कुत्ते के नाम बना प्रमाण पत्र, दिल्ली की महिला के डॉक्यूमेंट का हुआ गलत इस्तेमाल, डीएम ने दिए FIR और जांच के आदेश
बिहार की राजधानी पटना से एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने सरकारी सिस्टम की साख को हिला कर रख दिया है। मसौढ़ी अंचल कार्यालय ने एक कुत्ते के नाम पर आवास प्रमाण पत्र जारी कर दिया!
इस प्रमाण पत्र में नाम लिखा था "डॉग बाबू", पिता का नाम "कुत्ता बाबू", और मां का नाम "कुटिया बाबू"। पता दर्ज था-काउलीचक, वार्ड नंबर 15, नगर परिषद मसौढ़ी।
इस ‘फर्जी दस्तावेज’ पर मसौढ़ी के राजस्व पदाधिकारी मुरारी चौहान का डिजिटल सिग्नेचर भी मौजूद था।
क्या है पूरा मामला?
यह प्रमाण-पत्र 24 जुलाई 2025 को जारी किया गया था और जब इसे RTPS पोर्टल पर चेक किया गया, तो पता चला कि यह प्रमाण पत्र संख्या एक दिल्ली की महिला के असली दस्तावेजों से जुड़ी हुई है। मतलब यह सिर्फ मज़ाक नहीं, बल्कि सरकारी डाटा और पोर्टल के साथ गंभीर छेड़छाड़ का मामला है।
जैसे ही ये मामला वायरल हुआ, स्वराज इंडिया के नेता योगेंद्र यादव ने सोशल मीडिया पर इसका प्रमाण-पत्र शेयर करते हुए लिखा, अपनी आंखों से देख लीजिए! बिहार में अब कुत्तों को भी सरकारी पहचान मिल रही है, और इंसानों की पहचान को फर्जी बताया जा रहा है!
जिलाधिकारी ने तुरंत लिया संज्ञान
पटना के जिलाधिकारी त्यागराजन एसएम ने सोमवार सुबह एक बयान जारी करते हुए कहा कि यह मामला सामने आते ही
- प्रमाण पत्र रद्द कर दिया गया है।
- आवेदक, कंप्यूटर ऑपरेटर और प्रमाण-पत्र जारी करने वाले अधिकारी पर FIR दर्ज की जा रही है।
- मसौढ़ी के एसडीओ को इस मामले की पूरी जांच कर 24 घंटे में रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है।
- दोषी पाए जाने पर संबंधित कर्मचारियों के खिलाफ विभागीय और अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
क्यों है ये मामला बेहद गंभीर?
यह सिर्फ एक मज़ाक नहीं है। यह मामला दिखाता है कि:
- सरकारी पोर्टल कितने असुरक्षित हैं
- सिस्टम में बैठा कोई इसे मज़ाक बना सकता है
- किसी के असली दस्तावेजों का गलत इस्तेमाल कर सकता है
अब सवाल उठता है, अगर एक "डॉग बाबू" को सरकारी प्रमाण-पत्र मिल सकता है, तो आम जनता को असली दस्तावेज मिलने में इतनी मशक्कत क्यों करनी पड़ती है?
यह मामला न केवल हास्यास्पद है, बल्कि सिस्टम की गहराई में छुपी गड़बड़ियों को उजागर करता है। क्या अब सिस्टम खुद को सुधार पाएगा या 'डॉग बाबू' जैसे और किस्से सामने आएंगे?







