Bihar Vidhansabha Chunav 2025: तारापुर में सियासी भूचाल- VIP उम्मीदवार सकलदेव बिंद ने छोड़ी पार्टी, BJP को दिया समर्थन, कहा “अति पिछड़ों के सम्मान की लड़ाई है यह”
Tarapur, Bihar Election 2026: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के दूसरे चरण से पहले तारापुर विधानसभा का सियासी माहौल पूरी तरह गरमा गया है।
महागठबंधन को यहां बड़ा झटका लगा है, क्योंकि VIP के उम्मीदवार सकलदेव बिंद ने न सिर्फ पार्टी से इस्तीफा दे दिया, बल्कि खुलकर BJP और उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी को समर्थन देने का ऐलान कर दिया है।
अति पिछड़ों के साथ हुआ अन्याय-सकलदेव बिंद
रविवार को जारी अपने बयान में सकलदेव बिंद ने कहा कि पार्टी के भीतर उनके खिलाफ षड्यंत्र रचा गया और उनका टिकट काटा गया। उन्होंने कहा, अति पिछड़ा समाज के बेटे के साथ अन्याय हुआ है। पार्टी में मेरा टिकट षड्यंत्र के तहत छीना गया। मैं अब VIP छोड़ रहा हूं और बीजेपी को समर्थन दे रहा हूं। यह फैसला किसी राजनीतिक सौदेबाज़ी का नहीं, बल्कि जनता की आवाज़ का परिणाम है।
सकलदेव बिंद ने आगे कहा कि यदि तारापुर से राजद प्रत्याशी जीतता है, तो यह “अति पिछड़ों के सम्मान पर चोट” होगी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वे आज ही अपना नामांकन वापस लेंगे और एनडीए उम्मीदवारों के समर्थन में सक्रिय रहेंगे।
सियासी गलियारों में हलचल
उनके इस ऐलान ने बिहार की राजनीति में अचानक हलचल और हड़कंप मचा दिया है। तारापुर पहले से ही महागठबंधन और एनडीए के बीच कड़ी टक्कर वाला क्षेत्र माना जा रहा था, लेकिन अब समीकरण पूरी तरह से बदलते दिख रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, बिंद के इस कदम से महागठबंधन की रणनीति कमजोर हो सकती है, जबकि एनडीए की जमीनी पकड़ और मजबूत होगी।
अति पिछड़ा वर्ग की भूमिका पर फोकस
सकलदेव बिंद के फैसले ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि अति पिछड़ा वर्ग (EBC) बिहार की राजनीति में निर्णायक भूमिका निभा रहा है। स्थानीय समीकरणों में इस वर्ग की नाराज़गी या समर्थन, किसी भी पार्टी की जीत या हार का फैसला तय कर सकती है। बिंद का समर्थन अब सीधे तौर पर सम्राट चौधरी के पाले में गया है, जो खुद भी इसी सामाजिक वर्ग से आते हैं और एनडीए के “EBC कार्ड” को मज़बूती से खेल रहे हैं।
तारापुर में बदले समीकरण
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि सकलदेव बिंद का पार्टी छोड़ना महागठबंधन के लिए डबल झटका है- एक ओर वोटों का बिखराव तय है,
वहीं दूसरी ओर स्थानीय स्तर पर एनडीए का मनोबल बढ़ गया है। अब मुकाबला और अधिक दिलचस्प हो गया है, क्योंकि यहां का हर वोट जातीय, भावनात्मक और रणनीतिक समीकरण से जुड़ा हुआ है।
अब नजरें जनता के फैसले पर
तारापुर की सियासी ज़मीन अब नई करवट ले चुकी है। महागठबंधन जहां इस झटके से संभलने की कोशिश करेगा, वहीं एनडीए इसे अपने प्रचार अभियान की मजबूती के प्रतीक के रूप में पेश करेगा।
अब देखना यह होगा कि जनता किसके साथ खड़ी होती है- अति पिछड़ों के सम्मान की बात करने वाले बिंद के फैसले के साथ, या गठबंधन की पुरानी राजनीतिक परंपरा के साथ। तारापुर का चुनावी समर अब पहले से कहीं ज़्यादा रोमांचक, अप्रत्याशित और निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुका है।







