Bihar Election 2025: भाजपा ने जारी की तीसरी और अंतिम सूची, 18 उम्मीदवारों के नामों का ऐलान- 16 मौजूदा विधायकों के कटे टिकट
Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने बुधवार देर रात अपनी तीसरी और अंतिम सूची जारी कर दी। इस सूची में 18 सीटों पर प्रत्याशियों के नाम घोषित किए गए हैं। इसके साथ ही पार्टी ने अपने 101 सीटों के कोटे में सभी उम्मीदवारों की घोषणा पूरी कर ली है।
इस बार भाजपा ने टिकट बंटवारे में बड़ा फेरबदल किया है। पार्टी ने 2020 में जीते 16 मौजूदा विधायकों को टिकट नहीं दिया है। इनमें विधानसभा अध्यक्ष नंदकिशोर यादव, पूर्व मंत्री रामप्रीत पासवान, वरिष्ठ नेता अमरेंद्र सिंह और रामसूरत राय जैसे बड़े नाम शामिल हैं। पार्टी ने साफ संदेश दिया है कि इस बार “परफॉर्मेंस और समीकरण” दोनों को तरजीह दी जाएगी।
बड़े नामों के कटे टिकट
पटना साहिब से नंदकिशोर यादव की जगह रत्नेश कुशवाहा को मैदान में उतारा गया है। यादव पिछले तीन दशक से विधायक रहे हैं। आरा से मौजूदा विधायक अमरेंद्र सिंह की जगह संजय टाइगर को मौका दिया गया है। अलीनगर से मिश्रीलाल यादव की जगह युवा चेहरा मैथिली ठाकुर को उम्मीदवार बनाया गया है।
गौड़ा बौराम से स्वर्णा सिंह की जगह उनके पति सुजीत सिंह, जबकि रीगा से मोतीलाल प्रसाद की जगह बैद्यनाथ प्रसाद को टिकट मिला है। सीतामढ़ी से मिथिलेश कुमार की जगह सुनील पिंटू, और राजनगर (सुरक्षित) से रामप्रीत पासवान की जगह सुजीत पासवान को उम्मीदवार बनाया गया है।
कई सीटों पर नए चेहरे
नरपतगंज से जयप्रकाश यादव की जगह देवयंती यादव, औराई से रामसूरत राय की जगह रमा निषाद को टिकट दिया गया है। कटोरिया (सुरक्षित) से निक्की हेंब्रम की जगह पूरनलाल टुडू, कुम्हरार से अरुण सिन्हा की जगह संजय गुप्ता, मुंगेर से प्रणव कुमार की जगह कुमार प्रणय, बाढ़ से ज्ञानेंद्र ज्ञानू की जगह डॉ. सियाराम सिंह,
छपरा से सीएन गुप्ता की जगह छोटी कुमारी,
गोपालगंज से कुसुम देवी की जगह सुभाष सिंह,
रामनगर से भागीरथी देवी की जगह नंदकिशोर राम,
नरकटियागंज से रश्मि वर्मा की जगह संजय पांडे,
और पीरपैंती से ललन पासवान की जगह मुरारी पासवान को टिकट मिला है।
युवाओं और नए नेतृत्व पर भरोसा
भाजपा की इस फाइनल लिस्ट में युवा और नए चेहरों को प्राथमिकता दी गई है। पार्टी ने कई सीटों पर परिवारिक और सामाजिक समीकरण को साधने की कोशिश की है। कुछ जगहों पर हाल ही में दूसरे दलों से आए नेताओं या उनके परिजनों को भी मौका मिला है।
पार्टी के रणनीतिकारों का मानना है कि यह चुनाव भाजपा “नए जोश और युवा नेतृत्व” के साथ लड़ेगी। बदलाव की यह नीति भाजपा के भीतर “जनता के मूड” के मुताबिक नई रणनीति का संकेत देती है-जिसमें पुराने चेहरों के बजाय जमीन पर सक्रिय कार्यकर्ताओं को तरजीह दी जा रही है।







