Bihar Election 2025: अमित शाह का बिहार दौरा बना सियासी केंद्रबिंदु, चुनावी रणनीति और एनडीए एकजुटता पर होगी बड़ी चर्चा
Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की सरगर्मियां अब चरम पर हैं। एनडीए के प्रमुख घटक दल- भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और जदयू- अपने-अपने हिस्से की 101-101 सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा कर चुके हैं। उम्मीदवारों की घोषणा के साथ ही राज्य की राजनीति में हलचल तेज़ हो गई है। इसी बीच, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का तीन दिवसीय बिहार दौरा सियासी तौर पर बेहद अहम माना जा रहा है।
आज शाम पटना पहुंचेंगे अमित शाह
अमित शाह गुरुवार शाम पटना पहुंचेंगे और तीन दिन तक राज्य में रहेंगे। उनके इस दौरे का मकसद भाजपा के चुनावी अभियान, संगठनात्मक तैयारी और एनडीए के भीतर तालमेल को मजबूत करना बताया जा रहा है।
पहले दिन शाह भाजपा की चुनाव प्रबंधन समिति के साथ विस्तृत बैठक करेंगे। इस दौरान वे उम्मीदवारों की स्थिति, प्रचार की रणनीति और बूथ-स्तर की तैयारियों की समीक्षा करेंगे। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, शाह नेताओं को “अंतिम दौर की रणनीति” पर स्पष्ट दिशा देंगे ताकि भाजपा का अभियान और अधिक प्रभावी बनाया जा सके।
सारण में जनसभा, पटना में महत्वपूर्ण बैठकें
दूसरे दिन यानी 17 अक्टूबर को शाह सारण विधानसभा क्षेत्र में एक विशाल जनसभा को संबोधित करेंगे। माना जा रहा है कि यह सभा भाजपा के चुनावी अभियान की “औपचारिक शुरुआत” होगी। इसी दिन वे पटना के ज्ञान भवन में एक विशेष कार्यक्रम में शामिल होंगे, जहाँ संगठन, प्रचार प्रबंधन और सहयोगी दलों के बीच समन्वय पर चर्चा होगी। भाजपा के कई वरिष्ठ नेता और एनडीए के प्रतिनिधि इस बैठक में मौजूद रहेंगे।
तीसरे दिन एनडीए समरसता पर फोकस
अपने अंतिम दिन यानी 18 अक्टूबर को शाह की कई बैठकों का कार्यक्रम तय है। वे भाजपा के राज्य स्तरीय नेताओं के अलावा एनडीए के प्रमुख चेहरों से भी मुलाकात करेंगे।
सूत्रों के अनुसार, हाल के दिनों में सीट बंटवारे को लेकर जो असंतोष के स्वर उठे थे, शाह उन मतभेदों को सुलझाने की कोशिश करेंगे। इस मुलाकात का मकसद गठबंधन के भीतर एकता और तालमेल को मज़बूत करना है, ताकि चुनावी मोर्चे पर कोई दरार न दिखाई दे।
राजनीतिक मायने और प्रभाव
राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, अमित शाह का यह दौरा भाजपा और एनडीए दोनों के लिए “मोमेंटम बिल्डर” साबित हो सकता है। यह दौरा न सिर्फ़ चुनावी समीकरणों को संतुलित करने के लिहाज़ से अहम है, बल्कि भाजपा की रणनीतिक सक्रियता को भी नई दिशा देगा। शाह के आगमन से पार्टी कार्यकर्ताओं में जोश और आत्मविश्वास बढ़ना तय माना जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि शाह के इस दौरे से यह साफ़ संदेश जाएगा कि भाजपा अब पूरी ताक़त, संगठन और रणनीति के साथ बिहार चुनाव के मैदान में उतर चुकी है।







