नीतीश कुमार के लिए 2025 में भारी पड़ सकते हैं ये 3 बड़े मुद्दे!, बढ़ सकती है CM की टेंशन
 

 

बिहार विधानसभा चुनाव में अभी करीब एक साल का वक्त है. सभी पार्टियां चुनाव की तैयारी में एक तरह से लग गई हैं. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव बिहार की यात्रा पर हैं तो कुछ ही दिनों में उपेंद्र कुशवाहा भी दौरा पर निकलने वाले हैं. संवाद कार्यक्रम के तहत यात्रा पर निकले तेजस्वी यादव ना सिर्फ सरकार को घेर रहे हैं बल्कि अभी से चुनावी वादे भी कर रहे हैं. कहा है कि उनकी सरकार बनती है तो प्रदेश में 200 यूनिट बिजली फ्री कर दी जाएगी. इसके साथ ही वह जमीन सर्वे को लेकर भी सवाल उठा रहे हैं. उधर चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर भी मैदान में हैं और वादा किया है कि सरकार बनती है तो एक घंटे में शराबबंदी खत्म कर देंगे. ऐसे में सवाल है कि लैंड, वाइन और स्मार्ट मीटर (LWS) का फैक्टर 2025 के चुनाव में नीतीश कुमार के लिए कितना चुनौतीपूर्ण होगा? 

बिहार में 20 अगस्त से जमीन का सर्वे हो रहा है. बिहार में जमीन सर्वे एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है. बीजेपी के ही कई नेताओं ने भूमि सर्वेक्षण को लेकर विरोध जताया है. बीते रविवार (15 सितंबर) को तेजस्वी यादव ने कहा कि जमीन सर्वे में भ्रष्टाचार बढ़ा है. स्मार्ट बिजली के मीटर में भ्रष्टाचार हो रहा है. बिजली महंगी हो गई है. इसकी खबर लेने वाला सरकार में कोई नहीं है. तेजस्वी ने कहा कि बिहार में अपराध सीमा चरम पर है. ब्लॉक या थाने चले जाइए किसी का काम नहीं होता. पुलिस का एक काम बच गया है शराबबंदी में पैसा वसूली करना. 

बिहार में जो इन दिनों तीन मुद्दों (जमीन सर्वे, शराब और स्मार्ट मीटर) को लेकर सरकार को घेरा जा रहा है. बिहार के राजनीतिक जानकार ने कहा कि जमीन सर्वे का काम जिस तरह से चल रहा है उससे लोगों में आक्रोश की स्थिति है. यह नीतीश सरकार के लिए खतरे की घंटी दिख है. 

राजनीतिक जानकार ने कहा कि जमीन सर्वे से कई लोगों में नाराजगी है. कुछ लोग खुश हैं लेकिन जो लोग बाहर रह रहे हैं उन्हें परेशानी हो रही है. कई लोगों के पास सही ढंग से कागजात नहीं हैं. बिहार सरकार के जो पदाधिकारी हैं वह सही ढंग से काम नहीं कर रहे हैं. किसी की जमीन किसी के नाम पर करने वाले अंचलाधिकारी या कर्मचारी भी जमीन सर्वे में वही काम कर रहे हैं. इससे लोगों का आक्रोश बढ़ा हुआ है.

बता दें कि आंध्र प्रदेश में जो जगनमोहन रेड्डी की सरकार थी तो उसने भी चुनावी साल में जमीन के रिकॉर्ड को डिजिटाइज करने की मुहिम शुरू की थी. इसका खामियाजा सत्ता से बाहर जाकर उठाना पड़ा. इसलिए बिहार सरकार को चुनाव में कोई दिक्कत ना उठाना पड़े इसके लिए सर्वे के काम को तत्काल बंद करना चाहिए नहीं तो आंध्र प्रदेश वाली स्थिति उत्पन्न हो सकती है.

स्मार्ट बिजली मीटर को भी एक बड़ा मुद्दा माना है. उन्होंने कहा कि स्मार्ट मीटर के बिजली बिल से लोग परेशान हैं और विपक्ष इसका फायदा उठाने में लगा है. तेजस्वी यादव ने अपनी सरकार आने पर 200 यूनिट बिजली फ्री करने का भी ऐलान कर दिया है. ऐसे में अगर समय रहते सरकार इस पर कदम नहीं उठाती है तो तेजस्वी यादव का यह ऐलान भारी पड़ सकता है. हालांकि सरकार चाहेगी तो इस पर कमांड कर सकती है.

बिहार में एक और मुद्दा है शराबबंदी का जिसे सरकार आने पर खत्म करने का ऐलान कर प्रशांत किशोर ने टेंशन दे दी है. इस पर संतोष कुमार कहते हैं कि शराबबंदी कोई बड़ी मुद्दा नहीं बन सकता है क्योंकि शराबबंदी को आठ साल हो गए हैं. इस बीच दो लोकसभा और एक विधानसभा चुनाव भी हुआ है और इसका असर नहीं दिखा. भले प्रशांत किशोर दावा कर रहे हों कि वह शराब चालू करवा देंगे लेकिन आज भी बिहार के लोग शराबबंदी के पक्ष में हैं. यही कारण है कि नीतीश कुमार को इस मुद्दे पर नुकसान नहीं हुआ है. प्रशांत किशोर भले इसको मुद्दा बना रहे हों, लेकिन बिहार विधानसभा चुनाव में इसका कोई असर नहीं पड़ने वाला है.