ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र यादव ने गिनाया स्मार्ट मीटर के फायदे, विरोधियों को दिया करारा जवाब 

 

बिहार में लोगों के घरों में स्मार्ट प्री पेड मीटर लगाए जाने का मुद्दा गरम है। कई जगहों पर लोग यह आऱोप लगा रहे हैं कि इस बिजली के इन नए मीटर से उनका बिल ज्यादा आ रहा है। लोग इसे लेकर विरोध भी जता रहे हैं। राज्य के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने भी हाल ही में स्मार्ट प्री पेड मीटर पर सवाल उठाया था। लेकिन अब बिहार सरकार के ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र यादव ने स्मार्ट मीटर पर खुलकर अपनी बात रखी है और कहा है कि तकनीक विकास के नए मार्ग खोलती है। उन्होंने स्मार्ट मीटर के फायदे गिनाते हुए कहा है कि यह समय की मांग है।

नीतीश सरकार के ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र यादव ने कहा कि ई तकनीक जहां आर्थिक प्रगति का मार्ग प्रशस्त करती है, वहीं सामाजिक जड़ता को भी चुनौती देती है। यही वजह है कि नई तकनीक का स्वागत और विरोध एक साथ होता है। एक वर्ग जो आर्थिक प्रगति का हिमायती होता है, इसके पक्ष में खड़ा होता है और दूसरा वर्ग जो सामाजिक जड़ता को कायम रखते हुए यथास्थिति चाहता है, इसके विरोध में। बिहार में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने को लेकर कमोबेश यही स्थिति है।

कुछ लोग जरूरी प्रगतिशील कदम करार दे रहे हैं तो कुछ लोग इसके खिलाफ ताल ठोक रहे हैं। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि तकनीकी क्रांति के साथ कदमताल करते हुए बिहार जब आगे बढ़ रहा है तो इस विरोध का औचित्य क्या है? क्या इसका विरोध करने वाले लोग बिहार को अंधकार में रखना चाहते हैं? क्या वे नहीं चाहते कि बिहार तकनीकी क्रांति को आत्मसात कर समावेशी विकास के पथ पर निरंतर आगे बढ़ता रहे।

बिजेंद्र यादव ने कहा कि 18 वीं व 19 वीं शताब्दी में बिजली और जलशक्ति की खोज जब यूरोप में औद्योगिक क्रांति का मार्ग प्रशस्त कर रही थी, उस वक्त इसका स्वागत हो रहा था और विरोध भी। औद्योगिक क्रांति से जहां उत्पादन की शक्तियों में वृद्धि हो रही थी, वहीं दूसरी ओर बड़ी संख्या में ग्रामीण आबादी पलायन कर शहरों में बसेरा बनाकर बड़ी-बड़ी फैक्टरियों में काम कर रही थी। इस आर्थिक और सामाजिक विरोधाभास की वजह से औद्योगिकीकरण का समर्थन भी हो रहा था और विरोध भी। समय के साथ आर्थिक प्रगति का पहिया जैसे-जैसे रफ्तार पकड़ता गया, विरोध का सिलसिला टूटता चला गया। बिजली और जल शक्ति की ताकत ने पूरी दुनिया के स्वरूप को ही बदल दिया। बदलाव की यह प्रक्रिया आज भी जारी है। स्मार्ट प्रीपेड मीटर इसी बदलाव की अगली कड़ी है।

बिहार में कुछ जगह स्मार्ट प्रीपेड मीटर का सुनियोजित तरीके से विरोध किया जा रहा है। स्थानीय नेता भी पूरी तकनीकी जानकारी प्राप्त किये बिना ही विरोध कर रहे हैं। ऐसे में विरोध के जमीनी कारणों की पड़ताल जरूरी हो जाती है, ताकि भ्रांतियां और सच्चाई से लोग वाकिफ हो सकें। इसके विरोध के अब तक मुख्य रूप से तीन कारण सामने आ आये हैं। पहला- पूर्ववर्ती मीटर की तुलना में स्मार्ट प्रीपेड मीटर तेज चलता है। दूसरा- बिल इसमें ज्यादा आता है। तीसरा- स्मार्ट प्रीपेड मीटर सिर्फ डिस्कॉम और इंस्टॉल करने वाली कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए लगाया जा रहा है।

दरअसल, इसका मुख्य उद्देश्य एग्रिगेट टेक्निकल एंड कॉमर्सिल लॉस को कम करना है। उपभोक्ता जितनी बिजली इस्तेमाल करेंगे, उन्हें उतना ही भुगतान करना पड़ेगा। पहले औसत खपत के अनुसार भुगतान करना पड़ता था, अब वास्तविक खपत के अनुसार भुगतान करना पड़ रहा है। पहले बिजली का उपभोग करने के बाद बिल देते थे और इसके लिए उन्हें बिजली ऑफिस का चक्कर काटना पड़ता था। अब मोबाइल फोन की तरह मीटर रिचार्ज करने की सुविधा मिल रही है। इससे रिचार्ज कराने के साथ ही वे सतर्क रहेंगे कि बिजली का उतना ही इस्तेमाल करें, जितने की जरूरत है।

मंत्री ने कहा कि स्मार्ट प्रीपेड मीटर समय की मांग है। बस जरूरत है इसके तकनीकी पहलू को समझने की। कहा जाता है बिहार जो काम आज करता है, देश के अन्य हिस्सों में उसे बाद में दोहराया जाता है। तो फिर क्यों न अपने निर्धारित समय पर स्मार्ट प्रीपेड मीटर का शत-प्रतिशत इंस्टालेशन करके बिहार इस परंपरा को कायम रखे।

बिजेंद्र यादव ने कहा कि यह सुखद संयोग है कि पूरे देश में बिहार इस बदलाव का प्रयोग भूमि बना हुआ है। अब तक पूरे बिहार में 50 लाख से अधिक स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाये जा चुके हैं। यह प्रक्रिया निरंतर जारी है। कुल 171.5 करोड़ स्मार्ट प्रीपेड मीटर बिहार में लगाये जाने हैं। लक्ष्य है 2025 तक पूरे बिहार को स्मार्ट प्रीपेड मीटर से युक्त कर देना। बिहार के इस इंस्टालेशन मॉडल को समझने के लिए देश के दूसरे राज्यों की विद्युत वितरण कंपनियां भी गहरी दिलचस्पी ले रही हैं। गुजरात और केरल जैसे राज्यों से विद्युत वितरण कंपनियों के प्रतिनिधिमंडल बिहार आ चुके हैं।