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Bihar Election 2025: जेडीयू ने जारी की उम्मीदवारों की सूची, नीतीश कुमार ने फिर साधा सामाजिक और जातीय संतुलन

 
Bihar Election 2025: जेडीयू ने जारी की उम्मीदवारों की सूची, नीतीश कुमार ने फिर साधा सामाजिक और जातीय संतुलन

Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर जनता दल (यूनाइटेड) ने अपने 101 उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है। इस सूची से एक बार फिर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि उनकी प्राथमिकता इस बार भी सामाजिक संतुलन और जातीय समीकरणों को साधने की होगी। पार्टी ने हर वर्ग- पिछड़ा, अति पिछड़ा, अनुसूचित जाति, सामान्य, अल्पसंख्यक और महिला- को प्रतिनिधित्व देने की कोशिश की है।

कुशवाहा और कुर्मी समाज को मिला प्रमुख स्थान

जेडीयू की सूची में कुशवाहा समुदाय के 13 और कुर्मी समाज के 12 उम्मीदवारों को टिकट दिया गया है। इसके अलावा यादव और धानुक समुदाय से 8-8 प्रत्याशी उतारे गए हैं।
भूमिहार समाज से 9, राजपूत वर्ग से 10 और ब्राह्मण समुदाय से 2 उम्मीदवारों को मौका दिया गया है। दलित समुदाय से 5 मांझी (मुसहर), 5 रविदास, जबकि पासी और पासवान-धोबी समाज से 1-1 उम्मीदवार मैदान में हैं।

अति पिछड़ों पर नीतीश का खास फोकस

जेडीयू ने अति पिछड़े वर्ग में भी जातीय संतुलन पर विशेष ध्यान दिया है। इस वर्ग में मल्लाह, तेली, कंहार, सोनार, नाई, लोहार, बढ़ई, रजक जैसी जातियों को प्रतिनिधित्व दिया गया है। कुल 37 उम्मीदवार ऐसे हैं जो अति पिछड़ा या पिछड़ा वर्ग से आते हैं।

मुस्लिम समाज से 4 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं, जबकि अनुसूचित जाति से 15 और अनुसूचित जनजाति से 1 उम्मीदवार को टिकट मिला है।

महिलाओं को भी दी गई अहम जगह

जेडीयू की सूची में इस बार 13 महिला उम्मीदवारों को मौका दिया गया है। यह आंकड़ा दिखाता है कि पार्टी ने लैंगिक संतुलन और महिलाओं की भागीदारी को भी प्राथमिकता दी है।
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कुल मिलाकर, जेडीयू ने इस बार भी अपने पारंपरिक “लव-कुश समीकरण” (कुशवाहा-कुर्मी) पर भरोसा जताते हुए व्यापक सामाजिक संतुलन का संदेश दिया है।

2020 के मुकाबले बदला जातीय समीकरण

वर्ष 2020 में जेडीयू ने कुल 115 उम्मीदवार उतारे थे, जिनमें कुशवाहा – 15, कुर्मी – 12, यादव – 18, मुस्लिम – 11, भूमिहार – 10, धानुक – 8, राजपूत – 7, अति पिछड़ा – 19, वैश्य – 3, ब्राह्मण – 2 और जनजाति – 1 प्रत्याशी थे।

इस बार मुस्लिम, यादव और भूमिहार उम्मीदवारों की संख्या में कमी आई है, जबकि कुशवाहा और अति पिछड़ा वर्ग के प्रतिनिधित्व में वृद्धि दर्ज की गई है।

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि नीतीश कुमार ने इस बार की सूची से यह संकेत दिया है कि जेडीयू की रणनीति “संतुलन और समीकरण आधारित राजनीति” पर टिकी है। जातीय प्रतिनिधित्व के साथ-साथ महिला और अल्पसंख्यक वर्ग को स्थान देकर पार्टी ने एक बार फिर अपना “सामाजिक न्याय मॉडल” पेश किया है।