मतदाता पुनरीक्षण पर बवाल: रालोजपा बोली- आयोग का दावा झूठा है!
Patna: राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (रालोजपा) और दलित सेना के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रवण कुमार अग्रवाल ने बिहार की वोटर लिस्ट से 65 लाख नाम हटाए जाने को लेकर चुनाव आयोग पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने सीधे तौर पर आरोप लगाया कि आयोग पारदर्शिता के दावे कर रहा है, लेकिन असल में हकीकत कुछ और है।
हमने तो सिर्फ दो विधानसभा क्षेत्रों की सूची देखी
प्रवक्ता श्र अग्रवाल ने बताया कि 2 अगस्त 2025 को जब उनकी पार्टी के राज्य कार्यालय को चुनाव आयोग की ओर से सूची दी गई, तो उसमें सिर्फ 178-मोकामा और 191-बिक्रम विधानसभा क्षेत्रों की ड्राफ्ट लिस्ट शामिल थी। उन्होंने सवाल उठाया, "अगर आयोग ने सच में 65 लाख नाम हटाए हैं, तो वह पूरी लिस्ट सभी दलों को क्यों नहीं मिली?" रालोजपा को अब तक कोई ऐसी सूची नहीं दी गई, जिसमें यह जानकारी हो कि कौन-कौन से नाम हटाए गए हैं।
भ्रामक और गुमराह करने वाला दावा
श्री अग्रवाल ने चुनाव आयोग के उस बयान को "पूरी तरह भ्रामक और झूठा" बताया, जिसमें कहा गया था कि मृतक, प्रवासी, डुप्लीकेट और अन्य अनुपयुक्त नाम हटाकर उसकी जानकारी राजनीतिक दलों से साझा की गई है। उन्होंने कहा, इस तरह का दावा जनता को भ्रमित करने वाला है। जब सही जानकारी ही साझा नहीं की गई, तो यह पारदर्शिता कैसी?
एक ही घर में सैकड़ों फर्जी नाम!
रालोजपा प्रवक्ता ने 1 अगस्त को प्रकाशित की गई प्रारूप मतदाता सूची पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि पटना समेत कई जिलों में एक ही घर और छत के नीचे सैकड़ों फर्जी नाम दर्ज कर दिए गए हैं। यह स्थिति बताती है कि चुनाव आयोग ने बिना पूरी जांच के ही काम को अंजाम दिया है।
क्या हटाए गए नामों में विदेशी नागरिक भी थे?
श्री अग्रवाल ने चुनाव आयोग से यह स्पष्ट करने की मांग की कि जिन 65 लाख नामों को हटाया गया, उनमें कितने बांग्लादेशी या विदेशी नागरिक शामिल थे? उन्होंने कहा कि, यदि आयोग पारदर्शिता नहीं दिखाता और राजनीतिक दलों को साफ जानकारी नहीं देता, तो रालोजपा सड़क पर उतरकर जनआंदोलन चलाने को मजबूर होगी। यह मुद्दा सिर्फ एक पार्टी की नाराजगी नहीं, बल्कि लोकतंत्र की पारदर्शिता से जुड़ा है। यदि वोटर लिस्ट जैसी बुनियादी चीज़ में ही गड़बड़ी हो, तो सवाल तो बनता है।







