मालगाड़ी हादसे से थमी रफ्तार, लेट ट्रेनों पर यात्रियों का सवाल—क्या मिलेगा पूरा टिकट रिफंड? जानिए रेलवे का नियम
Bihar news: झारखंड के जसीडीह–झाझा रेलखंड पर शनिवार देर रात हुए बड़े रेल हादसे ने यात्रियों की मुश्किलें बढ़ा दीं। मालगाड़ी के कई डिब्बे पटरी से उतर जाने के कारण रेल पटरियां बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गईं, जिससे इस व्यस्त रूट से गुजरने वाली कई यात्री ट्रेनें घंटों देरी से चलीं। देर रात से लेकर रविवार तक सैकड़ों यात्रियों को स्टेशनों पर इंतजार करना पड़ा, वहीं कई लोग समय पर अपने गंतव्य तक नहीं पहुंच सके।
हादसे के बाद जैसे ही ट्रेनों की लेटलतीफी बढ़ी, सोशल मीडिया पर एक सवाल तेजी से वायरल होने लगा—अगर ट्रेन तय समय से काफी देर से चले, तो क्या यात्रियों को टिकट का पूरा पैसा वापस मिलता है?
इस सवाल पर रेल मामलों के जानकार और अधिवक्ता अरविंद शर्मा याजी ने रेलवे के नियमों का हवाला देते हुए स्थिति साफ की।
3 घंटे से ज्यादा लेट ट्रेन, तो मिलेगा पूरा रिफंड?
रेलवे नियमों के मुताबिक, अगर कोई ट्रेन अपने निर्धारित समय से 3 घंटे या उससे अधिक देर से चलती है और यात्री यात्रा न करने का फैसला करता है, तो वह 100 प्रतिशत टिकट रिफंड का हकदार होता है। यह नियम सामान्य टिकट, तत्काल और प्रीमियम तत्काल—तीनों पर लागू होता है।
हालांकि, इसके लिए शर्तें भी तय हैं।
- ट्रेन में सवार होने से पहले यात्री को TDR (Ticket Deposit Receipt) फाइल करनी होगी।
- अगर यात्री लेट ट्रेन में यात्रा कर लेता है, तो रिफंड का दावा मान्य नहीं होगा।
- समय-सीमा के भीतर TDR फाइल न करने पर भी रिफंड नहीं मिलेगा।
- 3 घंटे से कम देरी होने पर रिफंड का कोई प्रावधान नहीं है।
TDR क्या है और कैसे करें?
TDR यानी टिकट डिपॉजिट रसीद, जिसे यात्री IRCTC की वेबसाइट या रेलवे स्टेशन पर फाइल कर सकते हैं। ट्रेन लेट होने पर यात्रा रद्द करने से पहले TDR दर्ज करना जरूरी होता है। आमतौर पर TDR फाइल करने के 5 से 7 कार्यदिवस के भीतर रिफंड की राशि यात्री के खाते में वापस आ जाती है।
फिलहाल जसीडीह–झाझा रेलखंड पर बहाली का काम जारी है और रेलवे हालात सामान्य करने में जुटा है। वहीं यात्रियों के लिए यह जानना जरूरी है कि देरी की स्थिति में उनके अधिकार क्या हैं, ताकि परेशानी के बीच सही फैसला लिया जा सके।







