बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए एयरफोर्स ने संभाला मोर्चा, हेलिकॉप्टर से फूड्स पैकेट्स की एयर ड्रॉपिंग
बिहार में बाढ़ से 9 लाख से ज्यादा आबादी प्रभावित हुई है। गांवों से लेकर खेत तक सब जलमग्न हैं। राज्य के 16 जिलों में बाढ़ का कहर देखने को मिला। सबसे ज्यादा कोसी और गंडक के तटबंधों पर बसे लोगों को बाढ़ का दंश झेलना पड़ रहा है। इस बीच बाढ़ प्रभावित इलाकों में राहत कार्यों में एयरफोर्स की मदद ली गई है। वायुसेना के हेलीकॉप्टर से फूड पैकेट्स की एयर ड्रॉपिंग की जा रही है। इससे पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का एरियल सर्वे किया था।
हवाई सर्वे के बाद सीएम नीतीश ने अधिकारियों को युद्ध स्तर पर राहत कार्य चलाने का निर्देश दिया है। उन्होने कहा कि अगर पीड़ितों के बीच राहत सामग्री पहुंचाने में परेशानी हो रही हो, तो वायु सेना की मदद से वहां फूड पैकेट पहुंचाए जाएं। साथ ही जल संसाधन विभाग को पूरी तरह मुस्तैद रहने का निर्देश दिया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जहां लोग तटबंधों पर शरण लिए हुए हैं। वहां पर्याप्त रोशनी शौचालय और बुनियादी सुविधाओं का ख्याल रखा जाए। वहां राहत कार्य युद्ध स्तर पर चलाए जाएं। इसके अलावा कम्युनिटी किचन से लोगों को तत्काल भोजन भी उपलब्ध कराया जाए। लोगों को किसी तरह की कोई परेशानी न हो इसका पूरा ख्याल रखा जाए।
आपको बता दें गंडक, सिकरहना और कोसी नदियों के आक्रामक तेवर से उत्तर और पूर्वी बिहार के बड़े इलाके में तबाही मची है। पश्चिम व पूर्वी चंपारण, शिवहर, सीतामढ़ी और दरभंगा में आठ तटबंधों के टूट जाने से बाढ़ का पानी 400 से ज्यादा गांवों में घुस गया है। उधर, सुपौल व सहरसा के बाद सोमवार को कोसी का पानी मधेपुरा और खगड़िया जिले के कई गांवों में फैल गया।
सीतामढ़ी, शिवहर और दरभंगा में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। हजारों लोगों ने बांधों या ऊंचे स्थानों पर शरण ले रखी है। पीड़ा और दहशत के बीच घरों की छतों, तटबंधों व एनएच पर लोग समय बिताने को मजबूर हैं। कई गांव टापू बने हुए हैं। उन्हें भोजन, पानी, बच्चों के लिए दूध व दवा समेत अन्य आवश्यक सामग्री के लिए कई तरह की परेशानियों से जूझना पड़ रहा है।
दरभंगा के किरतपुर प्रखंड के भुवौल गांव में रविवार देर रात कोसी के टूटे तटबंध का दायरा करीब चार सौ मीटर हो गया है। इससे बिरौल अनुमंडल के करीब 40 गांवों में बाढ़ का पानी घुस गया है। 50 हजार से अधिक लोगों ने पश्चिमी कोसी तटबंध पर शरण ले ली है। सीतामढ़ी के बेलसंड, परसौनी व रुन्नीसैदपुर प्रखंड के सैकड़ों घरों और सरकारी दफ्तरों में तीन से चार फीट पानी है। सड़कों का अस्तित्व खत्म हो गया है।
राज्य के बाढ़ प्रभावित जिलों में धान, मक्का, केला, सब्जी आदि की 1.5 लाख हेक्टेयर में फसल की क्षति का प्रारंभिक आकलन है। कृषि मंत्री मंगल पांडेय ने बताया कि बाढ़ से फसलों को कितना नुकसान हुआ है, इस संबंध में अधिकारियों से आकलन रिपोर्ट मांगी है। मंगलवार को क्षति की समीक्षा होगी। किसानों को सहायता दी जाएगी। कृषि सचिव संजय कुमार अग्रवाल ने बताया कि जिला कृषि पदाधिकारी प्रभावित क्षेत्र में खुद जाकर आकलन करेंगे।