Movie prime

विकसित भारत’ के निर्माण में शिक्षा पर मंथन: सूरत में राष्ट्रीय शैक्षिक कार्यशाला, डॉ. संदीप सागर और डॉ. हरीश दास को मिली अहम जिम्मेदारी

 
सूरत स्थित वीर नर्मद दक्षिण गुजरात विश्वविद्यालय (VNSGU) परिसर में 25 से 28 दिसंबर 2025 तक “विकसित भारत में शिक्षा की भूमिका” विषय पर एक भव्य राष्ट्रीय शैक्षिक कार्यशाला का आयोजन किया गया। यह आयोजन सरदार वल्लभभाई राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (SVNIT), वीर नर्मद दक्षिण गुजरात विश्वविद्यालय और शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में संपन्न हुआ।  इस चार दिवसीय कार्यशाला में देशभर से आए कुलपति, शिक्षाविद, नीति विशेषज्ञ और शिक्षा प्रशासकों ने हिस्सा लिया। मंच से राष्ट्रीय शिक्षा नीति–2020, भारतीय ज्ञान परंपरा, कौशल विकास, शोध एवं नवाचार जैसे विषयों पर गहन विचार-विमर्श हुआ। वक्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि विकसित भारत का सपना तभी साकार होगा, जब शिक्षा को मूल्य, नवाचार और कौशल से जोड़ा जाएगा।  कार्यशाला में शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास की राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं भारतीय विश्वविद्यालय संघ की सचिव डॉ. पंकज मित्तल, राष्ट्रीय सचिव अतुल कोठारी, राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष सुरेश गुप्ता, राष्ट्रीय संयोजक ए. विनोद, सह-संयोजक डॉ. संजय स्वामी और डॉ. राजेश्वर पाराशर सहित अनेक वरिष्ठ शिक्षाविद मौजूद रहे। पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय, पटना के सीनेट सदस्य अजय यादव और जयप्रकाश विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. परमेंद्र बाजपेई की उपस्थिति ने कार्यक्रम को और गरिमा प्रदान की।  संगठन में नई जिम्मेदारियों की घोषणा  इसी मंच से शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास में संगठनात्मक स्तर पर महत्वपूर्ण घोषणाएं भी की गईं। दक्षिण बिहार प्रांत के संयोजक डॉ. संदीप सागर को न्यास के प्रतियोगिता प्रकल्प का राष्ट्रीय सह-संयोजक मनोनीत किया गया, जबकि डॉ. हरीश दास को दक्षिण बिहार प्रांत का प्रांत संयोजक बनाया गया। इन नियुक्तियों की औपचारिक घोषणा राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष सुरेश गुप्ता ने की।  न्यास के संरक्षक एवं नालंदा खुला विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. के. सी. सिन्हा, एनआईटी पटना के निदेशक डॉ. पी. के. जैन, प्रांत अध्यक्ष प्रो. अरुण कुमार सिंह, प्रांत सह-संयोजक सुशील कुमार सिंह और न्यास संयोजक डॉ. संजय कुमार ने दोनों नवनियुक्त पदाधिकारियों को बधाई दी।  कार्यक्रम के समापन पर सभी शिक्षाविदों ने भरोसा जताया कि नए नेतृत्व के साथ शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास विश्वविद्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों में अपने कार्यों को और अधिक प्रभावी, संगठित और गतिशील रूप देगा, जिससे विकसित भारत की नींव और मजबूत होगी।

Bihar news: सूरत स्थित वीर नर्मद दक्षिण गुजरात विश्वविद्यालय (VNSGU) परिसर में 25 से 28 दिसंबर 2025 तक “विकसित भारत में शिक्षा की भूमिका” विषय पर एक भव्य राष्ट्रीय शैक्षिक कार्यशाला का आयोजन किया गया। यह आयोजन सरदार वल्लभभाई राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (SVNIT), वीर नर्मद दक्षिण गुजरात विश्वविद्यालय और शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में संपन्न हुआ।

इस चार दिवसीय कार्यशाला में देशभर से आए कुलपति, शिक्षाविद, नीति विशेषज्ञ और शिक्षा प्रशासकों ने हिस्सा लिया। मंच से राष्ट्रीय शिक्षा नीति–2020, भारतीय ज्ञान परंपरा, कौशल विकास, शोध एवं नवाचार जैसे विषयों पर गहन विचार-विमर्श हुआ। वक्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि विकसित भारत का सपना तभी साकार होगा, जब शिक्षा को मूल्य, नवाचार और कौशल से जोड़ा जाएगा।

कार्यशाला में शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास की राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं भारतीय विश्वविद्यालय संघ की सचिव डॉ. पंकज मित्तल, राष्ट्रीय सचिव अतुल कोठारी, राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष सुरेश गुप्ता, राष्ट्रीय संयोजक ए. विनोद, सह-संयोजक डॉ. संजय स्वामी और डॉ. राजेश्वर पाराशर सहित अनेक वरिष्ठ शिक्षाविद मौजूद रहे। पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय, पटना के सीनेट सदस्य अजय यादव और जयप्रकाश विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. परमेंद्र बाजपेई की उपस्थिति ने कार्यक्रम को और गरिमा प्रदान की।

संगठन में नई जिम्मेदारियों की घोषणा

इसी मंच से शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास में संगठनात्मक स्तर पर महत्वपूर्ण घोषणाएं भी की गईं। दक्षिण बिहार प्रांत के संयोजक डॉ. संदीप सागर को न्यास के प्रतियोगिता प्रकल्प का राष्ट्रीय सह-संयोजक मनोनीत किया गया, जबकि डॉ. हरीश दास को दक्षिण बिहार प्रांत का प्रांत संयोजक बनाया गया। इन नियुक्तियों की औपचारिक घोषणा राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष सुरेश गुप्ता ने की।

न्यास के संरक्षक एवं नालंदा खुला विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. के. सी. सिन्हा, एनआईटी पटना के निदेशक डॉ. पी. के. जैन, प्रांत अध्यक्ष प्रो. अरुण कुमार सिंह, प्रांत सह-संयोजक सुशील कुमार सिंह और न्यास संयोजक डॉ. संजय कुमार ने दोनों नवनियुक्त पदाधिकारियों को बधाई दी।

कार्यक्रम के समापन पर सभी शिक्षाविदों ने भरोसा जताया कि नए नेतृत्व के साथ शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास विश्वविद्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों में अपने कार्यों को और अधिक प्रभावी, संगठित और गतिशील रूप देगा, जिससे विकसित भारत की नींव और मजबूत होगी।