बिहार में ओवैसी की पार्टी AIMIM की एंट्री करवाने वाले कमरुल हुदा ने राजद का थामा दामन 

 

अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर दल-बदल का खेल शुरू हो चुका है. इसकी शुरुआत AIMIM के पूर्व विधायक कमरुल हुदा ने की है. कमरुल ने असदुद्दीन ओवैसी को तगड़ा झटका देते हुए आरजेडी में शामिल हो गए हैं. शुक्रवार को उन्होंने अपने सैकड़ों समर्थको के साथ शुक्रवार को आरजेडी का दामन थाम लिया. किशनगंज स्थित सर्किट हाउस में मंत्री शाहनवाज आलम ने उन्हें आरजेडी की सदस्यता दिलाई. 

आपको बता दें कि एआईएमआईएम के पूर्व विधायक कमरुल हुदा ने साफ साफ कहा कि सीमांचल की अवाम गंगा जमुनी तहजीब की प्रगाढ़ता के लिए जाना जाता है. उन्होंने कहा कि एआईएमआईएम के राष्ट्रीय अध्यक्ष अससुद्दीन ओवैसी सीमांचल में आकर जिस भाषा का इस्तेमाल किये, यह उनको शोभा नहीं देता है. सीमांचल की जनता ऐसी भाषाओं को कभी बर्दास्त नहीं कर सकती है. उन्होंने कहा कि किशनगंज पोठिया के हजारों समर्थकों के आग्रह पर राजद में जाने का निर्णय लिया हूं. पूर्व विधायक होदा यहीं नहीं रुके. उन्होंने कहा कि प्रदेश अध्यक्ष एआईएमआईएम अख्तरुल ईमान के आह्वान पर खरखरी घाट पर पुल निर्माण संघर्ष समिति के बैनर तले बड़ा आंदोलन हुआ था. लेकिन वे यहां भी अपने वादे से मुकद गए. यहां भी उन्होंने स्थानीय लोगों के भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया. पूर्व विधायक ने कहा कि राजद धर्म निरपेक्ष पार्टी है. राजद ही सीमांचल के आवाम की हितैषी है. उन्होंने कहा कि पिछले चुनाव 2020 में पार्टी के ही एक शीर्ष नेता ने पैर खींचने का काम किया और एआईएमआईएम को हार का मुंह देखना पड़ा. 

बता दें कि कमरुल हुदा ने ही बिहार में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम की एंट्री कराई थी. उन्होंने 2019 में किशनगंज विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में एआईएमआईएम की टिकट पर जीत हासिल की थी. सीमांचल में एआईएमआईएम का खाता खोलने वाले किशनगंज के पूर्व विधायक कमरुल हुदा को ओवैसी ने पिछले साल ही पार्टी से निष्कासित किया था. उन पर पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाया गया था.