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Bihar Vidhansabha Chunav 2025: मोकामा में गरमाई सियासत, जन सुराज समर्थक की हत्या के बाद मैदान में उतरे अनंत सिंह

जन सुराज कार्यकर्ता दुलारचंद यादव की हत्या के बाद मोकामा का माहौल लगातार तनावपूर्ण है। इसी बीच पूर्व विधायक अनंत सिंह ने पहली बार खुलकर जनसंपर्क अभियान शुरू कर दिया है, जिससे इलाके की सियासी हलचल और तेज हो गई है।
 
Bihar Vidhansabha Chunav 2025: मोकामा में गरमाई सियासत, जन सुराज समर्थक की हत्या के बाद मैदान में उतरे अनंत सिंह

Bihar chunav 2025: बिहार की सियासत में मोकामा विधानसभा क्षेत्र एक बार फिर सुर्खियों के केंद्र में है। जन सुराज समर्थक दुलारचंद यादव की हत्या के बाद यहां का माहौल लगातार गरमा रहा है। इसी बीच शनिवार को पहली बार पूर्व विधायक अनंत सिंह खुले तौर पर जनता के बीच उतरे और मोकामा नगर परिषद क्षेत्र में तूफ़ानी जनसंपर्क अभियान की शुरुआत की।

हत्या के बाद बढ़ा तनाव, फिर भी सड़कों पर उतरे अनंत सिंह

गुरुवार को हुई दुलारचंद यादव की हत्या ने इस क्षेत्र की राजनीति को झकझोर दिया था। इस मामले में अनंत सिंह को मुख्य आरोपी बताया गया है। इसके बावजूद उन्होंने राजनीतिक मोर्चा थाम लिया है और अपने समर्थकों के साथ लगातार जनसभाएं कर रहे हैं। स्थानीय सूत्रों के अनुसार, घटना वाले दिन जन सुराज प्रत्याशी पीयूष प्रियदर्शी और जेडीयू उम्मीदवार अनंत सिंह के काफिले आमने-सामने आ गए थे। देखते ही देखते स्थिति बिगड़ी और पहले पथराव, फिर गोलीबारी हुई। इसी दौरान दुलारचंद यादव को गोली लगी और भगदड़ में एक वाहन ने उन्हें कुचल दिया। इस हिंसक झड़प में कई लोग घायल हुए थे।

अपराध, जाति और बाहुबल- मोकामा की पुरानी सियासी पहचान

मोकामा की राजनीति का इतिहास हमेशा से अपराध, जातीय समीकरण और बाहुबल के त्रिकोण से जुड़ा रहा है। दशकों से यह इलाका भूमिहार बाहुबलियों का गढ़ माना जाता है। ऐसे में दुलारचंद यादव जैसे गैर-भूमिहार नेताओं का उभरना हमेशा एक चुनौतीपूर्ण सफर रहा है। 1990 के दशक से अब तक मोकामा की चुनावी जंग कभी विचारों से नहीं, बल्कि ताकत और प्रभाव के खेल से तय होती रही है। हर बार यहां की राजनीति में गोलियों, गुंडों और गाड़ियों का शोर रहा है।

दुलारचंद यादव पर भी रहे कई आपराधिक आरोप

दुलारचंद यादव का नाम भी विवादों से दूर नहीं रहा। 1991 से 2010 के बीच उन पर हत्या, अपहरण, रंगदारी और अवैध हथियार रखने जैसे 11 मामले दर्ज हुए थे। कांग्रेस कार्यकर्ता सीताराम सिंह हत्याकांड में उनका नाम भी सामने आया था, जिसमें अनंत सिंह के भाई दिलीप सिंह और तत्कालीन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी आरोपी बनाया गया था। बाद में अदालत ने नीतीश कुमार और दुलारचंद दोनों को बरी कर दिया था। 2019 में पटना हाईकोर्ट ने इस मामले को पूरी तरह बंद कर दिया।

फिर से चर्चा में अनंत बनाम राजद की जंग

अब जबकि चुनावी रण दोबारा सज चुका है, मोकामा में अनंत सिंह बनाम राजद की टक्कर एक बार फिर सुर्खियों में है। हत्या, सियासत और जातीय समीकरणों के इस संगम ने मोकामा को बिहार की सबसे हॉट सीट बना दिया है। यहां की हर सभा, हर बयान और हर हलचल अब सिर्फ राजनीति नहीं, बल्कि भविष्य के वोट समीकरण तय कर रही है।