Bihar Election 2025: लालगंज में महागठबंधन में फूटी दरार, कांग्रेस ने उतारा उम्मीदवार तो राजद नेता मुन्ना शुक्ला की बेटी ने किया बगावत का ऐलान
Bihar news: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 जैसे-जैसे नज़दीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे महागठबंधन के भीतर दरारें गहराती जा रही हैं। सीट बंटवारे पर सहमति न बनने के बीच कई सीटों पर सहयोगी दलों के बीच सीधा टकराव देखने को मिल रहा है। इसी क्रम में वैशाली की लालगंज विधानसभा सीट पर महागठबंधन की मुश्किलें और बढ़ गई हैं।
कांग्रेस-राजद आमने-सामने
जानकारी के मुताबिक, कांग्रेस ने बिना किसी अंतिम समझौते के लालगंज सीट से अपना प्रत्याशी उतार दिया, जबकि इस सीट पर पिछले तीन सालों से राजद नेता मुन्ना शुक्ला की बेटी शिवानी शुक्ला तैयारी में जुटी थीं। कांग्रेस के इस कदम से शिवानी शुक्ला और उनके समर्थकों में नाराजगी फैल गई है।
शिवानी शुक्ला ने कांग्रेस पर “विश्वासघात” और “गद्दारी” का आरोप लगाते हुए निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। उन्होंने कहा, जब मैं तीन साल से लगातार क्षेत्र में काम कर रही थी, तब मेरा टिकट क्यों काटा गया? कांग्रेस ने मेरे साथ अन्याय किया है। मैं निर्दलीय चुनाव लड़ूंगी और तेजस्वी यादव को समर्थन दूंगी।
क्षेत्र में बढ़ी हलचल, जनता का मिला समर्थन
गुरुवार की शाम लालगंज और भगवानपुर प्रखंडों से सैकड़ों कार्यकर्ता शिवानी शुक्ला के समर्थन में जुटे। बैठक में लोगों ने कहा कि सिंबल कागज़ का टुकड़ा है, जनता का साथ असली ताकत है। कार्यकर्ताओं ने एकजुट होकर शिवानी शुक्ला से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतरने का आग्रह किया और जीत का भरोसा दिलाया। बैठक में प्रमुख रूप से मुखिया गणेश राय, गौरीशंकर पांडेय, सत्यनारायण राय, गणेश सिंह, जितेंद्र राय, वीरचंद्र राय, बीरेंद्र यादव, विनोद पंजीयार, मोहम्मद बसीरुद्दीन, रमणलाल यादव, राजमणि देवी और कांग्रेस नेता अक्षय शुक्ला मौजूद थे।
लालगंज हमारी कर्मभूमि, जनता हमारी ताकत
शिवानी शुक्ला ने समर्थकों को संबोधित करते हुए कहा कि लालगंज उनकी कर्मभूमि है और यहां की जनता उनका परिवार। उन्होंने कहा, लोग मुझे मुन्ना शुक्ला की बेटी के रूप में नहीं, बल्कि अपने परिवार की बेटी मानते हैं। मैं इस आशीर्वाद के भरोसे मैदान में उतर रही हूं। कार्यकर्ताओं ने दावा किया कि वर्ष 2000 में मुन्ना शुक्ला ने लालगंज से रिकॉर्ड मतों से जीत दर्ज की थी, और इस बार इतिहास दोहराया जाएगा।
महागठबंधन में असंतोष की लहर
लालगंज सीट पर यह टकराव महागठबंधन के लिए बड़ी चुनौती बन गया है।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि बिना सीट बंटवारे के सिंबल बांटने की जल्दबाज़ी से गठबंधन के भीतर मतभेद खुलकर सामने आ गए हैं। यह स्थिति न सिर्फ कार्यकर्ताओं के मनोबल को प्रभावित कर रही है, बल्कि कई सीटों पर वोट बैंक बिखरने का खतरा भी बढ़ा रही है।
क्या दोहराएगा इतिहास खुद को?
लालगंज की सियासत में शुक्ला परिवार की गहरी जड़ें हैं। मुन्ना शुक्ला के समर्थकों का मानना है कि दल बदलते रहते हैं, लेकिन जनता का भरोसा कायम रहता है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि निर्दलीय मैदान में उतरने वाली शिवानी शुक्ला क्या लालगंज में वही इतिहास दोहरा पाएंगी, या कांग्रेस का नया दांव असर दिखाएगा। चुनाव नज़दीक हैं, हवा गरम है और लालगंज की राजनीति एक बार फिर वफादारी बनाम विद्रोह की जंग में बदलती दिख रही है।







