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'जन सुराज' की सोच के साथ अब तक 9 जिलों में जा चुके हैं प्रशांत किशोर, समाज के सभी वर्ग के लोगों का मिल रहा समर्थन

 

सालों तक चुनावी रणनीतिकार के तौर पर काम कर चुके प्रशांत किशोर इन दिनों जेठ और आषाढ़ की तपतपाती धूप और उमस भरी गर्मी में बिहार के अलग-अलग जिलों में जा रहे हैं. 5 मई को 'जन सुराज' अभियान की घोषणा के बाद प्रशांत किशोर जन सुराज की सोच के साथ बिहार के लोगों के साथ लगातार संवाद स्थापित कर रहे हैं. उनकी योजना है कि 2 अक्तूबर से प्रस्तावित पदयात्रा से पहले हर उस व्यक्ति, संगठन और समूहों से मिलने का प्रयास किया जाए जो जन सुराज की सोच को समझना चाहते हैं और बिहार की बेहतरी के लिए कुछ करना चाहते हैं.

Prashant Kishor says no political party for now, announces 'padyatra' in  Bihar | India News,The Indian Express

प्रशांत किशोर 29 मई को वैशाली पहुंचे और 5 दिनों तक जिले के अलग-अलग प्रखंड और गांव में जाकर हजारों लोगों से संवाद स्थापित किया. इसके बाद से उनका ये सिलसिला निरंतर जारी है. प्रशांत किशोर हर जिले में जिन समूहों से मिल रहे हैं उनमें समाज के अलग अलग क्षेत्रों में अच्छा काम करने वाले लोगों की एक लंबी सूची है. प्रशांत किशोर समाजसेवियों, चिकित्सकों, अधिवक्ताओं, महिला सशक्तिकरण की मिशाल पेश कर रहीं महिलाओं, युवाओं, पत्रकारों, पंचायती राज व्यवस्था से जुड़े जनप्रतिनिधियों जैसे की जिला परिषद के सदस्य, मुखिया, ब्लॉक प्रमुख, सरपंच, पंचायत समिति के सदस्य और समाज के अलग अलग वर्गों से आने वाले लोगों से मिल रहे हैं और उनसे जन सुराज पर संवाद कर रहे हैं.

प्रशांत किशोर के कार्यक्रम को अगर देखेंगे तो वो सामान्य तौर पर होने वाले किसी नेता के कार्यक्रम से बहुत अलग होता है. ये कार्यक्रम वहां के स्थानीय लोग आयोजित करते हैं और प्रशांत किशोर को बुलाते हैं. प्रशांत किशोर कार्यक्रम की शुरुआत आमतौर पर अपने परिचय से करते हैं और लोगों को जन सुराज की सोच के बारे में विस्तार से बताते हैं. जन सुराज की सोच के बारे में जानकारी देते हुए वे कहते हैं कि इस अभियान का उद्देश्य किसी दल के लिए कार्यकर्ता खोजना नहीं है, इसका उद्देश्य एक नई राजनीतिक व्यवस्था बनना है और उसके लिए संस्थापक खोजना है.

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प्रशांत किशोर अपने संबोधन में 'सही लोग, सही सोच और सामूहिक प्रयास' के नारे पर जोर देते हुए कहते हैं कि यह अभियान सही लोगों को खोजने का है, इसीलिए समाज में घूम रहे हैं. समाज को मथने से ही सही लोगों का चुनाव संभव है. सही सोच का मतलब वो बताते हैं कि वैसे लोग जो बिहार की खुशहाली और बेहतरी में अपनी खुशहाली और बेहतरी देखते हों, जो सचमुच चाहते हों की बिहार भी विकास के सभी मापदंडों में देश के अग्रणी राज्यों में शामिल हो और बिहार के लोगों को रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ सेवाओं के लिए पलायन नहीं करना पड़े, और इन सब के लिए सामूहिक प्रयास ही एकमात्र रास्ता है.

