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Bihar Election 2025: महागठबंधन में अब तीन डिप्टी सीएम की चर्चा तेज, पप्पू यादव के बयान से सियासत में मचा हलचल

 
Bihar Election 2025: महागठबंधन में अब तीन डिप्टी सीएम की चर्चा तेज, पप्पू यादव के बयान से सियासत में मचा हलचल

Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के बीच सियासी पारा लगातार चढ़ता जा रहा है। सीट बंटवारे और चेहरे को लेकर चली महीनों की खींचतान के बाद अब महागठबंधन ने आखिरकार मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री पद के चेहरों की घोषणा कर दी है। बीते दिन तेजस्वी यादव को महागठबंधन का मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित किया गया, जबकि वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी को उपमुख्यमंत्री पद का चेहरा बनाया गया। कांग्रेस के बिहार प्रभारी और राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने यह भी संकेत दिया था कि एक और डिप्टी सीएम किसी अन्य दल से होंगे।

लेकिन अब, पूर्णिया सांसद पप्पू यादव के बयान ने राजनीतिक हलचल और बढ़ा दी है। उन्होंने दावा किया है कि अगर बिहार में INDIA गठबंधन की सरकार बनती है, तो राहुल गांधी दलित और मुस्लिम समुदाय से एक-एक उपमुख्यमंत्री बनाएंगे। यानी, बिहार को दो नहीं, बल्कि तीन डिप्टी सीएम मिल सकते हैं।

पप्पू यादव का बड़ा दावा

पप्पू यादव ने सोशल मीडिया पर लिखा, बिहार में INDIA गठबंधन की सरकार बनेगी तो हमारे नेता राहुल गांधी जी दलित और मुस्लिम समुदाय से एक-एक उपमुख्यमंत्री अवश्य बनाएंगे। वे हमेशा सभी समाजों को समुचित प्रतिनिधित्व देने के पक्षधर रहे हैं। उनके पिता राजीव गांधी जी तारिक अनवर साहब को मुख्यमंत्री बनाना चाहते थे, जबकि इंदिरा गांधी जी ने भोला पासवान शास्त्री और अब्दुल गफूर साहब को मुख्यमंत्री बनाया था। इस ट्वीट के बाद राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज हो गई है कि क्या महागठबंधन सत्ता में आने पर तीन उपमुख्यमंत्री बनाने की तैयारी में है।

महागठबंधन में बढ़ी अंदरूनी खींचतान

गौरतलब है कि तेजस्वी यादव को सीएम फेस घोषित करने से पहले महागठबंधन में कई दौर की बैठकों और खींचतान का दौर चला। वीआईपी सुप्रीमो मुकेश सहनी को उपमुख्यमंत्री घोषित किए जाने के बाद यह माना जा रहा था कि गठबंधन में समीकरण संतुलित हो गए हैं। लेकिन पप्पू यादव के ताजा बयान ने संकेत दे दिए हैं कि महागठबंधन के अंदर जातीय और सामुदायिक समीकरणों को लेकर अभी भी जोड़-घटाव जारी है।

तीन डिप्टी सीएम फॉर्मूला – सियासी संतुलन या नया विवाद?

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पप्पू यादव का यह बयान एक रणनीतिक संकेत हो सकता है, जो दलित और मुस्लिम मतदाताओं को साधने की कोशिश है।
वहीं, दूसरी ओर यह बयान गठबंधन के भीतर “शक्ति-संतुलन” की बहस को भी नया मोड़ दे सकता है।