बिहार TRE-4 बहाली में बदलाव: अब 10वीं या 12वीं बिहार से की हो तो ही मिलेगा आरक्षण, जानिए पूरी खबर
Patna: बिहार में नौकरी की तैयारी कर रहे युवाओं के लिए एक बड़ी और राहत भरी खबर सामने आई है। राज्य सरकार ने शिक्षक बहाली को लेकर डोमिसाइल नीति को मंजूरी दे दी है। अब बीपीएससी की आने वाली शिक्षक भर्ती परीक्षा (TRE-4) में बिहार के स्थानीय उम्मीदवारों को लगभग 85% सीटों पर आरक्षण मिलेगा।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस फैसले का एलान 4 अगस्त को किया था और 5 अगस्त को हुई कैबिनेट मीटिंग में इसे मंजूरी भी मिल गई।
क्या है नई डोमिसाइल नीति?
सरकार ने साफ कर दिया है कि डोमिसाइल का फायदा केवल उन्हें मिलेगा जिन्होंने बिहार से 10वीं या 12वीं की पढ़ाई की हो। यानी अगर किसी के पास बिहार का स्थायी निवास प्रमाणपत्र है लेकिन उसने स्कूल की पढ़ाई राज्य से बाहर की है, तो उसे आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा। कैबिनेट विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ ने बताया कि डोमिसाइल के तौर पर उम्मीदवारों को बिहार में की गई मैट्रिक या इंटर की पढ़ाई के प्रमाण (जैसे मार्कशीट या सर्टिफिकेट) देने होंगे।
किसे होगा फायदा?
- बिहार में पढ़ाई करने वाले लाखों छात्रों को सीधा फायदा मिलेगा।
- अब TRE-4 परीक्षा की कुल सीटों में 84.4% (करीब 85%) सीटें सिर्फ बिहार के छात्रों के लिए आरक्षित होंगी।
- केवल 15% सीटों पर ही दूसरे राज्यों के उम्मीदवार आवेदन कर सकेंगे।
क्यों लिया गया यह फैसला?
पिछले तीन चरणों की बीपीएससी शिक्षक बहाली में बिहार से बाहर के हजारों उम्मीदवार (ज्यादातर यूपी से) चयनित हुए थे। इससे स्थानीय युवाओं में नाराजगी थी। अब सरकार ने उसी कमी को दूर करने के लिए यह कदम उठाया है।
शिक्षक भर्ती पर क्या असर होगा?
- TRE-4 के लिए शिक्षा विभाग ने रिक्त पदों की जानकारी जुटानी शुरू कर दी है।
- अब तक कक्षा 9 से 12 तक के 25 हजार से ज्यादा पद खाली हैं।
- उम्मीद है कि सितंबर के पहले हफ्ते में परीक्षा की तारीख का ऐलान हो जाएगा।
और क्या बदलेगा?
- अब सामान्य वर्ग के पदों में भी 65% डोमिसाइल आरक्षण लागू हो गया है।
- महिलाओं को मिलने वाले 35% आरक्षण में भी पूरी तरह से डोमिसाइल की अनिवार्यता लागू हो चुकी है।
नतीजा क्या होगा?
इस फैसले से बिहार के युवाओं को अपने ही राज्य में नौकरी पाने का बेहतर और सुरक्षित मौका मिलेगा। साथ ही राज्य के स्कूलों में स्थानीय भाषाओं, रीति-रिवाजों और समाज की बेहतर समझ रखने वाले शिक्षक मिल सकेंगे, जो शिक्षा की गुणवत्ता में भी सुधार लाएंगे।







