पहले बढ़ती उम्र की बात, फिर डेढ़ घंटे मुलाकात, बोले अशोक चौधरी- पोस्ट पॉलिटिकल नहीं था बल्कि पर्सनल था

 

बिहार सरकार के मंत्री अशोक चौधरी के सोशल मीडिया पर किए एक पोस्ट से मचे बवाल के बाद मंगलवार को उन्होंने सफाई दी. अशोक चौधरी ने एक पोस्ट किया था जिसमें ‘बढ़ती उम्र’ से जुड़ी एक कविता रूपी तुकबंदी थी. माना गया कि उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की बढ़ती उम्र पर तंज कसा था. यहां तक कि मंगलवार सुबह अशोक चौधरी ने सीएम नीतीश से करीब डेढ़ घंटे तक मुलाकात भी की. विवादित पोस्ट और सीएम नीतीश से मुलाकात के बाद अशोक चौधरी ने पूरे मामले में मीडिया में सफाई दी. 

अशोक चौधरी ने कहा कि वे जिसको नेता मानते हैं उसपर कैसे तंज कसेंगे. सीएम से हुई मुलाकात पर उन्होंने कहा कि वे रोजाना ही सीएम हाउस जाते हैं इसलिए आज भी गए थे. सीएम नीतीश से हुई मुलाकात का उनके सोशल मीडिया पोस्ट से कोई वास्ता नहीं था. पोस्ट कहीं से पॉलिटिकल नहीं था बल्कि यह पूरी तरह से पर्सनल था. अशोक चौधरी ने पोस्ट पर सफाई देते हुए कहा कि किसी ने उन्हें भेजा था जिसे उन्होंने पोस्ट कर दिया. आज कल के बच्चे किसी कि सुनते नहीं हैं. इसलिए उन्होंने बच्चों को बेहतर करने के संदेश के लिए पोस्ट किया. 

सीएम नीतीश की तारीफ करते हुए कहा कि उनसे किसी प्रकार कि नारजगी का कोई सवाल नहीं है. वे हमारे ऐसे नेता हैं जिन्होंने भरपूर प्यार दिया है. मुझे खूब सम्मान दिया. अशोक चौधरी ने कहा वे देश के पहले दलित नेता हैं जिन्हें नीतीश कुमार ने बिना किसी का सदन रहते हुए भी मंत्री बनाया. ऐसे में सीएम नीतीश से नाराजगी या उन पर तंज कसने का कोई सवाल नहीं है. 

विवादित पोस्ट : अशोक चौधरी ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में कविता के तर्ज पर लिखा था. बढ़ती उम्र में इन्हें छोड़ दीजिए।। एक दो बार समझाने से यदि कोई नहीं समझ रहा है तो सामने वाले को समझाना,       "छोड़ दीजिए". बच्चे बड़े होने पर वो ख़ुद के निर्णय लेने लगे तो उनके पीछे लगना, छोड़ दीजिए। गिने चुने लोगों से अपने विचार मिलते हैं, यदि एक दो से नहीं मिलते तो उन्हें,  *छोड़ दीजिए।*  एक उम्र के बाद कोई आपको न पूछे या कोई पीठ पीछे आपके बारे में गलत कह रहा है तो दिल पर लेना, *छोड़ दीजिए।* अपने हाथ कुछ नहीं, ये अनुभव आने पर भविष्य की चिंता करना, *छोड़ दीजिए।* यदि इच्छा और क्षमता में बहुत फर्क पड़ रहा है तो खुद से अपेक्षा करना, *छोड़ दीजिए।*  हर किसी का पद, कद, मद, सब अलग है इसलिए तुलना करना, *छोड़ दीजिए।* बढ़ती उम्र में जीवन का आनंद लीजिए, रोज जमा खर्च की चिंता करना, *छोड़ दीजिए।* उम्मीदें होंगी तो सदमे भी बहुत होंगे, यदि सुकून से रहना है तो उम्मीदें करना, *छोड दीजिए।*