गाय के गोबर से बनी गोकाष्ठ दिलाएगी मोक्ष, अंतिम संस्कार में किया जा रहा इस्तेमाल, लकड़ी की हो रही है बचत

अभी तक आपने गोबर से खाद, बायो गैस और उपलों के बारे में ही सुना होगा, लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा कि गोशालाओं में ही गोबर से लकड़ी की तरह गोकाष्ठ भी तैयार की जा रही है. इसका इस्तेमाल मानव के अंतिम संस्कार के लिए किया जा रहा है. हालांकि हिंदू धर्म के अनुसार अंतिम संस्कार में कई कुंतल लकड़ियां जलानी पड़ती है. लेकिन अब इसमें गोबर से बनी गोकाष्ठ का उपयोग हो रहा है. इससे पेड़ों का कटान रुकेगा और पर्यावरण भी स्वच्छ रहेगा.
पटना से 12 किमी दूर फतुहा के पास गोपीकृष्ण गौ आश्रम है। गौशाला से निकलने वाले गोबर से गो काष्ठ तैयार किया जा रहा है। इसे लोग अंतिम संस्कार के लिए ले जाते हैं। यह नि:शुल्क दिया जाता है। यहां हर महीने 600 किलो गो काष्ठ निकल रहा है। इसे बनाने के लिए पंजाब से मशीन मंगाई गई है।

गौशाला की ओर से पटना सिटी स्थित रेडक्रॉस को भी अलाव के लिए गो काष्ठ मुफ्त में दिया जाता है। साथ ही लोग जरूरत के हिसाब से गो काष्ठ ले जाते हैं। वहीं गौशाला की ओर से लोगों तक गो काष्ठ पहुंचाया भी जाता है। आज के समय में श्रीरामपुर, नरमा, मसाड़ी, मोहदीपुर के साथ आसपास के स्थानों तक गो काष्ठ उपलब्ध कराया जा रहा है। हर महीने 45 क्विंटल उपले भी तैयार किए जा रहे हैं। इसका इस्तेमाल हवन-पूजन में किया जाता है।
गौशाला के संचालक गोपाल मोदी ने बताया कि इस गौ आश्रम में अभी 31 गाय हैं। ये सभी बूढ़ी और लाचार हैं। गौशाला में किसी से कोई राशि नहीं ली जाती है। लोग स्वेच्छा से गौ आहार के लिए सहयोग करते हैं। अब तो लोग यहां आकर जन्मदिन मनाते हैं। इस मौके पर अपने वजन के बराबर आहार दान करते हैं।
श्री कृष्ण गौशाला पटना सिटी में स्थित है। इस गौशाला का निर्माण 137 साल पहले किया गया था। यहां 250 से अधिक छोटी बड़ी गाय हैं। गौशाला के उपाध्यक्ष अमर अग्रवाल ने बताया कि यहां प्रत्येक दिन 2 टन गोबर निकलता है। वर्तमान में मशीन से खाद बनाया जा रहा है। आने वाले महीनों में गोबर से गो काष्ठ तैयार किया जाएगा।
यहां से निकलने वाले गो काष्ठ पटना, पटना सिटी, फतुहा आदि स्थानों पर भेजा जाएगा। वहीं गौशाला के सचिव ईश्वर अग्रवाल ने बताया कि इस गौशाला में दूध देने वाली और नहीं देने वाली दोनों तरह की गायों को रखा गया है। साथ ही गोवंश में वृद्धि के लिए देशी नस्ल के नंदी को भी गौशाला में रखा गया।