Bihar Land Registry: बिहार में महंगी हो सकती है जमीन-फ्लैट की रजिस्ट्री, सरकार ने एमवीआर बढ़ाने की प्रक्रिया शुरू की
Bihar News: बिहार में जमीन या फ्लैट खरीदने की तैयारी कर रहे लोगों के लिए आने वाले दिन जेब पर भारी पड़ सकते हैं। करीब एक दशक बाद राज्य सरकार ने निबंधन (रजिस्ट्री) की न्यूनतम मूल्य दर यानी मिनिमम वैल्यू रेट (MVR) में बढ़ोतरी की दिशा में कदम बढ़ा दिया है। इसके लिए मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग ने सभी जिलों को एमवीआर की समीक्षा कर रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है।
सभी जिलों में बनेगी नई मूल्य सूची
विभाग ने जिलाधिकारियों की अध्यक्षता में गठित जिला मूल्यांकन समितियों को मौजूदा जमीन के बाजार भाव का आकलन करने को कहा है। ये समितियां शहरी और ग्रामीण इलाकों में जमीन के प्रकार और उपयोग के आधार पर नई दरों की सिफारिश करेंगी। इसके बाद राज्य सरकार इन प्रस्तावों पर अंतिम फैसला लेगी।
जानकारी के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्रों में वर्ष 2013 और शहरी क्षेत्रों में 2016 के बाद से एमवीआर में कोई संशोधन नहीं किया गया है। इस दौरान जमीन की बाजार कीमतें कई गुना बढ़ चुकी हैं।
बाजार भाव और सरकारी दर में बढ़ी खाई
बीते वर्षों में खासकर राष्ट्रीय राजमार्गों, मुख्य सड़कों और नए विकसित इलाकों में जमीन के दाम तेजी से चढ़े हैं। इसके मुकाबले सरकारी रजिस्ट्री दर काफी पीछे रह गई है। इसी अंतर को कम करने के लिए सरकार एमवीआर में बदलाव की तैयारी कर रही है। अधिकारियों का मानना है कि इससे निबंधन और स्टांप शुल्क से सरकारी राजस्व में भी इजाफा होगा।
ऐसे होगा जमीन का वर्गीकरण
ग्रामीण इलाकों में भूमि को व्यावसायिक, औद्योगिक, आवासीय, राष्ट्रीय व मुख्य सड़कों के किनारे की भूमि, सिंचित-असिंचित कृषि भूमि, बलुआही, पथरीली, दियारा और चंवर भूमि जैसी श्रेणियों में बांटा जाएगा।
वहीं शहरी क्षेत्रों में प्रधान सड़क, मुख्य सड़क, शाखा सड़क और गलियों में स्थित व्यावसायिक व आवासीय भूमि के साथ औद्योगिक भूमि का अलग-अलग मूल्यांकन किया जाएगा।
नए इलाकों पर रहेगी खास नजर
सूत्रों के अनुसार मुख्य सड़कों से सटे इलाकों और तेजी से विकसित हो रहे क्षेत्रों में बाजार दर के अनुरूप ही एमवीआर तय करने की तैयारी है। इससे जमीन की सरकारी कीमत और वास्तविक बाजार भाव के बीच लंबे समय से बना अंतर काफी हद तक कम हो सकता है।
हालांकि, एमवीआर बढ़ने का सीधा असर रजिस्ट्री शुल्क पर पड़ेगा और जमीन या फ्लैट खरीदना पहले से महंगा हो सकता है। अब सभी की नजरें जिला मूल्यांकन समितियों की रिपोर्ट और राज्य सरकार के अंतिम फैसले पर टिकी हैं।







