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सर्विस रिवॉल्वर से गोली चलाना DSP को पड़ा महंगा, पटना हाईकोर्ट का DGP को आदेश, अरेस्ट करें..

 

पटना हाईकोर्ट ने हत्या के आरोपी एक पुलिस डीएसपी और उसके कांस्टेबल की गिरफ्तारी में हो रही देरी पर नाराजगी जताई है. जस्टिस संदीप कुमार ने सुनवाई के दौरान बिहार के डीजीपी से एक सप्ताह में सासाराम गोलीकांड में की गई कार्रवाई की रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है. जस्टिस संदीप कुमार ने यह आदेश तब दिया, जब यह बात सामने आई कि पुलिस अफसरों के खिलाफ कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं.

यह मामला सासाराम के टाउन थाना क्षेत्र का है, जहां 27 दिसंबर 2024 की रात को ट्रैफिक डीएसपी आदिल बिलाल और उनके बॉडीगार्ड चंद्रमौली नागिया ने अपने सर्विस रिवॉल्वर से निर्दोष युवकों पर गोलीबारी की थी. घटना के दौरान एक युवक की मौत हो गई, जबकि चार अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए थे.

बताया जाता है कि 27 दिसंबर, 2024 की रात को सुधीर, अतुल, विकास, अनिकेत विनोद और राणा ओम प्रकाश अपने दोस्त शिवम सिंह की जन्मदिन पार्टी मना रहे थे. करीब रात 9 बजे सासाराम के तत्कालीन ट्रैफिक डीएसपी आदिल बिलाल और उसके बॉडीगार्ड चंद्रमौली नागिया आकर इन युवकों के साथ बकझक करने लगे. युवकों की उस दौरान आरोपी पुलिस अधिकारियों से मामूली बहस हो गई थी, जिसने बाद में हिंसक रूप ले लिया था.

जस्टिस संदीप कुमार ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस अधिकारियों के खिलाफ उठाए गए कदमों पर सवाल खड़े किए. उन्होंने पूछा कि क्या इस देश में कानून सबके लिए समान है, या फिर पुलिस अधिकारी होने के कारण कुछ खास वर्ग को बचाया जा रहा है? कोर्ट ने यह भी जानना चाहा कि हत्या जैसे जघन्य अपराध में आरोपी पुलिस अफसरों को गिरफ्तारी से क्यों बचाया जा रहा है.

 याचिकाकर्ता राणा राहुल सिंह के वकील संजय कुमार सिंह ने कोर्ट को बताया कि यह हत्याकांड सार्वजनिक स्थान पर हुआ था और इसके बावजूद पुलिस ने निष्पक्ष तरीके से जांच नहीं की. मामले में कोई ठोस कार्रवाई न होने के कारण सरकार ने इसे अपराध अनुसंधान विभाग (सीआईडी) को सौंप दिया है. हालांकि चार महीने बीतने के बावजूद पुलिस मामले में कोई प्रगति नहीं दिखा पाई है.

पटना हाईकोर्ट ने इस मामले पर अगली सुनवाई 5 मई, 2025 को निर्धारित कर दी है. इस सुनवाई में कोर्ट पुलिस की कार्रवाई की समीक्षा करेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि आरोपियों के खिलाफ उचित कदम अबतक उठाए गए हैं या नहीं.