पटना में लघुकथा का महाकुंभ: 30वां अखिल भारतीय प्रगतिशील लघुकथा सम्मेलन संपन्न, देशभर के साहित्यकार हुए शामिल
Bihar news: अखिल भारतीय प्रगतिशील लघुकथा-मंच के बहुप्रतीक्षित 30वें दो दिवसीय लघुकथा सम्मेलन का आयोजन शनिवार को किलकारी बिहार बाल-भवन सभागार में सौहार्दपूर्ण और साहित्यिक वातावरण में संपन्न हुआ। सम्मेलन का केंद्रबिंदु लघुकथा के विविध आयाम, उसकी प्रासंगिकता और समकालीन साहित्य में उसकी भूमिका रही।
सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में बिहार विधान परिषद के उपसभापति प्रो. रामवचन राय ने कहा कि लघुकथा भी कहानी और उपन्यास की तरह ही साहित्य का महत्वपूर्ण दायित्व निभाती है। उन्होंने लघुकथा की तुलना नैनो साइंस से करते हुए कहा कि इसमें कम शब्दों में गहरी बात कहने की क्षमता होती है और यही इसे समय की जरूरत बनाती है।
मुख्य अतिथि बिहार विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष नंदकिशोर यादव ने कहा कि कम शब्दों में प्रभावशाली अभिव्यक्ति आसान काम नहीं है, लेकिन लघुकथा इस चुनौती को सफलतापूर्वक निभा रही है। आज जब लोगों के पास लंबी रचनाएं पढ़ने का समय नहीं है, तब लघुकथा तेजी से लोकप्रिय हो रही है।
मंच के महासचिव और वरिष्ठ लघुकथाकार डॉ. ध्रुव कुमार ने अपने स्वागत वक्तव्य में बताया कि वर्ष 1987 में दिवंगत साहित्यकार डॉ. सतीशराज पुष्करणा ने पटना से लघुकथा आंदोलन की शुरुआत की थी और इसे कहानी विधा से अलग एक स्वतंत्र साहित्यिक पहचान दिलाई।
पटना की मेयर सीता साहू ने कहा कि लघुकथा संवेदनाओं की गहराई को छूती है और पाठक के भीतर सवाल खड़े करती है। वहीं पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. अबू बकर रिजवी ने सम्मेलन को साहित्यकारों का संगम बताते हुए इसकी सफलता के लिए आयोजकों को बधाई दी।
देश के कई राज्यों से पहुंचे सैकड़ों लघुकथाकारों की उपस्थिति में सम्मेलन का उद्घाटन संयुक्त रूप से प्रो. रामवचन राय, नंदकिशोर यादव, प्रो. अबू बकर रिजवी, प्रो. शिवनारायण और किलकारी के निदेशक ज्योति परिहार ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। सम्मेलन की अध्यक्षता अखिल भारतीय प्रगतिशील लघुकथा-मंच के अध्यक्ष डॉ. रामदुलार सिंह ‘पराया’ ने की।
इस अवसर पर डॉ. ध्रुव कुमार के संपादन में प्रकाशित डॉ. सतीशराज पुष्करणा के कृतित्व पर आधारित पुस्तक सहित आधा दर्जन से अधिक पुस्तकों का लोकार्पण किया गया। साथ ही लघुकथा विषयक पुस्तकों और पोस्टरों की प्रदर्शनी भी आकर्षण का केंद्र रही।
सम्मेलन में लघुकथा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए कई साहित्यकारों को सम्मानित किया गया। वरिष्ठ लघुकथाकार बलराम को डॉ. सतीशराज पुष्करणा लघुकथा शिखर सम्मान, डॉ. आशा पुष्प को लघुकथा समालोचना सम्मान, सुमन कुमार को युवा सम्मान और अनुराग कुमार को नवांकुर सम्मान प्रदान किया गया।
सम्मेलन के दौरान ‘75 के बलराम’ विषय पर विशेष सत्र आयोजित हुआ, जिसमें देश के प्रख्यात विद्वानों ने उनके लघुकथा-कर्म और व्यक्तित्व पर विस्तार से प्रकाश डाला।
दो दिवसीय सम्मेलन में बिहार के साथ-साथ दिल्ली, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड और हरियाणा समेत कई राज्यों से आए 100 से अधिक लघुकथाकारों ने शिरकत की। अंतिम सत्र में प्रतिभागी साहित्यकारों ने अपनी-अपनी लघुकथाओं का पाठ किया, जिससे पूरा सभागार साहित्यिक ऊर्जा से सराबोर नजर आया।







