तेज प्रताप की अलग राह से बिहार की सियासत में नई हलचल, 12 दिसंबर से ‘जनशक्ति जनता दल’ का महा सदस्यता अभियान शुरू
Bihar political update: बिहार की राजनीति इन दिनों एक नाज़ुक मोड़ पर खड़ी है। लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव अब पूरी तरह स्वतंत्र राजनीतिक राह पर कदम बढ़ा चुके हैं। राजद से अलग होने के बाद उन्होंने अपनी नई पार्टी जनशक्ति जनता दल के संगठन विस्तार पर तेज़ी से काम शुरू कर दिया है। इसी कड़ी में पार्टी का पहला बड़ा कार्यक्रम—महा सदस्यता अभियान 2025–28—12 दिसंबर से शुरू होने जा रहा है, जिसे राजनीतिक गलियारों में एक बड़े सियासी संदेश के तौर पर देखा जा रहा है।
तेज प्रताप यादव ने सोशल मीडिया के माध्यम से जानकारी साझा की कि अभियान का औपचारिक शुभारंभ 12 दिसंबर दोपहर 1 बजे, उनके सरकारी आवास 26 एम स्टैंड रोड से होगा। तेज प्रताप ने इसे सिर्फ सदस्यता कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक “वैचारिक आंदोलन” और “नए परिवार का विस्तार” बताया है।
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो यह घोषणा स्पष्ट रूप से बताती है कि तेज प्रताप अब पूरी तरह ‘अलग पहचान’ बनाने की दिशा में आगे बढ़ चुके हैं।
तेजस्वी के लिए बड़ा झटका—एक ही सोशल और जातीय आधार पर दो अलग राजनीतिक ध्रुव
लालू परिवार की राजनीति में पहली बार ऐसा हुआ है कि दो भाई एक-दूसरे के खिलाफ खुलकर लंबी सियासी पारी खेलने उतर आए हैं। 2025 के विधानसभा चुनाव में दोनों के समर्थक एक-दूसरे के खिलाफ मैदान में उतरे थे, और अब तेज प्रताप की नई पार्टी सीधे राजद के मूल वोट बैंक में सेंध लगा सकती है। सियासी विशेषज्ञों का कहना है कि यदि तेज प्रताप यादव अपनी नई पार्टी का नेटवर्क खड़ा करने में सफल रहे, तो यादव–अति पिछड़ा–युवा वर्ग का एक हिस्सा उनके साथ खिसक सकता है, जो राजद के लिए चिंताजनक होगा।
“राजद में वापसी से मर जाना अच्छा”—तेज प्रताप का बयान, संकेत साफ: अब वापसी नहीं
तेज प्रताप ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि वे अब किसी भी परिस्थिति में राजद में वापसी नहीं करेंगे। उनका यह बयान कि “राजद में लौटने से अच्छा मर जाना है” बताता है कि दोनों भाइयों के बीच खाई अब सियासी तौर पर स्थायी हो चुकी है।
उनकी सोशल मीडिया एक्टिविटी और निरंतर सुर्खियों में रहने की आदत उन्हें राजनीतिक रूप से हमेशा चर्चा में रखती है।
इसके साथ ही केंद्र सरकार से कुछ मौकों पर समर्थन जताना और बदले में सुरक्षा बढ़ाया जाना, राजनीतिक गलियारों में नए रिश्तों और संभावित नए समीकरणों के संकेत देता है।
परिणाम—राजद पर सीधी मार, बिहार की राजनीति में नया अध्याय
अगर जनशक्ति जनता दल अपना आधार मजबूत करता है, तो इसका सबसे बड़ा नुकसान राजद को होगा। यादव वोटों में विभाजन हुआ तो तेजस्वी यादव की नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठेंगे और लालू परिवार की एकता की छवि और कमजोर पड़ेगी। बिहार की राजनीति में यह नया समीकरण आने वाले महीनों में बड़ा असर डाल सकता है, क्योंकि यहाँ जातीय गठजोड़, पारिवारिक प्रभाव और व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा अक्सर पूरे चुनावी खेल को पलट देते हैं।