बिहार सरकार पर CAG की बड़ी टिप्पणी: 70 हजार करोड़ के खर्च का कोई हिसाब नहीं!
Bihar: बिहार सरकार पर देश की सबसे बड़ी ऑडिट संस्था CAG (नियंत्रक और महालेखा परीक्षक) ने गंभीर सवाल उठाए हैं। हाल ही में विधानसभा में पेश की गई रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार ने ₹70,877 करोड़ की सरकारी योजनाओं पर खर्च तो कर दिया, लेकिन अब तक यह नहीं बताया कि वो पैसा कहां और कैसे खर्च हुआ।
क्या है पूरा मामला?
जब सरकार किसी योजना पर पैसा खर्च करती है, तो उसे बाद में "उपयोगिता प्रमाण पत्र" (Utilization Certificate) देना होता है। इससे साबित होता है कि पैसा सही तरीके से और सही जगह खर्च हुआ। लेकिन CAG की रिपोर्ट के मुताबिक: 31 मार्च 2024 तक, बिहार सरकार ने 49,649 योजनाओं के लिए ₹70,877.61 करोड़ का खर्च तो दिखाया, लेकिन उनका कोई हिसाब (प्रमाण पत्र) नहीं दिया। इसमें से करीब ₹14,452 करोड़ के मामले तो 2016-17 से पहले के हैं यानी कई सालों से ये रिपोर्टें पेंडिंग हैं।
किन विभागों ने सबसे ज्यादा गड़बड़ी की?
AC-DC बिल का भी हिसाब नहीं
जब सरकार तुरंत पैसे निकालती है तो उसे AC (Abstract Contingency) बिल कहते हैं। इसके बाद उसे पूरी डिटेल के साथ DC (Detailed Contingency) बिल देना होता है। लेकिन CAG ने बताया कि: बिहार सरकार ने ₹9,205 करोड़ के 22,130 AC बिल बनाए, लेकिन इनके DC बिल जमा ही नहीं किए। इसका मतलब यह कि इतना बड़ा पैसा निकाला गया, लेकिन उसका पूरा हिसाब नहीं दिया गया।
बजट बना लेकिन खर्च नहीं हुआ
साल 2023-24 के लिए बिहार सरकार का कुल बजट था ₹3.26 लाख करोड़। लेकिन सरकार ने सिर्फ ₹2.60 लाख करोड़ (यानी करीब 80%) ही खर्च किया।इसके अलावा ₹65,512 करोड़ की बचत में से सिर्फ 36% ही दोबारा उपयोग में लाया गया।
GSDP बढ़ा लेकिन कर्ज भी बढ़ा
अच्छी बात यह है कि बिहार की आर्थिक विकास दर (GSDP) 14.47% रही। लेकिन चिंता की बात यह है कि राज्य की देनदारियां (कर्ज) भी 12.34% बढ़ गईं। सिर्फ आंतरिक कर्ज (Internal Loan) ही कुल कर्ज का 59% है।
अहम रिपोर्ट
सरकार के खर्च और पारदर्शिता पर बड़ा सवाल खड़ा हुआ है। इतना बड़ा पैसा बिना प्रमाण के खर्च किया गया। इससे गबन, घोटाले और भ्रष्टाचार की आशंका बढ़ती है। विपक्ष पहले से ही सरकार को घेर रहा है, अब यह रिपोर्ट उन्हें और मौका दे सकती है।