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लल्लू मुखिया के घर की होने वाली कुर्की पर कोर्ट ने तीन दिनों तक लगाई रोक

 

पटना हाईकोर्ट ने दो वर्ष पुराने हत्याकांड में बाढ़ के लल्लू मुखिया की गिरफ्तारी या घर की कुर्की-जब्ती पर तीन दिनों की रोक लगा दी है। पटना पुलिस की ओर से बाढ़ के लल्लू मुखिया को सह अभियुक्त बनाकर उनकी गिरफ्तारी के लिए की जा रही कार्रवाई पर कोर्ट ने आश्चर्य प्रकट करते हुए यह आदेश दिया है। साथ ही इस केस के आईओ को केस डायरी के साथ कोर्ट में गुरुवार को हाजिर रहने का आदेश दिया। न्यायमूर्ति चंद्रशेखर झा की एकलपीठ ने करणवीर यादव उर्फ लल्लू मुखिया की ओर से दायर अर्जी पर सुनवाई के बाद यह आदेश दिया।

आवेदक की ओर से वरीय अधिवक्ता चितरंजन सिन्हा ने कोर्ट को बताया कि दो वर्ष पूर्व बाढ़ थाने में एक हत्या हुई थी। इसको लेकर कांड संख्या 98/2023 दर्ज किया गया था। पुलिस ने घटना का अनुसंधान कर दो बार चार्ज शीट दायर की। इसमें आवेदक का नाम नहीं आया।

अचानक इस वर्ष फरवरी में बाढ़ के अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में पुलिस की ओर से गैर जमानतीय वारंट निर्गत करने की गुहार लगाई गई। निचली अदालत ने पुलिस के अनुरोध पर आवेदक के खिलाफ वारंट जारी कर दिया।

वरीय अधिवक्ता सिन्हा ने कोर्ट को बताया कि पुलिस दो वर्ष पूर्व की घटना में किस चरण में लल्लू मुखिया का नाम आया, उसके खिलाफ क्या सबूत मिले, इसकी विवेचना किए बिना निचली अदालत ने उसके खिलाफ फरारी इश्तेहार निर्गत करते हुए कुर्की-जब्ती की कार्रवाई कर रही है। उनका कहना था कि पुलिस ने आनन-फानन में राजनैतिक दबाव में कार्रवाई कर रही है। आवेदक राजनीति में सक्रिय हैं और स्थानीय स्तर पर लोकप्रिय हैं। इस कारण उसे झूठे केस में फंसा कर राजनीति से दूर करना चाह रहे हैं। राज्य सरकार की ओर से विशेष लोक अभियोजक अजय मिश्रा ने विरोध किया। दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद कुर्की और गिरफ्तारी पर रोक लगा दी।

अगामी विधानसभा चुनाव को लेकर इसे साजिश के तहत देखा जा रहा है. क्योंकि पिछली बार निर्दलीय चुनाव लड़े थे. इसबार जो विरोध लोग हैं वो परेशान करने की कोशिश कर रहे हैं.

लोहिया जनता दल के नेताओं का कहना है कि कुछ राजनीतिक विरोधी नहीं चाहते कि लल्लू मुखिया 2025 के विधानसभा चुनाव लड़ें। इसलिए उनके खिलाफ षड्यंत्र रचा जा रहा है। विरोधियों के मंसूबों को सफल नहीं होने देंगे।