Bihar Election 2025: अपराधी या जननायक? हथकड़ी पहनकर नामांकन करने पहुंचे धर्मेंद्र क्रांतिकारी बने चुनावी चर्चा का केंद्र
Bihar Election 2925: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण के नामांकन के दौरान गोपालगंज में एक ऐसा नज़ारा देखने को मिला, जिसने बिहार की राजनीति और लोकतंत्र की दिशा पर सवाल खड़े कर दिए। बरौली विधानसभा सीट से जनशक्ति जनता दल (JJD) के प्रत्याशी धर्मेंद्र क्रांतिकारी, जो इस समय जेल में बंद हैं, शुक्रवार को हथकड़ी पहने और पुलिस सुरक्षा से घिरे नामांकन दाखिल करने पहुंचे।
हथकड़ी में दाखिल किया नामांकन
कलेक्ट्रेट कार्यालय के बाहर अचानक जब हथकड़ी लगाए धर्मेंद्र क्रांतिकारी पुलिस घेरे में पहुंचे, तो वहां मौजूद भीड़ कुछ पल के लिए सन्न रह गई। मंच पर पहुंचते ही उन्होंने अपना नामांकन दाखिल किया और भावुक होकर कहा, मैंने गलत नहीं किया, बस व्यवस्था के खिलाफ आवाज़ उठाई है। नामांकन के बाद धर्मेंद्र ने एक गीत भी गाया, जिसमें उन्होंने “सिस्टम के अन्याय” और “जनता के संघर्ष” की बात की। गाने के दौरान उनका चेहरा भीग चुका था, और भीड़ में मौजूद कुछ लोग उनके समर्थन में नारे लगाने लगे।
दो दर्जन से ज्यादा आपराधिक मामले
धर्मेंद्र क्रांतिकारी पर हत्या, अपहरण और रंगदारी जैसे गंभीर आरोपों के करीब दो दर्जन मुकदमे दर्ज हैं। फिलहाल वे न्यायिक हिरासत में हैं, लेकिन अदालत की अनुमति से उन्हें नामांकन के लिए लाया गया। जानकार बताते हैं कि धर्मेंद्र बरौली और आसपास के इलाकों में स्थानीय प्रभावशाली चेहरा माने जाते हैं।
तेज प्रताप यादव की पार्टी JJD ने दिया टिकट
धर्मेंद्र को टिकट तेज प्रताप यादव की नवगठित पार्टी जनशक्ति जनता दल (JJD) ने दिया है। JJD अब तक 21 प्रत्याशियों के नाम घोषित कर चुकी है, जिनमें धर्मेंद्र क्रांतिकारी का नाम सबसे ज़्यादा सुर्खियों में है| राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इस उम्मीदवार को टिकट देना इस बात का संकेत है कि राजनीति में अपराध और जनसमर्थन के बीच की रेखा अब धुंधली हो चुकी है।
भीड़ की प्रतिक्रिया- नायक या अपराधी?
धर्मेंद्र के हथकड़ी में नामांकन का दृश्य सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया। कई लोगों ने इसे “जननायक का प्रतीकात्मक विरोध” बताया, तो कुछ ने इसे लोकतंत्र की विफलता कहा।
स्थानीय लोगों का कहना है कि धर्मेंद्र ने क्षेत्र में गरीबों के लिए कई काम किए हैं, जबकि विरोधी दलों का आरोप है कि वे “डर और प्रभाव के ज़रिए राजनीति” कर रहे हैं।
हथकड़ी बनी “सियासी प्रतीक”
धर्मेंद्र क्रांतिकारी का यह दृश्य अब बिहार की राजनीति का नया प्रतीक बन चुका है जहाँ हथकड़ी अब सिर्फ अपराध की निशानी नहीं, बल्कि विरोध और पीड़ा की राजनीति का प्रतीक बनती जा रही है।
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि यह घटना बिहार की उस जमीनी सच्चाई को उजागर करती है, जहाँ भावनाएँ और जातीय पहचान कानून से ज़्यादा असर रखती हैं।
सवाल कायम
यह दृश्य केवल एक व्यक्ति की कहानी नहीं, बल्कि उस सियासी सोच की झलक है जहाँ जनसमर्थन के नाम पर अपराध भी वैधता पा जाता है।
अब सबसे बड़ा सवाल यही है
कया मतदाता अब उम्मीदवार का चरित्र नहीं, बल्कि उसकी जातीय पहचान और भावनात्मक छवि को वोट देंगे? बरौली की यह तस्वीर बिहार चुनाव 2025 की सियासी हकीकत को उजागर करती है, जहाँ लोकतंत्र की परिभाषा धीरे-धीरे “हथकड़ी से जननायक” तक सिमटती दिख रही है।