प्रशांत किशोर कहते हैं, "अगर कोई व्यक्ति या दल ये समझता है कि वो अकेले बिहार में परिवर्तन ला सकता है तो ये गलत है, किसी भी बदलाव के लिए सामूहिक प्रयास की जरूरत होती है और जब सही लोग सही सोच के साथ सामूहिक प्रयास करेंगे तभी बिहार को देश के अग्रणी राज्यों की सूची में शामिल कराया जा सकता है." प्रशांत किशोर के कार्यक्रमों की सबसे बड़ी खासियत ये होती है कि वो जितना समय अपने संबोधन में लगाते हैं उससे ज्यादा समय लोगों के सवालों का जवाब देते हैं. कार्यक्रम में शामिल कोई भी व्यक्ति प्रशांत किशोर से किसी भी तरह का सवाल पूछ सकता है और प्रशांत सभी के सवालों का जवाब देते हैं और सबको संतुष्ट करने का प्रयास करते हैं.

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वैसे बता दें प्रशांत किशोर जिन जिलों में जा रहे हैं वहां सर्किट हाउस में ठहर रहे हैं. आमतौर पर उनके दिन की शुरुआत 8 बजे सुबह से हो जाती है. सर्किट हाउस में जिले के कई लोग प्रशांत किशोर से मिलने आए होते हैं, उनसे मुलाकात के बाद लगभग 10 बजे से वो संवाद कार्यक्रमों के लिए निकल जाते हैं और ये कार्यक्रम देर रात 10-11 बजे तक लगातार चलते हैं. कार्यक्रमों के बीच में ही दोपहर और रात का भोजन भी होता है. हर जिले में प्रशांत किशोर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से मीडिया के साथियों के साथ भी संवाद करते हैं और जन सुराज की सोच को उनके सामने रखते हैं. 

प्रशांत किशोर के कार्यक्रम में शामिल होने वाले लोग बताते हैं कि प्रशांत किशोर ने बहुत कठिन काम का बीड़ा उठाया है, उनकी सोच साफ और स्पष्ट है, लेकिन वो कितना सफल होंगे ये इस बात पर निर्भर करता है कि वो बिहार में कितने समय तक रहते हैं. प्रशांत किशोर लोगों की इस शंका को जीवित रखने के लिए कहते हैं और बताते हैं कि जब तक आपको यकीन न हो जाए कि मैं यहीं रहूंगा और बिहार के लिए ही काम करूंगा तब तक आप हमारे साथ मत जुड़िए. साल दो साल में जब मैं यहां काम करूंगा तब आपको विश्वास हो जाएगा कि मैं कहीं नहीं जा रहा हूं और बिहार के लिए समर्पित तौर पर काम कर रहा हूं. किशोर कहते हैं कि मेरी कथनी नहीं, करनी पर भरोसा कीजिए. आमलोग ये भी मानते हैं कि बिहार ने जिन नेताओं पर भरोसा किया, जिनको जिताया उसके बाद भी बिहार आज देश के सबसे पिछड़े राज्यों में शामिल है.

जानकारी के लिए बता दें वैशाली से जन सुराज अभियान की शुरुआत करने के बाद प्रशांत किशोर अब तक 9 जिलों में जा चुके है. इनमें सीवान, मुजफ्फरपुर, जहानाबाद, पूर्वी चंपारण, पश्चिम चंपारण, गोपालगंज, सारण और समस्तीपुर शामिल है. आने वाले दिनों में प्रशांत किशोर का अन्य जिलों में भी जाने का कार्यक्रम है. प्रशांत किशोर बताते हैं कि सितंबर अंत तक वैसे सभी लोगों से मिलने का प्रयास करना है जिन्होंने हमसे संपर्क किया है या जिनसे हमने संपर्क किया है. फिर उसके बाद पदयात्रा के समय सभी जिलों में एक लंबा समय बिताने का मौका मिलेगा तब हर उस सही व्यक्ति से मिलेंगे जो बिहार की बेहतरी के लिए कुछ अच्छा कर रहे हैं या करना चाहते हैं.

इस पूरे अभियान का ही उद्देश्य है सभी सही लोगों को एक साथ एक मंच पर लाना. ये तो आने वाले समय में ही पता चलेगा कि प्रशांत किशोर का ये अभियान कितना सफल होता है लेकिन इतना तो कहा जा सकता है कि प्रशांत किशोर इस बार अधिक आत्मविश्वास से भरे नजर आ रहे हैं और बिहार के लोग उनके इस अभियान को एक आशा की दृष्टि से देख रहे हैं.

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