पटना हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: राजद की श्वेता सुमन और लोजपा के राकेश सिंह को राहत नहीं, तेजस्वी–चिराग की बढ़ी मुश्किलें
Bihar political news: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण के मतदान से ठीक पहले पटना हाईकोर्ट से एक अहम फैसला सामने आया है। राजद प्रत्याशी श्वेता सुमन (मोहनिया सीट) और राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के राकेश कुमार सिंह (घोसी सीट) द्वारा दायर याचिकाओं को अदालत ने सोमवार को खारिज कर दिया। दोनों प्रत्याशियों ने अपने नामांकन रद्द होने के खिलाफ याचिका दायर की थी।
जस्टिस ए. अभिषेक रेड्डी की अदालत में हुई संयुक्त सुनवाई
न्यायमूर्ति ए. अभिषेक रेड्डी की एकलपीठ ने दोनों याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई की। अदालत ने सुनवाई पूरी करने के बाद फैसला सुनाते हुए कहा, “याचिकाकर्ता यदि चाहें तो चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद चुनाव याचिका दायर कर सकते हैं।” इससे पहले 31 अक्टूबर को अदालत ने दोनों मामलों में सुनवाई पूरी कर निर्णय सुरक्षित रखा था, जिसे अब घोषित किया गया है।
क्या थे दोनों मामलों के आरोप और तर्क
राजद उम्मीदवार श्वेता सुमन का नामांकन जाति प्रमाणपत्र में तकनीकी गलती के आधार पर निर्वाचन पदाधिकारी ने निरस्त कर दिया था। वहीं घोसी से राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के प्रत्याशी राकेश कुमार सिंह का नामांकन इसलिए रद्द हुआ क्योंकि उन्होंने नामांकन पत्र में आपराधिक इतिहास वाले कॉलम में टिक मार्क नहीं लगाया था।
याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता एस.बी.के. मंगलम और अवनीश कुमार ने अदालत में दलील दी कि, “निर्वाची पदाधिकारी ने चुनावी कानून की अनदेखी करते हुए मनमाने ढंग से नामांकन रद्द किए हैं। यह फैसला लोकतांत्रिक अधिकारों के खिलाफ है।” हालांकि, भारतीय चुनाव आयोग के अधिवक्ता सिद्धार्थ प्रसाद ने इन याचिकाओं की सुनवाई की योग्यता पर ही सवाल खड़े किए।
हाईकोर्ट ने क्या कहा?
अदालत ने स्पष्ट किया कि नामांकन प्रक्रिया चुनावी कार्यवाही का हिस्सा है, इसलिए इस चरण पर दायर याचिका पर हस्तक्षेप का औचित्य नहीं बनता।
कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में प्रत्याशी केवल चुनाव याचिका के ज़रिए ही राहत पा सकते हैं। इसलिए, दोनों याचिकाओं को खारिज करते हुए अदालत ने याचिकाकर्ताओं को भविष्य में चुनाव याचिका दायर करने की अनुमति दी।
चुनावी असर और कानूनी संकेत
बिहार चुनाव के पहले चरण के मतदान से ठीक पहले आया यह फैसला राजद और राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी, दोनों के लिए झटका माना जा रहा है। हालांकि, कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि कोर्ट ने चुनाव आयोग के अधिकार को बरकरार रखते हुए एक स्पष्ट संवैधानिक रुख अपनाया है। अब यदि दोनों प्रत्याशी चाहें तो वे मतगणना के बाद चुनाव याचिका दाखिल कर सकते हैं।