर-कांग्रेसी सरकार बनी, 2018 में 21 राज्यों में बीजेपी की सरकारें थीं, और 2019 में 303 सीटों के साथ बीजेपी ने बड़ा बहुमत हासिल किया। 2023 में राज्यसभा में उसकी संख्या 96 हो गई। यह नरेंद्र मोदी की लगातार तीसरी जीत का प्रतीक है, जो बीजेपी की स्थिरता और ताकत को दर्शाता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाजपा को 300 से अधिक सीटों तक पहुँचाया, जबकि कांग्रेस ने 6 बार 350 से अधिक सीटें जीती थीं। पंडित नेहरू और इंदिरा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने कई राज्यों में सरकार बनाई थी। हालांकि, मोदी ने राजनीति में नए मानदंड स्थापित किए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि मोदी ने कमजोरियों को भी राजनीतिक सफलता में बदलने की कला विकसित की है, जिससे भाजपा को लगातार बड़ी जीत मिल रही है।
भाजपा के केंद्रीयकरण में मोदी का दबदबा
भाजपा की शीर्ष चार सदस्यीय टीम में नरेंद्र मोदी सबसे बड़े नेता हैं। संगठन के फैसलों में उनकी भूमिका अहम होती जा रही है, और उनकी राजनीतिक ताकत के चलते प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) का भी केंद्रीकरण हो रहा है। 2014 से पार्टी के कई राज्यों और केंद्रीय मंत्रियों के साथ मोदी ने संगठन को मजबूत किया है।
प्रभावशाली टीम: भाजपा के फैसलों में मोदी की अहम भूमिका रहती है, जहां शीर्ष नेताओं के बीच केंद्रित ताकत देखी जा रही है।
सरकारी मामलों का नियंत्रण: पीएमओ के विभिन्न अहम मामलों को खुद मोदी के अधिकारियों द्वारा निपटाया जाता है, जिसमें रक्षा सौदे और चीन विवाद जैसे प्रमुख मुद्दे भी शामिल हैं।
राम मंदिर निर्माण: 2020 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद पीएमओ ने मंदिर निर्माण पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
राजनीतिक और प्रशासनिक निर्णयों में अहम योगदान: मोदी सरकार ने कई महत्वपूर्ण रक्षा सौदे, क्षेत्रीय विवाद और नौसेना के आधुनिकीकरण जैसे मुद्दों को भी प्रभावशाली ढंग से सुलझाया है।
गौरतलब है कि पीएम मोदी सोशल मीडिया पर भी छाये हुये हैं। वहीं 'एक्स' पर मोदी दुनिया के दूसरे सबसे चर्चित नेता हैं। 'एक्स' पर जहां उनके 10.1 करोड़ फ़ॉलोअर्स हैं, वहीं 'इंस्टाग्राम' पर 9.1 करोड़, 'फेसबुक' पर 4.9 करोड़ और यूट्यूब पर 2.5 करोड़ चाहने वाले है। इसके अलावा ग्लोबल लीडर अप्रूवल रेटिंग ट्रैकर के मुताबिक नरेंद्र मोदी दुनिया में सबसे ज़्यादा 72% अप्रूवल रेटिंग वाले नेता हैं। मोदी की अप्रूवल रेटिंग जो बाइडेन से दोगुनी है। 
अक्टूबर 2022 में डिजिटल रैंकिंग करने वाली कम्पनी चेक ब्रांड ने पीएम मोदी की ब्रांड वैल्यू सबसे ज़्यादा 413 करोड़ रुपये आंकी है। वहीं अगस्त 2023 में अमेरिकी रिसर्च सेंटर प्यू के अनुसार भारत में हर 10 में से 8 लोग, प्रधानमंत्री मोदी के बारे में अच्छी राय रखते हैं। साल 2019 में CSDS के पोस्ट इलेक्शन सर्वे के मुताबिक अगर मोदी भाजपा के प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी नहीं होते तो एक-तिहाई मतदाता भाजपा को वोट नहीं देते। 
'मोदी ब्रांड' 
नरेंद्र मोदी कुर्ता, चूड़ीदार पजामा और बंद गले का सूट पहनते हैं। साथ ही वो 'मोदी जैकेट' नाम से कस्टमाइज़्ड जैकेट भी पहनते हैं। इसके आलावा साल 2015 में ओबामा से मुलाक़ात के दौरान पीएम मोदी ने अपने नाम का पिनस्ट्राइप्ड सूट पहना था,जिसकी कीमत 10 लाख रुपये थी। साथ ही 2019 में सूर्य ग्रहण को देखने के लिये प्रधानमंत्री ने 1.4 लाख का मेबैक सनग्लास पहना था। वहीं पीएम मोदी आम दिनों में 40 हज़ार की कीमत के बुल्गारी ब्रांड का चश्मा और 1.3 लाख का मोंटब्लांक पेन का इस्तेमाल करते हैं। 
मोदी के बड़े फैसले :
1. नोटबंदी (2016): 8 नवंबर 2016 को, नरेंद्र मोदी ने 500 और 1000 रुपये के नोटों को अमान्य कर दिया। इसका उद्देश्य काले धन, भ्रष्टाचार, और नकली मुद्रा को रोकना था। इस फैसले के परिणामस्वरूप देशभर में नकदी संकट उत्पन्न हुआ। कई लोगों को बैंकों और एटीएम के बाहर लंबी लाइनों का सामना करना पड़ा। हालांकि, सरकार ने दावा किया कि इस कदम से काले धन पर नियंत्रण और डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा मिला।
