बिहार में 9 उम्मीदवार पहली बार चुनाव लड़कर बने सांसद, कुछ को करना पड़ा लंबा इंतजार 

 

बिहार लोकसभा चुनाव 2024 में एनडीए और इंडिया गठबंधन समेत कई प्रत्याशी संसद का नया सिकंदर बनने के लिये सियासी रणभूमि में उतरे। इनमें पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी, राज्यसभा सांसद विवेक ठाकुर और मीसा भारती समेत 14 उम्मीदवार सफल भी रहे। इसमें राजग से भाजपा, जेडीयू, लोजपा-आर और हम के आठ प्रत्याशी पहली बार सांसद बने। वहीं इंडिया गठबंधन से आरजेडी, भाकपा माले के छह प्रत्याशियों ने यह उपलब्धि हासिल की।

 

पहली बार चुनावी संग्राम में उतरे नौ प्रत्याशियों ने आसमान की बुलंदियों को छू लिया। विवेक ठाकुर, देवेश चंद्र ठाकुर, विजय लक्ष्मी देवी, बिहार सरकार में ग्रामीण कार्य मंत्री अशोक चौधरी की पुत्री शांभवी चौधरी, राजेश वर्मा, चिराग पासवान के बहनोई अरुण भारती, सुधाकर सिंह, अभय कुमार सिन्हा, सुदामा प्रसाद ने सफलता की नयी इबारत लिखी और लोकसभा सांसद बने। विवेक ठाकुर ने नवादा, देवेश चंद्र ठाकुर ने माता सीता की जन्मभूमि सीतामढ़ी, विजय लक्ष्मी देवी ने देशरत्न डा. राजेन्द्र प्रसाद की जन्मभूमि सीवान, शांभवी चौधरी ने समस्तीपुर, राजेश वर्मा ने खगड़िया, अरुण भारती ने जमुई (सु), सुधाकर सिंह ने बक्सर, अभय कुमार सिन्हा ने औरंगाबाद, सुदामा प्रसाद ने बाबू वीर कुंवर सिंह की कर्मस्थली आरा से जीत हासिल की।

सांसदी के लिए बरसों इंतजार करने वालों की लिस्ट भी ठीक-ठाक लंबी है। इस लिस्ट में जीतन राम मांझी, मीसा भारती, राजा राम सिंह, मनोज कुमार और राजभूषण चौधरी शामिल हैं। जीतन राम मांझी पहली बार गया (सु) से 1991 में लोकसभा के रण में उतरे थे। लोकसभा सांसद बनने में 33 साल का समय लग गया। इसी तरह मीसा भारती को भी देश की सबसे बड़ी पंचायत लोकसभा पहुंचने में 10 साल लग गए। उन्होंने पहली बार पाटलिपुत्र सीट से 2014 में पहली बार अपनी किस्मत आजमायी थी। राजा राम सिंह ने काराकाट सीट से लगातार तीन बार 2009, 2014 और 2019 में पराजय का दंश झेला था। लेकिन इस बार वह काराकाट के ‘किंग’ बन गए। राजभूषण चौधरी और मनोज कुमार को 2019 के चुनाव में पराजय मिली थी, लेकिन इस बार दोनों ने ‘किला’ फतेह कर लिया और सांसद निर्वाचित हुए।