एनडीए की बैठक में तू-तू मैं-मैं: डिप्टी सीएम विजय सिन्हा और मंत्री अशोक चौधरी के बीच तीखी नोकझोंक, भाजपा विधायकों ने जताया विरोध
Patna: बिहार की राजनीति में सोमवार को उस वक्त गरमा-गरमी देखने को मिली, जब एनडीए विधायक दल की बैठक के दौरान डिप्टी सीएम विजय सिन्हा और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी मंत्री अशोक चौधरी के बीच तीखी बहस हो गई। मंच साझा कर रहे दोनों नेताओं के बीच तनातनी का आलम इतना बढ़ा कि बैठक का माहौल ही बदल गया।
सूत्रों के अनुसार, विवाद की चिंगारी उस वक्त भड़की जब ग्रामीण कार्य विभाग के एक कार्यक्रम में स्थानीय विधायक को न बुलाने का मुद्दा उठा। विजय सिन्हा ने इस पर खुलकर अपनी नाराजगी जताते हुए मंत्री अशोक चौधरी से जवाब तलब किया। मामला इतना तूल पकड़ गया कि एनडीए की अहम बैठक ही बहसबाज़ी के रंग में रंग गई।
गठबंधन धर्म पर सवाल
विजय सिन्हा ने कहा, “गठबंधन धर्म निभाना केवल एक दल की जिम्मेदारी नहीं है, सभी सहयोगियों को इसका सम्मान करना चाहिए।” उन्होंने स्पष्ट किया कि विधायक प्रहलाद यादव को सरकार गठन में समर्थन देने की बात पहले से शीर्ष नेतृत्व को पता थी।
ग्लोबल टेंडरिंग पर भी उठे सवाल
बैठक में बीजेपी विधायक ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू समेत कई विधायकों ने ग्लोबल टेंडरिंग नीति पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि इससे न सिर्फ ज़मीनी कार्य बाधित हो रहे हैं, बल्कि इसका राजनीतिक नुकसान भी उठाना पड़ रहा है। उनका कहना था कि यह नीति आम जनता की अपेक्षाओं पर खरी नहीं उतर रही है।
नल-जल योजना पर भी नाराजगी
बैठक में नल-जल योजना को लेकर भी भाजपा विधायकों ने गंभीर नाराजगी जताई। कई विधायक इस योजना में अनियमितता और प्रभावी क्रियान्वयन की कमी को लेकर अशोक चौधरी पर सवाल खड़े करते दिखे।
नीतीश कुमार की मौन उपस्थिति
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी इस बैठक में मौजूद थे, लेकिन पूरे घटनाक्रम पर उन्होंने कोई सार्वजनिक टिप्पणी नहीं की। हालाँकि, उनकी मौन उपस्थिति ने राजनीतिक विश्लेषकों के लिए कई संकेत छोड़ दिए हैं।
क्या संकेत दे रही है यह भिड़ंत?
एनडीए में सहयोगी दलों के बीच बढ़ती असहमति अब सतह पर दिखने लगी है। खासकर बीजेपी और जदयू के नेताओं के बीच कार्यशैली को लेकर मतभेद गहराते नज़र आ रहे हैं। क्या यह सियासी दरार आगे चलकर गठबंधन की दिशा तय करेगी या इसे सिर्फ “अंतर-पार्टी संवाद” मान लिया जाएगा? आने वाले दिनों में इसकी तस्वीर और साफ़ होगी।