2. बालाकोट एयरस्ट्राइक (2019): 26-27 फरवरी 2019 की रात को, भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी प्रशिक्षण शिविर पर बमबारी की। पुलवामा में 14 फरवरी 2019 को हुए आतंकी हमले के जवाब में यह एयरस्ट्राइक की गई थी, जिसमें 40 CRPF जवान शहीद हो गए थे। भारतीय वायुसेना की इस कार्रवाई को देशभर में समर्थन मिला और इसे आतंकवाद के खिलाफ सख्त कदम के रूप में देखा गया।
3. कोविड-19 लॉकडाउन (2020): 24 मार्च 2020 को, भारत सरकार ने कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए पूरे देश में 21 दिनों के लिए पूर्ण लॉकडाउन की घोषणा की। लॉकडाउन के दौरान अर्थव्यवस्था पर भारी प्रभाव पड़ा, और गरीब वर्ग के लोगों को विशेष रूप से कठिनाई का सामना करना पड़ा। हालांकि, यह कदम महामारी के फैलाव को नियंत्रित करने में मददगार साबित हुआ।
4. लाहौर यात्रा (2015): 25 दिसंबर 2015 को, नरेंद्र मोदी ने अचानक लाहौर का दौरा किया, जहां उन्होंने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से मुलाकात की। यह यात्रा दोनों देशों के बीच संबंधों को सुधारने और शांति वार्ता को बढ़ावा देने के लिए की गई थी। इस यात्रा को दोनों देशों के बीच संबंधों में एक सकारात्मक कदम के रूप में देखा गया, लेकिन इसके बाद तनावपूर्ण घटनाओं के कारण इसे दीर्घकालिक सुधार की दिशा में सीमित माना गया।
5. बांग्लादेश समझौता (2015): 6 जून 2015 को, नरेंद्र मोदी और बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने भारत-बांग्लादेश सीमा पर विवादों को सुलझाने और दोनों देशों के बीच संबंधों को सुधारने के लिए एक ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते ने दोनों देशों के बीच 4,096 किलोमीटर लंबी सीमा को सुव्यवस्थित किया और अंतर्निहित मुद्दों को सुलझाया। इस समझौते ने दोनों देशों के बीच व्यापार, सुरक्षा, और अन्य सहयोग को बढ़ावा दिया और सीमा पर विवादों को समाप्त किया।
6. धारा 370 का निरसन (2019): 5 अगस्त 2019 को, भारतीय संसद ने जम्मू और कश्मीर के विशेष राज्य दर्जे को समाप्त करने और इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों (जम्मू-कश्मीर और लद्दाख) में विभाजित करने का निर्णय लिया। धारा 370 और 35A जम्मू और कश्मीर को विशेष स्वायत्तता प्रदान करते थे। मोदी सरकार ने इसे संविधान की सामान्य धाराओं के अंतर्गत लाने और राज्य को मुख्यधारा में लाने का लक्ष्य रखा। इस फैसले से जम्मू और कश्मीर की विशेष स्थिति समाप्त हो गई और इसे भारत के अन्य हिस्सों के समान कानूनों के अधीन लाया गया। इसके परिणामस्वरूप क्षेत्र में सुरक्षा स्थिति पर प्रभाव पड़ा और राजनीतिक विवाद भी उत्पन्न हुए।
7. नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) (2019): 11 दिसंबर 2019 को, संसद ने CAA को पारित किया, जो पाकिस्तान, अफगानिस्तान, और बांग्लादेश के गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यकों (हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी, और ईसाई) को भारतीय नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान करता है। इस कानून को धार्मिक उत्पीड़न से बचाने के लिए बनाया गया था, लेकिन यह कानून भारतीय मुसलमानों को नागरिकता के लिए मान्यता नहीं देता। इस कानून के विरोध में देशभर में प्रदर्शन और हिंसा हुई। आलोचकों ने इसे धर्म आधारित भेदभाव के रूप में देखा, जबकि समर्थकों ने इसे धार्मिक उत्पीड़न से बचाने के प्रयास के रूप में प्रस्तुत किया।
8. ट्रिपल तलाक (तीन तलाक) समाप्ति (2019): 30 जुलाई 2019 को, भारतीय संसद ने एक विधेयक पारित किया जो मुस्लिम महिलाओं को 'ट्रिपल तलाक' (तीन तलाक) से सुरक्षा प्रदान करता है। इस प्रथा के तहत, मुस्लिम पुरुष तीन बार "तलाक" शब्द कहकर अपनी पत्नी को तलाक दे सकते थे। इस कानून के लागू होने से इस प्रथा पर रोक लगी और मुस्लिम महिलाओं को न्याय प्राप्त करने का अधिकार मिला। इसे समाज में लैंगिक समानता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना गया।
9. आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) आरक्षण (2019): 8 जनवरी 2019 को, भारत सरकार ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के लिए 10% आरक्षण लागू करने का निर्णय लिया, जो सामान्य वर्ग के गरीब लोगों के लिए था। इस आरक्षण को सरकारी नौकरियों और शिक्षा संस्थानों में आर्थिक आधार पर अतिरिक्त 10% आरक्षण प्रदान करने के लिए बनाया गया। यह फैसला गरीब सामान्य वर्ग के लोगों को शिक्षा और रोजगार के अवसर प्रदान करने के उद्देश्य से लिया गया। हालांकि, इसे सामाजिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से विभिन्न प्रतिक्रियाएं मिलीं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर को बढ़ावा देने के लिए भी कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं को प्रारंभ और पूरा किया है। इन परियोजनाओं में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है:
1. नई संसद भवन : नई संसद भवन परियोजना का उद्घाटन 28 मई 2023 को किया गया। यह भवन मौजूदा संसद भवन की जगह पर निर्माण किया गया है और इसमें 888 सांसदों के बैठने की क्षमता है। यह परियोजना भारतीय लोकतंत्र की स्थिरता और समृद्धि को दर्शाती है। नई संसद भवन को आधुनिक सुविधाओं के साथ डिजाइन किया गया है, जो संसद की कार्यक्षमता को बढ़ाएगा। नरेंद्र मोदी ने इस परियोजना की दिशा-निर्देश देने और इसे पूरा करने की प्रक्रिया की निगरानी की। उनका उद्देश्य भारतीय लोकतंत्र को एक आधुनिक और सुविधाजनक संसद भवन प्रदान करना था।
2. राम मंदिर : अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण 2020 में शुरू हुआ, और 5 अगस्त 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंदिर की नींव रखी। यह मंदिर भगवान राम की जन्मभूमि पर बनाया जा रहा है। इस परियोजना का उद्देश्य अयोध्या में धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को पुनर्स्थापित करना है। यह भारतीय हिंदू समाज के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। नरेंद्र मोदी ने इस परियोजना की शुरुआत की और इसे भारतीय संस्कृति और धार्मिक धरोहर के संरक्षण के रूप में प्रस्तुत किया। उनका समर्थन इस परियोजना को पूरा करने में महत्वपूर्ण था।
3. स्टैचू ऑफ यूनिटी: स्टैचू ऑफ यूनिटी, जो सरदार वल्लभभाई पटेल की विशाल प्रतिमा है, 31 अक्टूबर 2018 को गुजरात में स्थापित किया गया। यह विश्व की सबसे ऊँची प्रतिमा है। इस प्रतिमा का उद्देश्य भारत के एकता और अखंडता के प्रतीक के रूप में सरदार पटेल की भूमिका को सम्मानित करना है। नरेंद्र मोदी ने इस परियोजना की पहल की और इसे भारतीय एकता और सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक माना। उनके नेतृत्व में यह परियोजना पूरी हुई, जो सरदार पटेल के योगदान को याद करती है।
4. नेशनल वॉर मेमोरियल: दिल्ली में स्थित नेशनल वॉर मेमोरियल का उद्घाटन 25 फरवरी 2019 को किया गया। यह memorial भारतीय सशस्त्र बलों के शहीदों की याद में बनाया गया है। यह स्मारक भारतीय सैनिकों की वीरता और बलिदान को सम्मानित करता है और उनके योगदान को याद करता है। नरेंद्र मोदी ने इस स्मारक की योजना और निर्माण का समर्थन किया। इस परियोजना के पूरा होने से भारतीय सैनिकों की स्मृति को सम्मानित किया गया।
5. नरेंद्र मोदी स्टेडियम: अहमदाबाद में स्थित नरेंद्र मोदी स्टेडियम का उद्घाटन 24 फरवरी 2021 को किया गया। यह दुनिया का सबसे बड़ा क्रिकेट स्टेडियम है। इस स्टेडियम का उद्देश्य भारतीय क्रिकेट के विकास और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की उपस्थिति को बढ़ाना है। नरेंद्र मोदी ने इस परियोजना की पहल की और इसे भारतीय खेल और विशेषकर क्रिकेट के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण योगदान के रूप में देखा। स्टेडियम की भव्यता और क्षमता भारत की खेल संस्कृति को प्रोत्साहित करती है।
गौरतलब हैं कि नरेंद्र मोदी का सफर एक साधारण परिवार से शुरू होकर भारत के प्रधानमंत्री बनने तक का रहा है। उनके नेतृत्व में कई आर्थिक, सामाजिक, और राजनीतिक सुधार किए गए हैं, जिनका उद्देश्य भारत को एक मजबूत और समृद्ध राष्ट्र बनाना है। उनका जीवन और संघर्ष आज भी लाखों लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।