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गया: स्वामी राघवेंद्रचार्य का त्रिदंडी आयुर्वेद महाविद्यालय एवं चिकित्सालय में तीन दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन

 
गया में वजीरगंज प्रखंड के ग्राम करजरा स्थित स्वामी राघवेंद्राचार्य त्रिदंडी आयुर्वेद महाविद्यालय एवं चिकित्सालय में राष्ट्रीय आयुर्वेद विद्यापीठ नई दिल्ली के मार्गदर्शन में तीन दिवसीय राष्ट्रीय आयुर्वेद संभाषा परिषद द्वारा आयुर्वेद पर राष्ट्रीय सेमिनार का शुभारंभ हुआ । जिसमें पहले दिन राष्ट्रीय सेमिनार का उद्घाटन बतौर मुख्य अतिथि बिहार के राज्यपाल डॉ आरिफ मोहम्मद खान, विशिष्ट अतिथि भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर के कुलपति प्रो दिनेश चंद्र राय एवं परम पूज्य श्री लक्ष्मी प्रपन्न जियर स्वामी जी महाराज, कॉलेज के सचिव जगदगुरु रामानुजाचार्य स्वामी वेंकटेश प्रपन्नाचार्य जी महाराज, शासी निकाय के सचिव डॉ कौशलेंद्र प्रताप ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया। महाविद्यालय की छात्राओं ने स्वागत गान प्रस्तुत कर अतिथियों का वंदन और अभिनंदन किया। इसके पश्चात महाविद्यालय परिवार की ओर से सचिव वेंकटेश प्रपन्नाचार्य जी ने राज्यपाल को अंग वस्त्र, औषधीय पौधा, भगवान राम का प्रतीक चिन्ह एवं अभिनंदन पत्र भेंट कर सारस्वतपूर्वक सम्मानित किया।
स्वागत भाषण प्रस्तुत करते हुए सचिव वेंकटेश प्रपन्नाचार्य जी ने कॉलेज के शैक्षणिक उपलब्धियों की चर्चा करते हुए कहा कि सन 1978 में मरीजों के इलाज के लिए स्वामी राधवेंद्रचार्य जी ने चिकित्सालय की नींव रखी थी। उनके ही परिकल्पना से आज यह महाविद्यालय बटवृक्ष के रूप में अब तक आयुर्वेद चिकित्सा के क्षेत्र में नित दिन नई कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। 1 वर्ष में 30,000 से अधिक ओपीडी की चिकित्साएं दी गई।हमारा महाविद्यालय दक्षिण बिहार के आयुर्वेद कॉलेजों में प्रथम स्थान रखता है। आने वाले समय में आप सबों के सहयोग से जल्द ही गया में 200 शैय्या वाले आयुर्वेद अस्पताल के निर्माण की आधारशिला रखी जाएगी।
विशिष्ट अतिथि परम पूज्य श्री लक्ष्मी प्रपन्न जीयर स्वामी जी महाराज ने आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति को भारतीय चिकित्सा विज्ञान का महत्वपूर्ण अंग बताते हुए कहा कि सृष्टि के आरंभ काल से अब तक आयुर्वेद चिकित्सा का एक अलग महत्व है। आयुर्वेद चिकित्सा को हम अलग करके आधुनिक चिकित्सा विज्ञान को सफल नहीं मान सकते। उन्होंने कहा कि संस्कृत और संस्कृति की रक्षा के लिए आयुर्वेद का होना जरूरी है। संस्कार, संस्कृति और नैतिकता के साथ कर्तव्य का पाठ आयुर्वेद के द्वारा ही पढ़ाया जाता है। जब तक पंचभौतिक शरीर है तब तक मनुष्य कहलाने के अधिकारी हैं। आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति भले ही आज के आधुनिक चिकित्सा विज्ञान से कुछ अलग है लेकिन फिर भी इसकी महत्ता में कोई कमी नहीं आई है। स्वस्थ जीवन जीने के लिए लोग आज वैज्ञानिक युग में भी आयुर्वेद का सहारा ले रहे हैं। 
भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय मुजफ्फरपुर के कुलपति दिनेश चंद्र राय ने विद्यार्थियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि ऋषि मुनियों के द्वारा आयुर्वेद को खान-पान से जोड़ दिया गया है। आज डेयरी साइंस एंड फूड टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में आगे बढ़ रहे हैं लेकिन हमारे प्रकृति में कई औषधीय वाले पौधे हैं जिन्हें अपना कर हम स्वस्थ जीवन जी सकते हैं। 
मुख्य अतिथि राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि हमें इस पुनीत भूमि पर आकर बड़े ही गौरव की अनुभूति हो रही है। स्वामी राधवेंद्रचार्य जी ने परोपकार के साथ मानव सेवा को लक्ष्य मानकर आयुर्वेद कॉलेज की परिकल्पना रखी थी जो आज हम सबों के लिए प्रेरणा का एक स्रोत है। आयुर्वेद के क्षेत्र में हमारे विद्यार्थी आगे भविष्य में करियर बनाएंगे। विद्यार्थियों से कहा कि पूरे लगन और परिश्रम के साथ मेहनत कर आयुर्वेद चिकित्सा के क्षेत्र में उपलब्धियां प्राप्त करें। राज्यपाल ने कहा कि जैसे इंसान की नियत होती है वैसा ही फल मिलता है। विद्यार्थी ज्ञान प्राप्त कर करुणा और सेवा का भाव पैदा करें। आयुर्वेदिक चिकित्सा के क्षेत्र में कार्य कर मानव सेवा ही उनका परम लक्ष्य होना चाहिए। हमारे देश की संस्कृति, विरासत और परंपरा आपके कंधों पर ही है। हमें आत्मज्ञान के द्वारा मानव सेवा को लक्ष्य मानकर कार्य करना चाहिए। जब शरीर स्वस्थ होगा तभी आत्मज्ञान की प्राप्ति संभव हो पाएगी। इसके लिए आयुर्वेद का सहारा लेना बहुत जरूरी है।संवेदनशीलता और सेवा का भाव दशरथ मांझी में भी थे। राघवेंद्राचार्य जी ने परमार्थ सेवा में महाविद्यालय की स्थापना की। उन्होंने कहा कि भारत का जितना ज्ञान है उसका मर्म श्रीमद् भागवत गीता में है। गीता का अनुसरण कर व्यक्ति अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकता हैं।
इस अवसर पर समाजसेवी उषा डालमिया, शासी निकाय के सचिव डॉ कौशलेंद्र प्रताप,डॉ अनूप कुमार केडिया,महाविद्यालय के प्राचार्य राजीव लोचन दास, प्रो सिद्धनाथ करण, प्रो सत्येंद्र प्रसाद सिंह, वशिष्ठ पांडेय, मगध विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो कुसुम कुमारी, प्रशासक राय मदन किशोर,अंशुमन नागेन अधिवक्ता, मणिलाल बारिक, धर्मेंद्र सिंह टिब्लू, सहित बड़ी संख्या में महाविद्यालय के शिक्षक एवं शिक्षकेतर कर्मचारी, आयुर्वेदाचार्य एवं कॉलेज के छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।
अंत में धन्यवाद ज्ञापन वेंकटेश प्रपन्नाचार्य एवं मंच का संचालन शासी निकाय के सदस्य डॉ अनूप केडिया ने किया।