वाल्मीकि संत भी बनेंगे शंकराचार्य, सनातन में नई शुरुआत का ऐलान-प्रचारि महंत राजू चंदेल
Bihar news: अखिल भारतीय महर्षि भगवान वाल्मीकि साधु अखाड़ा परिषद के प्रचारि महंत गुरुजी राजू चंदेल ने बड़ा ऐलान करते हुए कहा है कि आने वाले समय में भगवान वाल्मीकि समाज के संत भी शंकराचार्य बनाए जाएंगे। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि भगवान वाल्मीकि ही सनातन धर्म के मूल आधार हैं और रामायण की रचना के साथ ही सनातन धर्म को एक स्पष्ट दिशा मिली।
पत्रकारों से बातचीत में प्रचारि महंत राजू चंदेल ने कहा कि ऐतिहासिक रूप से वाल्मीकि समाज और उसके साधु-संतों की उपेक्षा होती रही है। न तो उनके अखाड़े को मान्यता दी गई और न ही शंकराचार्य परंपरा में उन्हें उचित स्थान मिला। लेकिन अब यह स्थिति बदलने जा रही है।
उन्होंने बताया कि भगवान वाल्मीकि समाज का अखाड़ा अब पूरी तरह संगठित और सशक्त रूप में सामने आ चुका है। इस अखाड़े के अंतर्गत मंडलेश्वर और महामंडलेश्वर नियुक्त किए जा चुके हैं। अगला कदम चारों दिशाओं में वाल्मीकि समाज से शंकराचार्य नियुक्त करने की प्रक्रिया शुरू करना है, जिस पर तेजी से काम किया जा रहा है।
प्रचारि महंत ने कहा कि वाल्मीकि समाज के साधु-संत अब आत्मनिर्भर, संगठित और शक्तिशाली हैं। उन्होंने दो टूक कहा कि जो अखाड़े या समाज वाल्मीकि अखाड़े को मान्यता नहीं देंगे, उन्हें भी किसी प्रकार की मान्यता नहीं दी जाएगी। यह किसी जाति, समाज या राजनीतिक दल के खिलाफ नहीं है, बल्कि अपने सम्मान और अधिकार की लड़ाई है।
उन्होंने यह भी कहा कि वाल्मीकि समाज सनातन परंपरा का अभिन्न हिस्सा है और अब अपने धार्मिक नेतृत्व को स्वयं स्थापित करेगा। आने वाले समय में देश और पूरे सनातन समाज के सामने वाल्मीकि अखाड़े के शंकराचार्य प्रस्तुत होंगे, जो एक नई धार्मिक और सामाजिक चेतना की शुरुआत होगी।
यह घोषणा न केवल वाल्मीकि समाज के लिए, बल्कि सनातन धर्म की संरचना में एक नए अध्याय के रूप में देखी जा रही है।