Bihar Vidhansabha Chunav 2025: छठ के बाद फिर से गरमाया सियासी माहौल, नीतीश कुमार आज मुजफ्फरपुर के गायघाट में करेंगे जनसभा
Bihar chunav 2025: छठ पर्व के समापन के साथ ही बिहार में चुनावी गहमागहमी एक बार फिर चरम पर है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आज मुजफ्फरपुर के गायघाट विधानसभा क्षेत्र के बेरुआ मैदान में जनसभा को संबोधित करेंगे। इस दौरान वे जदयू प्रत्याशी कोमल सिंह के पक्ष में वोट की अपील करेंगे और सरकार की उपलब्धियों का बखान करेंगे।
चुनाव प्रचार ने पकड़ी रफ्तार
छठ के बाद जैसे ही राजनीतिक दलों ने फिर से मैदान संभाला है, गायघाट की सियासत और भी दिलचस्प हो गई है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का यह दौरा न केवल जदयू के लिए अहम माना जा रहा है, बल्कि इसे एनडीए की रणनीतिक शुरुआत के रूप में भी देखा जा रहा है।
स्थानीय कार्यकर्ताओं के मुताबिक, आज की रैली में हजारों की भीड़ जुटने की उम्मीद है। मंच से नीतीश कुमार विकास, शिक्षा और कानून व्यवस्था के मुद्दों पर अपनी सरकार का रिपोर्ट कार्ड जनता के सामने रखेंगे।
गायघाट बनी हॉट सीट
मुजफ्फरपुर की गायघाट विधानसभा सीट इस बार हॉट सीट के रूप में उभर रही है। यहां जदयू की कोमल सिंह और राजद के वर्तमान विधायक निरंजन राय के बीच सीधी टक्कर मानी जा रही है। दोनों ही उम्मीदवार अपने-अपने समुदाय और संगठन पर मजबूत पकड़ रखते हैं।
कोमल सिंह को जहां अपने राजनीतिक विरासत का फायदा मिल रहा है, वहीं निरंजन राय अपने पांच साल के कार्यकाल और जनसंपर्क अभियान पर भरोसा जता रहे हैं।
राजनीतिक विरासत का फायदा
कोमल सिंह का परिवार लंबे समय से गायघाट की राजनीति में सक्रिय रहा है। उनकी मां बीना देवी पूर्व में गायघाट की विधायक रह चुकी हैं और वर्तमान में वैशाली की सांसद हैं। वहीं, उनके पिता जदयू के एमएलसी हैं। यह पारिवारिक राजनीतिक आधार अब उनके चुनावी अभियान की सबसे बड़ी ताकत बन चुका है।
नीतीश की एंट्री से बढ़ी हलचल
आज की जनसभा में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का आगमन जदयू समर्थकों के लिए उत्साह का बड़ा कारण है। पार्टी सूत्रों के अनुसार, नीतीश कुमार जनसभा में सुशासन, विकास कार्यों और कानून-व्यवस्था के मुद्दों पर जोर देंगे और जनता से कोमल सिंह को भारी मतों से जिताने की अपील करेंगे।
नतीजा किस ओर झुकेगा?
गायघाट में जातीय समीकरणों, विकास के वादों और पारिवारिक प्रभाव का दिलचस्प संगम देखने को मिल रहा है। एक ओर जहां राजद अपने पुराने वोट बैंक को बचाए रखने की कोशिश में है, वहीं जदयू अपने संगठनात्मक ढांचे और मुख्यमंत्री के भरोसे इस मुकाबले को अपने पक्ष में मोड़ने में जुटी है।







