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खगड़िया में लोजपा बिखरी, जिलाध्यक्ष समेत सौ कार्यकर्ता पारस गुट में शामिल

 
Chirag paswan

Patna: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले लोजपा (रामविलास) को बड़ा झटका लगा है। पार्टी के वरिष्ठ नेता और कार्यकर्ता बड़ी तादाद में पार्टी छोड़कर पशुपति कुमार पारस की राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (रालोजपा) में शामिल हो गए हैं।


खगड़िया जिले के जिलाध्यक्ष, प्रदेश सचिव, युवा जिलाध्यक्ष, सातों प्रखंड अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और कुल मिलाकर 38 नेताओं ने पार्टी से इस्तीफा देकर रालोजपा का दामन थाम लिया है। साथ ही करीब 100 कार्यकर्ताओं ने भी पारस गुट की सदस्यता ली है। इस मौके पर रालोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पशुपति पारस, राष्ट्रीय प्रवक्ता सरवन अग्रवाल और प्रदेश महासचिव मौजूद रहे।

राजेश वर्मा के व्यवहार से नाराज़ थे नेता

लोजपा (रा) छोड़ने वाले नेताओं का कहना है कि सांसद राजेश वर्मा का व्यवहार लंबे समय से अपमानजनक और असहयोगात्मक रहा है।

पूर्व जिलाध्यक्ष शिवराज यादव ने आरोप लगाया कि सांसद कार्यकर्ताओं को “कौड़ी भर का भी नहीं समझते” और अक्सर गाली-गलौज तक करते हैं। उन्होंने कहा, हम जब भी राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान से बात करना चाहते थे, हमें रोक दिया गया। अब हम पत्र लिखकर अपनी स्थिति साफ करेंगे, लेकिन फैसला हो चुका है हमने इस्तीफा दे दिया है।

20 साल की सेवा के बाद भी नहीं मिला सम्मान: रतन पासवान

प्रदेश महासचिव रतन पासवान ने कहा कि वे और कई अन्य नेता बीते 20 वर्षों से पार्टी से जुड़े रहे हैं। उन्होंने पार्टी के युवा मोर्चा और संगठन में कई जिम्मेदारियां निभाईं, लेकिन राजेश वर्मा के आने के बाद स्थिति बदल गई। उन्होंने बताया कि पार्टी की मजबूती के लिए दिन-रात मेहनत करने के बावजूद उन्हें और अन्य कार्यकर्ताओं को शो कॉज नोटिस भेजा गया।

ऐसा लगता है मानो अब पार्टी में मेहनत की नहीं, चापलूसी की कद्र है,” उन्होंने तीखे शब्दों में कहा।

जिलाध्यक्ष बदला, विवाद बढ़ा

बुधवार को अचानक लोजपा (रा) के जिलाध्यक्ष पद से शिवराज यादव को हटा दिया गया और मनीष कुमार को नया अध्यक्ष बनाया गया। इसी को लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज हो गई कि क्या जिलाध्यक्ष बदलने की जल्दबाज़ी पार्टी में बढ़ते असंतोष का नतीजा थी?

क्या इस टूट से बदल जाएगा खगड़िया का चुनाव समीकरण?

एक साथ दर्जनों बड़े नेताओं और कार्यकर्ताओं का पार्टी छोड़ना लोजपा (रा) के लिए न सिर्फ झटका है, बल्कि खगड़िया सीट पर समीकरण भी बदल सकता है।

अब सबकी नजर इस बात पर है कि चिराग पासवान इस विद्रोह का सामना कैसे करेंगे और क्या वो अपनी पार्टी को टूट से बचा पाएंगे?