बहु को टिकट देकर घिरे जीतन राम मांझी, चिराग के जीजा ने दिलाई क्रीमी लेयर याद
बिहार की इमामगंज सीट पर होने वाले उपचुनाव के लिए केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने अपनी बहु दीपा मांझी को उम्मीदवार बनाया है। जिसको लेकर उनकी खूब आलोचना की जा रही है। एनडीए के घटक दलों के द्वारा भी उनपर तंज कसा जा रहा है। जीतन राम मांझी के बेटे व बिहार सरकार में मंत्री संतोष सुमन मांझी ने सोशल मीडिया पर एक तस्वीर पोस्ट की है। जिसमें जीतन राम मांझी अपनी बहु को टिकट सौंपते हुए दिख रहे हैं। इस तस्वीर पर लोक जनशक्ति पार्टी- रामविलास (लोजपा-आर) सांसद अरुण भारती ने जीतन राम मांझी को क्रीमी लेयर की याद दिला दी। उन्होंने कहा कि इनको सबसे पहले उप-वर्गीकरण यहां लागू करना चाहिए था।
अनुसूचित जातियों के आरक्षण में सब कोटा बनाकर वंचित उप-जातियों तक उसका लाभ पहुंचाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर भारतीय जनता पार्टी के सहयोगी दलों में मतभेद है। हरियाणा में नायब सिंह सैनी की नई सरकार ने आते ही सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के समर्थक जीतनराम मांझी और फैसले के विरोधी केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान के बीच सार्वजनिक रूप से इस मसले पर काफी बहसबाजी हो चुकी है।
जीतनराम मांझी ने जैसे ही इमामगंज से मंत्री बेटे की पत्नी को टिकट दिया और बेटे ने फोटो छापा तो चिराग के सांसद बहनोई अरुण भारती ने कहा कि उप-वर्गीकरण के समर्थक जीतनराम मांझी को उप-वर्गीकरण सबसे पहले यहां लागू करना चाहिए। अरुण भारती के कहने का आशय यही था कि मांझी अगर कहते हैं कि आरक्षण का लाभ सिर्फ कुछ जातियों को मिला तो उनको टिकट परिवार के बाहर देना चाहिए था। मांझी के परिवार में वो खुद केंद्रीय मंत्री हैं, बेटे संतोष राज्य में कैबिनेट मंत्री हैं, संतोष की सास ज्योति मांझी विधायक हैं और अब ज्योति मांझी की बेटी दीपा जीत गई तो विधानमंडल में इस समय परिवार से तीसरी नेता होंगी।
नीतीश कुमार ने बिहार में 2007 में ही दलितों की 22 जातियों में 18 जातियों को महादलित का दर्जा दे दिया था। नीतीश सरकार इन 18 जातियों के उत्थान के लिए कई योजनाएं लाई। भूमिहीनों को मुफ्त जमीन दी गई। बाद में बाकी चार जातियां भी धीरे-धीरे महादलित में शामिल कर ली गईं। बिहार में आज की तारीख में एससी आरक्षण का लाभ लेने वाली सारी जातियां महादलितों में गिनी जा रही हैं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मांझी मांग कर रहे हैं कि बिहार में नीतीश 18 महादलित जातियों को 10 प्रतिशत आरक्षण दें और बाकी को 8 परसेंट में समेंट दें। मांझी अब संपन्न हो चुके दलितों पर 95 फीसदी सरकारी नौकरियां हड़पने का आरोप लगाते हैं।