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सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी आरक्षण को लेकर हाईकोर्ट को दिया ये निर्देश, नगर निकाय चुनाव में आरक्षण को लेकर फंस सकता है पेंच

 

बिहार में हो रहे नगर निकाय चुनाव में आरक्षण को लेकर पेंच फंस सकता है. निकाय चुनाव में आरक्षण को लेकर मामला सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुना गया. सुप्रीम कोर्ट में एक याचिकाकर्ता ने ओबीसी आरक्षण के लिए सुप्रीम कोर्ट की तरफ से जारी निर्देशों को लागू करने के लिए राज्य और उसके पदाधिकारियों को निर्देश देने का अनुरोध किया था. इस मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाई कोर्ट से जल्द सुनवाई करने के लिए कहा है. 

सुप्रीम कोर्ट में स्थानीय निकायों में अन्य पिछड़ा वर्ग यानी ओबीसी आरक्षण को लागू करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा है कि पटना हाईकोर्ट इस मामले में जल्द सुनवाई करे। याचिकाकर्ता सुनील कुमार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया था।दिसंबर, 2021 में शीर्ष कोर्ट ने कहा था कि स्थानीय निकायों में ओबीसी के लिए आरक्षण की अनुमति तब तक नहीं दी जायेगी, जब तक कि सरकार सुप्रीम कोर्ट के 2010 के आदेश में निर्धारित ‘तीन जांच' की अर्हता पूरी नहीं कर लेती है.

तीन जांच के प्रावधान
तीन जांच के प्रावधान के तहत राज्य को प्रत्येक स्थानीय निकाय में ओबीसी के पिछड़ेपन पर आंकड़े जुटाने के लिए एक विशेष आयोग गठित करने और आयोग की सिफारिशों के आलोक में प्रत्येक स्थानीय निकाय में आरक्षण का अनुपात तय करने की जरूरत है. साथ ही, यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/ ओबीसी के लिए इस तरह के आरक्षण की सीमा कुल सीट संख्या के 50 प्रतिशत को पार नहीं करे.

सीट को पुन:अधिसूचित किया जाये
शीर्ष न्यायालय ने कहा था कि जब तक ‘तीन जांच' की अर्हता पूरी नहीं कर ली जाती है, ओबीसी सीट को सामान्य श्रेणी की सीट के तहत पुन:अधिसूचित किया जाये. न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने इस बात का जिक्र किया कि नगर निकाय चुनाव 10 अक्टूबर 2022 को होने हैं और यदि उच्च न्यायालय याचिका की इससे पहले सुनवाई करता है, तो यह उपयुक्त होगा. पीठ ने कहा, ‘‘मुख्य न्यायाधीश 23 सितंबर 2022 को समाप्त हो रहे मौजूदा सप्ताह के दौरान सुविधानुसार याचिका की सुनवाई कर सकते हैं.

सुनील कुमार की याचिका पर सुनवाई
न्यायालय ने सुनील कुमार नाम के एक व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह कहा. कुमार ने बिहार सरकार के एक अप्रैल 2022 के एक पत्र को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय का रुख किया था. पत्र के जरिये बिहार सरकार ने राज्य निर्वाचन आयोग को नगर निकाय चुनाव कराने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए सूचित किया था. याचिकाकर्ता ने ओबीसी आरक्षण के लिए इस न्यायालय द्वारा जारी निर्देशों को लागू करने के लिए राज्य और उसके प्राधिकारों को निर्देश देने का अनुरोध किया था.