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Danapur News: गुरु गोविंद सिंह जी की 359वीं जयंती पर हांडी साहिब गुरुद्वारा में ऐतिहासिक चित्रकला प्रदर्शनी, श्रद्धालुओं का उमड़ा सैलाब

 
दानापुर: गुरु गोविंद सिंह जी की 359वीं जयंती पर हांडी साहिब गुरुद्वारा में ऐतिहासिक चित्रकला प्रदर्शनी, श्रद्धालुओं का उमड़ा सैलाब

Danapur News: गुरु गोविंद सिंह जी महाराज की 359वीं जयंती के पावन अवसर पर दानापुर स्थित हांडी साहिब गुरुद्वारा परिसर में आध्यात्मिक वातावरण उस समय और भी जीवंत हो उठा, जब प्रख्यात चित्रकार राजेश कुमार शर्मा उर्फ राजेश पिकाशो द्वारा ऐतिहासिक चित्रकला प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। यह प्रदर्शनी 25 दिसंबर से 27 दिसंबर तक चलेगी, जिसमें गुरु परंपरा, त्याग और शौर्य की अद्भुत झलक देखने को मिल रही है।

प्रदर्शनी के पहले दर्शक हांडी साहिब गुरुद्वारा के प्रमुख मनमोहन सिंह रहे। इस अवसर पर गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के सभी सदस्य भी मौजूद थे। गुरुद्वारा प्रमुख ने चित्रकार राजेश पिकाशो को सिरोपा भेंट कर सम्मानित किया और उनके कला-साधना की सराहना की।

गुरु जीवन गाथा को चित्रों में जीवंत किया

प्रदर्शनी में लगाए गए सभी चित्र गुरु गोविंद सिंह जी महाराज और गुरु तेग बहादुर जी महाराज के जीवन पर आधारित हैं। चित्रों के माध्यम से गुरु गोविंद सिंह जी के बाल्यकाल से लेकर उनके संघर्ष, बलिदान और आध्यात्मिक विरासत को अत्यंत सजीव ढंग से प्रस्तुत किया गया है।

चित्रकला के माध्यम से गायघाट गुरुद्वारा के इतिहास को भी दर्शाया गया है। कलाकार ने यह बताया है कि गायघाट गुरुद्वारा का नाम कैसे पड़ा। खिड़की साहिब, जहां से गुरु तेग बहादुर जी महाराज ने सूक्ष्म रूप धारण कर प्रवेश किया था, थम साहिब जिसे गुरु जी ने पूजा के योग्य माना था, हरसिंगार का वृक्ष, माता की चक्की—इन सभी ऐतिहासिक स्थलों को चित्रों में बारीकी से उकेरा गया है।

साहिबज़ादों के बलिदान का मार्मिक चित्रण

एक विशेष चित्र में कलाकार ने वह हृदयविदारक प्रसंग दर्शाया है, जब युद्ध के दौरान गुरु गोविंद सिंह जी महाराज अपने परिवार से बिछड़ गए थे। माता गुजरी देवी द्वारा रसोईया गंगू के यहां शरण लेना, गंगू द्वारा विश्वासघात, साहिबज़ादे फतेह सिंह और साहिबज़ादे जोरावर सिंह को दीवार में चुनवाया जाना तथा माता गुजरी देवी का ठंडा बुर्ज में प्राण त्याग देना—इन सभी घटनाओं को चित्रों के माध्यम से अत्यंत मार्मिक रूप में प्रस्तुत किया गया है।

हांडी साहिब और पटना साहिब का सजीव चित्रण

प्रदर्शनी में हांडी साहिब गुरुद्वारा का जीवंत चित्रण भी आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। चित्रों में यह दर्शाया गया है कि कैसे गुरु जी ने हांडी से खिचड़ी परोसी और संगत को परोसने के बाद भी हांडी खाली नहीं हुई। गुरु जी के चरण चिह्नों को भी दर्शनार्थ चित्रों में दिखाया गया है।

इसके अलावा गुरु का बाग, गुरु जी का कुआं, कमंडल और आसनी को भी कला के माध्यम से उकेरा गया है। एक अन्य चित्र में पटना साहिब गुरुद्वारा में सुरक्षित दर्शनार्थ वस्तुओं को दर्शाया गया है, जिनमें गुरु गोविंद सिंह जी का चोला, गुलेल और उसकी गोलियां, गुरु जी की खड़ाऊं, माता गुजरी देवी का कुआं, नीम का वह वृक्ष जिसमें दातुन गाड़ने से पेड़ उग आया—इन सभी को अत्यंत सूक्ष्मता से चित्रित किया गया है।

श्रद्धालुओं में गहरी आस्था और भावुकता

गुरु तेग बहादुर जी महाराज के घोड़े को हरसिंगार वृक्ष से बांधते हुए चित्र को श्रद्धालु विशेष रूप से सराह रहे हैं। चित्रों के समक्ष श्रद्धालु नतमस्तक हो रहे हैं और स्मृति के रूप में तस्वीरें भी ले रहे हैं।

तीन दिवसीय यह चित्रकला प्रदर्शनी श्रद्धालुओं और आमजन के लिए आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। लोगों ने कलाकार की इस अनूठी कला को खुले दिल से सराहा और कहा कि चित्रों के माध्यम से गुरु गोविंद सिंह जी महाराज का जीवन साक्षात सामने आ गया है।

राजेश कुमार शर्मा अपनी आधुनिक चित्रकला शैली के माध्यम से समकालीन कला को नया आयाम दे रहे हैं। प्रदर्शनी देखने पहुंचे दर्शक भावविभोर नजर आए और कलाकार के उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हुए उन्हें शुभकामनाएं दीं।