Bihar Vidhansabha Chunav 2025: अमित शाह की एंट्री से थमी एनडीए की सियासी जंग, उपेंद्र कुशवाहा को मनाने में जुटा दिल्ली दरबार- सीट बंटवारे पर सस्पेंस हुआ खत्म
Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का बिगुल बजते ही सियासी बिसात पूरी तरह बिछ चुकी है, लेकिन एनडीए के भीतर टिकट बंटवारे को लेकर उठा बवंडर अब धीरे-धीरे शांत होता दिख रहा है। बीते कुछ दिनों में भाजपा, जदयू, लोजपा (चिराग), हम (मांझी) और आरएलएम (उपेंद्र कुशवाहा) के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर खींचतान ने गठबंधन के समीकरणों को हिला दिया था। हालात इतने तनावपूर्ण हो गए कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को सीधे दखल देना पड़ा, और दिल्ली में हुई एक अहम बैठक ने एनडीए की अंदरूनी खामोशी को तोड़ दिया।
सीट बंटवारे पर उठा तूफान
एनडीए ने पहले ही बीजेपी–101, जेडीयू–101, एलजेपी (चिराग)–29, हम–6 और आरएलएम–6 सीटों के फार्मूले की घोषणा की थी। लेकिन टिकट बांटने की प्रक्रिया शुरू होते ही अंदरूनी विरोध फूट पड़ा।
जेडीयू और लोजपा के बीच कई सीटों को लेकर टकराव खुलकर सामने आया।
नीतीश कुमार सोनबरसा, राजगीर, एकमा और मोरवा जैसी सीटें लोजपा के खाते में जाने से नाराज थे। इसके बावजूद चिराग पासवान ने इन सभी सीटों पर अपने उम्मीदवारों को सिंबल थमा दिया, जिससे जेडीयू के खेमे में असंतोष की लहर फैल गई।
बीजेपी बनी मध्यस्थ
बीजेपी ने दोनों पक्षों के बीच संतुलन बनाने की कोशिश की। तारापुर और तेघड़ा सीटें जेडीयू ने छोड़ीं, जिन्हें भाजपा ने अपने हिस्से में लिया और तारापुर से उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी को उम्मीदवार बनाया गया। वहीं इसके बदले जेडीयू ने कहलगांव सीट ले ली। जेडीयू की अंतिम सूची में 101 उम्मीदवारों के नाम शामिल किए गए, जिनमें कई सीटें पहले लोजपा के खाते में थीं।
कुशवाहा की नाराजगी से हिला एनडीए
एनडीए के भीतर सबसे बड़ा संकट उस वक्त खड़ा हो गया जब आरएलएम प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा अपनी महुआ सीट चिराग पासवान को दिए जाने से भड़क उठे।
उन्होंने नाराज होकर अपने सभी प्रत्याशियों को सिंबल देने की प्रक्रिया रोक दी।
हालात गंभीर होते देख अमित शाह ने कुशवाहा को दिल्ली बुलाया, और करीब एक घंटे चली बैठक में उनके मन की बात सुनी।
बैठक के बाद कुशवाहा ने कहा, लाखों कार्यकर्ताओं का मन आहत हुआ है, लेकिन मैं गठबंधन धर्म निभाऊंगा। बिहार में एनडीए की ही सरकार बनेगी। सूत्रों के मुताबिक, कुशवाहा को राज्यसभा या विधान परिषद की पेशकश कर उनकी नाराजगी दूर की गई।
जेडीयू-लोजपा में सीटों का फेरबदल
चिराग पासवान को 29 सीटें मिलना भी विवाद का कारण बना। जेडीयू और हम (मांझी) दोनों ही इससे असहज थे। जेडीयू को यह नागवार गुज़रा कि चिराग को उन इलाकों में बढ़त मिल रही थी जहां नीतीश कुमार की पकड़ मजबूत मानी जाती है। हालांकि बीजेपी ने समझौते के तहत गोविंदगंज और ब्रह्मपुर जैसी दो सीटें लोजपा को देकर तनाव कम किया।
गठबंधन में “अस्थायी सुकून”
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अमित शाह की एंट्री ने फिलहाल एनडीए को टूटने से बचा लिया है, लेकिन यह विवाद आगामी चुनाव तक दोबारा सिर उठा सकता है। एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा, “यह सीटों का नहीं, नेतृत्व और संतुलन का खेल है। बिहार में हर सीट के पीछे जातीय गणित और स्थानीय प्रभाव छिपा है।”
एनडीए में फिर लौटी मुस्कान, पर अंदरूनी आग बाकी
अमित शाह की मध्यस्थता के बाद कुशवाहा और नीतीश खेमे की नाराजगी कुछ हद तक कम हुई है। अब एनडीए की सभी पार्टियां एकजुटता का संदेश देने की कोशिश में हैं। हालांकि राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा तेज है कि बिहार में सीट बंटवारे का यह ड्रामा गठबंधन की मजबूरी और महत्वाकांक्षा- दोनों की झलक दिखा गया है।







