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राहत की मांग को लेकर बाढ़ पीड़ितों ने रोक दी ट्रेन, सहरसा-लहेरियासराय रूट डेढ़ घंटे तक बाधित

 

कोसी बराज से पानी का डिस्चार्ज भले बहुत कम हो गया हो पर सुपौल समेत कई जिलों में बाढ़ की विभीषिका अभी भी बरकरार है। जो पानी नेपाल से निकलकर कोसी क्षेत्र के जिलों में फैल चुका है वह तबाही मचा रहा है। प्रशासन की ओर से राहत बचाव कार्य का दाव किया जा रहा है पर लोग इससे संतुष्ट नहीं हैं। यही वजह कि भूख से बिलबिलाते और अन्य परेशानियों का कामना कर रहे बाढ़ पीड़ित उग्र हो रहे हैं। सोमवार की सुबह बाढ़ पीड़ित रेलवे लाइन पर उतर गए और ट्रेन को रोक दिया। इस वजह से सहरसा-लहेरियासराय रेलखंड पर ट्रेनों का परिचान करीब डेढ़ घंटे तक बाधित रहा। सहरसा से फारबिसगंज जा रही डेमू ट्रेन(05516) को बाढ़ पीड़ितों ने सुपौल जिले के थरबिटिया-सरायगढ़ के बीच रोककर दिया और राहत की मांग करते हुए प्रदर्शन करना शुरू कर दिया।

इस प्रदर्शन की वजह से लहेरियासराय से सहरसा आ रही डेमू ट्रेन को झंझारपुर तरफ ही रोक दिया गया। यह ट्रेन करीब आधा घंटा प्रभावित हुई। सूचना मिलने पर सुरक्षा बलों की टीम मौके पर पहुंची प्रदर्शन कर रहे लोगों को समझाया। ट्रैक क्लियर होने के बाद इस ट्रेन को चलाया गया। विलंब से आने के कारण अब यह ट्रेन वापसी में सहरसा से भी लेट खुलेगी। अन्य ट्रेनों के प्रभावित होने की भी बात बताई जा रही है।

बताया जा रहा है कि बाढ़ पीड़ित सुपौल के जिला प्रशासन पर सरकारी मदद नहीं देने का आरोप लगाते प्रदर्शन कर रहे थे। प्रदर्शनकारियों के द्वारा ट्रेन को सुबह साढ़े सात बजे ही रोक दिया गया। वे प्रशासन के अधिकारियों को मौके पर ही बुलाने लगे। रेलवे और जिला प्रशासन के अधिकारी मौके पर पहुंचे। उनके काफी समझाने बुझाने के बाद 9 बजे ट्रैक क्लियर हुआ। ट्रैक क्लियर कराने में रेल एडीईएन किशोर कुमार भारती, पीडब्लूआई सुभाष कुमार सहित अन्य थे। उसके बाद ट्रेनों का परिचालन सुचारु हो पाया।

बताते चलें कि पड़ोसी देश नेपाल में भारी बारिश की वजह से बिहार के 16 जिलों में बाढ़ तबाही मचा रहा है। करीब चार लाख की आबादी बाढ़ की चपेट में है। कोसी, गंडक, बागमती, महानंदा समेत कई नदियां उफान पर है। हजारों एकड़ में लगी फसलें बर्बाद हो गई हैं। बाढ़ पीड़ितों को सरकार और अन्य संस्थाओं या संगठनों से राहत का इंतजार है।