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Bihar Vidhansabha Chunav 2025: बेलसंड में चार ठाकुर उम्मीदवारों के बीच ‘प्रतिष्ठा की जंग’, जातीय समीकरण से गरमाया सियासी माहौल

 
Bihar Vidhansabha Chunav 2025: बेलसंड में चार ठाकुर उम्मीदवारों के बीच ‘प्रतिष्ठा की जंग’, जातीय समीकरण से गरमाया सियासी माहौल

Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में शिवहर लोकसभा क्षेत्र की बेलसंड सीट इस बार चर्चा के केंद्र में है। यहां मुकाबला सिर्फ दलों के बीच नहीं, बल्कि एक ही समाज के चार दिग्गज ठाकुर (राजपूत) उम्मीदवारों के बीच सियासी प्रतिष्ठा की लड़ाई में तब्दील हो गया है।

कभी समाजवाद की प्रयोगशाला रही बेलसंड- जहां से स्वर्गीय रघुवंश प्रसाद सिंह, रामसूरत सिंह और रामस्वरथ राय जैसे दिग्गजों ने राजनीति को नई दिशा दी थी—आज पूरी तरह राजपूती शक्ति प्रदर्शन का केंद्र बन गई है।

बदल चुके हैं समीकरण, बगावत से बढ़ी बसपा उम्मीदवार की ताकत

पिछले चुनाव में इस सीट से राजद के संजय गुप्ता विजयी हुए थे, जबकि जदयू की सुनीता सिंह चौहान दूसरे स्थान पर रहीं। मगर इस बार कहानी उलट गई है। सुनीता सिंह के पति राणा रणधीर सिंह चौहान, जिन्हें इस बार जदयू से टिकट नहीं मिला, उन्होंने बसपा का झंडा थाम लिया है।
दिलचस्प यह कि जदयू के कई स्थानीय नेता अब उन्हीं के समर्थन में उतर आए हैं, जिससे महागठबंधन के अंदर हलचल मच गई है। भाजपा की पूर्व सांसद रामदेवी के सांसद प्रतिनिधि मनोज कुमार भी अपने सैकड़ों समर्थकों के साथ बसपा में शामिल हो चुके हैं, जिससे राणा रणधीर की ताकत और बढ़ गई है।

जनसुराज की अर्पणा सिंह ने बदला खेल

वहीं जनसुराज पार्टी से मैदान में उतरीं अर्पणा सिंह, जो वर्तमान में छपरा पंचायत की मुखिया हैं, “बेटी बचाओ, बेटी को नेतृत्व दो” के भावनात्मक नारे के साथ जनता से सीधा संवाद कर रही हैं।
उन्हें अपने पति नितेश सिंह उर्फ महाराज और प्रशांत किशोर की छवि का सीधा राजनीतिक लाभ मिल रहा है। युवा मतदाताओं और महिला वोटरों के बीच उनका प्रभाव लगातार बढ़ रहा है।

एनडीए के अमित सिंह रानू का भरोसा मोदी-नीतीश पर

एनडीए की ओर से लोजपा (रामविलास) उम्मीदवार अमित सिंह रानू मैदान में हैं।
वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान की लोकप्रियता को पूंजी बनाकर वोट मांग रहे हैं। रानू का पूरा फोकस एनडीए के परंपरागत ठाकुर और अति पिछड़ा वोट बैंक को एकजुट करने पर है।

तेज प्रताप के समर्थक के रूप में मैदान में गरीब जनता दल

चौथे मोर्चे के रूप में गरीब जनता दल के उम्मीदवार विकास कृष्ण भी मैदान में हैं, जिन्हें तेज प्रताप यादव का समर्थन हासिल है। स्थानीय युवाओं में उनकी अच्छी पकड़ मानी जा रही है, खासकर उन इलाकों में जहां तेज प्रताप यादव का प्रभाव पहले से रहा है।

ठाकुर वोटों के बिखराव से बनेगी नई कहानी

बेलसंड में इस बार जातीय गणित बेहद पेचीदा है। चारों प्रमुख उम्मीदवार एक ही जातीय वर्ग (ठाकुर) से आते हैं, जिससे वोटों का बिखराव तय माना जा रहा है।
राजद को जहां एंटी-इनकंबेंसी और वोट डिवीजन की चुनौती है, वहीं एनडीए और जनसुराज दोनों ही इससे अप्रत्यक्ष फ़ायदा उठा सकते हैं।

अंतिम मुकाबला प्रतिष्ठा बनाम प्रभाव का

अब सवाल यह है कि बेलसंड की इस ‘राजपूती किलाबंदी’ में कौन बाज़ी मारेगा क्या राजद फिर से लालटेन जला पाएगी, या ठाकुर समाज किसी नए चेहरे को अपना प्रतिनिधि बनाएगा? एक बात तय है इस बार बेलसंड की लड़ाई सिर्फ सीट नहीं, सियासी प्रतिष्ठा की जंग बनने जा रही है।