Bihar Election 2025: तेजस्वी का “माई-बाप” कार्ड- एमवाई से आगे बढ़कर बहुजन समीकरण साधने की नई कोशिश
Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव के बीच राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने इस बार अपनी सियासी रणनीति को नया रूप दिया है। तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनाते हुए पार्टी ने पारंपरिक एम-वाई समीकरण (मुस्लिम-यादव) को विस्तार देने की ठानी है। इसी के तहत विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के प्रमुख मुकेश सहनी को INDIA गठबंधन का डिप्टी सीएम उम्मीदवार घोषित किया गया।
इस कदम के साथ RJD ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि अब लड़ाई सिर्फ एम-वाई तक सीमित नहीं, बल्कि एक बड़े “माई-बाप” (MY-BAAP) गठबंधन की है — जिसमें मुस्लिम, यादव, बहुजन, आदिवासी और पिछड़े वर्ग सब शामिल हैं।
जाति गणना से निकला नया समीकरण
2022 में हुए जाति सर्वेक्षण के आंकड़ों ने बिहार की सियासत को नया आयाम दिया। सर्वे के मुताबिक —
• एनडीए का परंपरागत आधार: 10.6% सवर्ण, 9.5% कुर्मी-कुशवाहा, 5.3% पासवान और 3.6% मुसहर समुदाय यानी करीब 29% वोट शेयर।
• महागठबंधन का मजबूत आधार: 17.7% मुस्लिम, 14.3% यादव और CPI(ML) समर्थक लगभग 3%, यानी करीब 35% वोट शेयर।
अब दोनों ही गठबंधन 25% के करीब आने वाले EBC (अति पिछड़े वर्ग) वोट बैंक को साधने की कोशिश में हैं, जो बिहार के असली “किंगमेकर” माने जाते हैं।
मुकेश सहनी का समीकरण- एनडीए के किले पर सेंध
निषाद समुदाय (EBC) के नेता मुकेश सहनी को डिप्टी सीएम चेहरा बनाकर RJD ने एनडीए के दो दशक पुराने जातीय कॉम्बिनेशन को चुनौती दी है।
राजनीतिक संदेश साफ है- यादव जैसे प्रभुत्वशाली वर्ग अब EBC समुदाय को लीडरशिप की साझेदारी देने के लिए तैयार हैं।
इसके साथ ही तेजस्वी यादव ने इस बार सवर्णों, खासकर भूमिहार समाज से कई प्रत्याशी उतारकर “A to Z” (सभी वर्गों) को साथ लाने की रणनीति पर काम किया है।
63% आबादी-चुनावी खेल का असली केंद्र
बिहार की 63% आबादी OBC वर्ग की है, जो आगे दो हिस्सों में बंटी है —
• BC (पिछड़ा वर्ग): यादव, कुर्मी, बनिया, कोइरी/कुशवाहा जैसी जातियां, जिन्हें मंडल राजनीति से सबसे ज़्यादा लाभ मिला।
• EBC (अति पिछड़ा वर्ग): करीब 112 जातियां, जो सामाजिक रूप से अब भी हाशिये पर हैं।
इन्हीं दो ब्लॉकों के भीतर असली सियासी मुकाबला चल रहा है। राजद का दांव है कि मुस्लिम (17.7%), यादव (14.3%) और CPI(ML) समर्थकों को मिलाकर उसका आधार 35% से अधिक है। वहीं NDA, अपने सवर्ण–पासवान–कुर्मी–कुशवाहा वोट बैंक के साथ लगभग 29% तक ठहरता है।
EBC वोटों पर ‘खेला’ जारी
नीतीश कुमार ने अपने शासनकाल में कानून और योजनाओं के ज़रिए EBC वर्ग को NDA के साथ जोड़ा था, जिससे एक “यादव-विरोधी बैकवर्ड ब्लॉक” बना।
अब RJD उसी ब्लॉक को तोड़ने की रणनीति में जुटा है। तेजस्वी का “माई-बाप समीकरण” दरअसल इसी कवायद का हिस्सा है-जिसमें मुसलमान और यादव तो स्थायी आधार हैं, लेकिन सहनी जैसे नेता जोड़कर RJD अब उन 25% EBC मतदाताओं तक पहुंचना चाहती है जो अभी निर्णायक भूमिका में हैं।







