राजद में भगदड़! तेजस्वी के विदेश दौरे के बीच पूर्व डीजी अशोक गुप्ता का इस्तीफा, पार्टी नेतृत्व पर गंभीर आरोप

 

Bihar politics: बिहार विधानसभा चुनाव में मिली बड़ी हार के बाद राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव फिलहाल परिवार के साथ विदेश दौरे पर हैं, लेकिन पार्टी के भीतर सियासी भूचाल तेज हो गया है। एक के बाद एक नेता राजद से किनारा कर रहे हैं और इस्तीफों का सिलसिला लगातार जारी है।

इसी कड़ी में पूर्व डीजी अशोक कुमार गुप्ता ने बड़ा कदम उठाते हुए प्रदेश राजद बुद्धिजीवी प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है। इसके साथ ही उन्होंने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता भी छोड़ दी। अशोक कुमार गुप्ता ने अपना त्यागपत्र प्रदेश अध्यक्ष मंगनी लाल मंडल को भेज दिया है।

पार्टी नेतृत्व पर लगाए गंभीर आरोप

इस्तीफे के बाद अशोक कुमार गुप्ता ने राजद के शीर्ष नेतृत्व पर कड़े आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि पार्टी में कार्यकर्ताओं का कोई सम्मान नहीं है। छोटे कार्यकर्ताओं की उपेक्षा तो आम बात हो गई है, लेकिन वरिष्ठ और जिम्मेदार लोगों की भी अनदेखी की जाती है। उनका कहना है कि अन्य दलों में जहां कार्यकर्ताओं को महत्व दिया जाता है, वहीं राजद में ऐसी कार्यसंस्कृति नजर नहीं आती।

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पार्टी ए-टू-जेड और सामाजिक न्याय की बात तो करती है, लेकिन टिकट वितरण के समय इन सिद्धांतों को नजरअंदाज कर दिया जाता है।

खरमास के बाद लेंगे अगला फैसला

अशोक कुमार गुप्ता ने संकेत दिए हैं कि वे आगे किस राजनीतिक दल से जुड़ेंगे, इसका फैसला खरमास के बाद करेंगे। फिलहाल उन्होंने किसी पार्टी का नाम स्पष्ट नहीं किया है।

पहले भी हो चुके हैं बड़े इस्तीफे

गौरतलब है कि इससे पहले राजद के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद विजय कृष्ण भी पार्टी छोड़ चुके हैं। 74 वर्षीय विजय कृष्ण ने राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को पत्र भेजकर पार्टी की प्राथमिक सदस्यता और सभी संगठनात्मक पदों से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने सक्रिय राजनीति से दूरी बनाने का निर्णय लिया था।

चुनावी हार के बाद बढ़ी टूट

विधानसभा चुनाव में राजद को करारी हार का सामना करना पड़ा। पार्टी ने 143 सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन केवल 25 सीटों पर ही जीत दर्ज कर सकी। वहीं महागठबंधन को कुल 35 सीटों से संतोष करना पड़ा। इस नतीजे के बाद से ही राजद में असंतोष गहराता जा रहा है और कई बड़े नेताओं का पार्टी से मोहभंग होता दिख रहा है।

चुनावी पराजय और लगातार हो रहे इस्तीफों ने राजद की सियासी चुनौती और भी बढ़ा दी है, जबकि तेजस्वी यादव की गैरमौजूदगी में पार्टी के भीतर उठ रहे सवाल अब खुलकर सामने आने लगे हैं।