सुधाकर सिंह बोले- जो किसानों से पंगा लेगा उससे हम पंगा लेते रहेंगे, सदन में रखेंगे बात, अब तक नहरों में पानी क्यों नहीं छोड़ा गया

 

बक्सर से नव निर्वाचित सांसद सुधाकर सिंह ने कहा कि जो किसानों से पंगा लेगा उससे हम पंगा लेते रहेंगे। मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री तक से हम सवाल करते रहते हैं। इस बार चुनाव में भी बनारस में पीएम मोदी दो राउंड पीछे चले थे वहां, हम लोगों ने किसानों की सभा की थी। किसानों के सवाल पर मैं किसी से समझौता नहीं कर सकता। जहां किसान आंदोलन हुए वहां बीजेपी हारी है। गुरुवार को सुधाकर सिंह ने पटना में भास्कर के सवालों पर ये बातें कहीं हैं।

सुधाकर सिंह ने कहा कि हम दर्जनों सभाएं बिहार में बड़े स्तर पर करेंगे। सोन के इलाकों में लोकसभा चुनाव परिणाम देख लीजिए, किसान आंदोलन की वजह से ही एक भी सीट इन इलाकों में बीजेपी नहीं जीत पाई। आगे कहा कि मेरी सबसे बड़ी जीत है कि जिन मुद्दों को लेकर मैंने बिहार में कृषि मंत्री पद से इस्तीफा दिया था, उनमें मंडी कानून, किसानों को अनाज का न्यूनतम समर्थन मूल्य के सवाल को अपने मेनिफेस्टो में गठबंधन इंडिया ने शामिल किया।

किसानों के आंदोलन जहां हुए वहां भाजपा हारी है। राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और बिहार में सोन के इलाकों में बीजेपी की करारी हार हुई है। केंद्र और बिहार सरकार किसान विरोधी है। दोनों के खिलाफ हम आंदोलन तेज करेंगे।

आगे कहा कि संसद में क्या होगा यह रूटीन अब तक सामने नहीं आया है। यह दुखद है कि संसद का कार्य संचालन मुख्यमंत्री और पीएम कार्यालय के जरिए हो रहा है। पार्लियामेंट में हमें बोलना का समय दिया जाएगा तो सदन में भी प्रमुखता से किसानों के मुद्दे को रखेंगे। विधानसभा की सीट मुझे बड़े सदन लोकसभा के लिए छोड़नी पड़ेगी। वहां मैं बिहार के हित में अधिक से अधिक सवाल राष्ट्रीय स्तर पर उठा सकूंगा। इसलिए यह मेरे लिए खुशी की बात है। उन्होंने कहा कि बक्सर से सांसद होने के बाद रामगढ़ की विधायकी से मैं शुक्रवार को इस्तीफा दे दूंगा। इसके बाद यहां से कौन उपचुनाव लड़ेंगे यह मेरी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल तय करेगा।

आगे सुधाकर सिंह बोले कि सोन के इलाकों के नहरों में अभी तक 10%भी पानी नहीं छोड़ा गया है जबकि पानी रिहन्द और वाण सागर का रिजर्व पड़ा हुआ है। बिहार के अंदर करमचक डैम का पानी भी खेतों में नहीं छोड़ा गया है। इससे दुखद कुछ नहीं हो सकता। किसान अभी तक खेतों में बीज नहीं डाल पाए हैं। मवेशियों को पीने का पानी का संकट है। लोगों को पीने के लिए पानी नहीं मिल रहा है। नहरों में पानी आएगा तो गांवों का वाटर लेवल भी ठीक होगा। चापाकल में भी पानी आएगा, लेकिन पानी नहीं छोड़े जाने से चारों तरफ हाहाकार की स्थिति है।

सांसद ने कहा कि उत्तर बिहार में 15 मई से खेती का समय है और दक्षिण बिहार में 25 मई से, लेकिन अभी तक नहरों में पानी नहीं छोड़ा गया है। समझौते में जो पानी मिलता है, वहां बुधवार की शाम तक पत्र नहीं गया था। मैं एक सप्ताह से अफसरों को चेता रहा हूं। कहा कि बिजली के जरिए भी खेती होती है। बिहार सरकार ने पत्र जारी किया है कि आठ घंटे कृषि फीडर में बिजली देंगे। जब बिहार में बिजली उपलब्ध है तो शहरों और उद्योगों के लिए 24 घंटे और किसानों के लिए आठ घंटे बिजली क्यों?

सांसद ने कहा कि जो यह कहते हैं कि एक देश में दो विधान नहीं चलेगा तो आखिर ये किसानों के साथ दोहरा व्यवहार क्यों कर रहे हैं? बिहार के बारे में कहा जाता है कि बिहार सरप्लस बिजली वाला स्टेट है तो फिर शहरों में बिजली कट क्यों हो रही है? या तो यहां बिजली सरप्लस नहीं है या फिर बिजली महंगी दर पर नेशनल ग्रिड को बेच रहे हैं।

कहा कि रात में चार-पांच घंटे बिजली शहर के कई हिस्सों में काटी जा रही है। सरकारी आंकड़ों में हेराफेरी भी हो सकती है। इस गर्मी में पटना के सत्ता के मंत्री, सेक्रेट्री के एसी बंद कर दिए जाएं तो वे बेहोश हो जाएंगे लेकिन आम लोगों को बिजली नियमित नहीं दी जा रही है।