राजभवन में गुरु पूर्णिमा पर आयोजित हुआ कार्यक्रम, राज्यपाल आर्लेकर ने कहा- समर्पणयुक्त शिक्षा है सर्वश्रेष्ठ 

 

बिहार के राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर ने राजभवन के दरबार हॉल में गुरु पूर्णिमा के अवसर पर गुरु शिष्य परंपरा पर आयोजित कार्यक्रम में भाग लिया। इस अवसर पर उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि अध्यापकों और विद्यार्थियों दोनों को पूर्ण समर्पण भाव से अपना काम करना चाहिए। अध्यापक शिक्षण के प्रति समर्पित भाव से विद्यार्थियों का मार्गदर्शन करें और विद्यार्थी भी श्रद्धा और समर्पण के साथ ज्ञानार्जन करें। समर्पण का यह भाव शिक्षा, समाज, राष्ट्र, परिवार, शिक्षक एवं विद्यार्थियों सबके प्रति होनी चाहिए। अपने कार्य के प्रति समर्पित होने पर ही अध्यापक विद्यार्थियों को कुछ नया दे सकते हैं। उन्होंने महर्षि व्यास का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्हें स्मरण करने का अभिप्राय अपने भीतर समर्पण का भाव लाना है। भारत को फिर से पुराना गौरव प्राप्त करने और विश्वगुरु बनने के लिए अध्यापकों और विद्यार्थियों में समर्पण का यह भाव आवश्यक है। उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति में गुरु शिष्य की परंपरा सदियों पुरानी है।

केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के कुलपति प्रो० श्रीनिवास वरखेडी ने मुख्य वक्ता के रूप में कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि तथ्य को जानने वाला तथा अपने शिष्य के हित के लिए निरंतर उद्यमशील रहनेवाला ही गुरु है। उपदेश आसान होता है. किन्तु उसका अनुपालन कठिन होता है। गुरु शिष्य परंपरा को दृढ बनाने के लिए श्रोता और वक्ता अर्थात विद्यार्थी और अध्यापक के बीच का संबंध बहुत महत्वपूर्ण होता है। शिष्य गुरु का प्रतिबिम्ब होता है। उन्होंने दक्षिणामूर्ति का उल्लेख करते हुए कहा कि गुरु सिर्फ बोल कर ही नहीं, बल्कि मौन रहकर अपने आचरण से शिष्यों का उद्‌बोधन करता है और शिष्य संतुष्ट होते हैं। ज्ञान के साथ आचरण करने वाला आचार्य कहलाता है।

प्रो० वरखेड़ी ने कहा कि पाश्चात्य ज्ञान परंपरा में सिर्फ तर्क और बुद्धि की प्रधानता है, जबकि भारतीय ज्ञान परंपरा में तर्क के साथ श्रद्धा की महत्ता है। यह श्रद्धा खुद स्वयं और गुरु के वचन, दोनों के प्रति है। जो स्वयं शिक्षा प्राप्त करते हुए दूसरों को शिक्षा प्राप्त करने में सहयोग करते हैं, यही अध्यापक है। कक्षा में बच्चों को सिखाते समय शिक्षक में आनंद का भाव आना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि गुरु शिष्य परंपरा में कोई संस्थान नहीं होता है।

कार्यक्रम के प्रारंभ में राज्यपाल ने महर्षि वेद व्यास के तैलचित्र पर पुष्प अर्पित किया तथा दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का उ‌द्घाटन किया। उन्होंने वाद्ययंत्र एवं ग्रंथों का पूजन भी किया। इस अवसर पर राज्यपाल के प्रधान सचिव श्री रॉबर्ट एल० चौग्थू, पटना विश्वविद्यालय एवं पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के कुलपतिगण, शिक्षकगण एवं छात्र-छात्राएँ, डी०ए०वी० पब्लिक स्कूल, बोर्ड कॉलोनी, पटना के शिक्षकगण एवं छात्र-छात्राएँ, विभिन्न संस्थाओं के प्रतिनिधिगण, राज्यपाल सचिवालय के पदाधिकारीगण एवं कर्मीगण उपस्थित थे।