पटना हाईकोर्ट में जस्टिस सुधीर सिंह की वापसी, अब न्याय को मिलेगी नई धार
Patna: पटना हाईकोर्ट की न्यायिक बेंच में एक अनुभवी और परिचित चेहरा एक बार फिर लौटा है। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट से स्थानांतरित होकर जस्टिस सुधीर सिंह ने शनिवार को पटना हाईकोर्ट में न्यायाधीश पद की शपथ ली। चीफ जस्टिस वी.एम. पंचोली की मौजूदगी में उन्होंने पदभार संभाला। यह केवल एक औपचारिक वापसी नहीं, बल्कि एक तरह से घर वापसी है। जस्टिस सुधीर सिंह पहले भी 2015 में अस्थायी और फिर 2016 से स्थायी जज के तौर पर पटना हाईकोर्ट में कार्यरत रह चुके हैं। हालांकि नवंबर 2023 में उनका ट्रांसफर चंडीगढ़ हो गया था, लेकिन अब 20 जुलाई से एक बार फिर वे बिहार न्याय व्यवस्था का हिस्सा बन गए हैं।
न्याय की परंपरा से जुड़ी विरासत
जस्टिस सुधीर सिंह का नाता कानून और न्याय से सिर्फ उनके प्रोफेशन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह उनके परिवार की विरासत भी है। उनके पिता, जस्टिस एन.पी. सिंह, देश की सबसे ऊंची अदालत सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश रह चुके हैं। यानी उनके भीतर न्याय की समझ न केवल शिक्षा और अनुभव से, बल्कि पारिवारिक माहौल और मूल्यों से भी आकार पाई है।
रांची से पटना तक की शैक्षणिक यात्रा
उनकी शिक्षा रांची के विकास विद्यालय से शुरू हुई और फिर पटना विश्वविद्यालय में उन्होंने राजनीति शास्त्र में स्नातक किया। इसके बाद वहीं से कानून की पढ़ाई पूरी कर वर्ष 1991 में वकालत की शुरुआत की। उन्होंने केंद्र सरकार और भारतीय रेलवे के लिए अधिवक्ता के रूप में काम किया, जिससे उनकी सोच में कानूनी के साथ-साथ प्रशासनिक और तकनीकी पक्ष की भी गहरी समझ विकसित हुई।
सीनियर मोस्ट जज के रूप में क्या होंगे उनके मायने?
पटना हाईकोर्ट में जस्टिस सुधीर सिंह अब सीनियर मोस्ट जज की भूमिका में होंगे। इसका मतलब है कि न्यायिक फैसलों में उनकी राय निर्णायक हो सकती है, खासकर संवेदनशील और महत्वपूर्ण मामलों में। उम्मीद की जा रही है कि उनके अनुभव से न केवल फैसलों में गहराई आएगी, बल्कि सुनवाई की गति भी बढ़ेगी, और निष्पक्षता को एक नया आयाम मिलेगा।
न्याय का यह दीपक अब फिर से बिहार में रोशन
आपको बता दें कि बिहार के न्यायिक इतिहास में ऐसे चेहरे कम ही मिलते हैं जो यहां के सिस्टम को अंदर से जानते हों, बाहर का अनुभव भी रखते हों और परिवार से भी न्याय की विरासत लेकर आए हों। जस्टिस सुधीर सिंह की वापसी इसलिए सिर्फ एक ट्रांसफर नहीं, बल्कि बिहार न्यायपालिका के लिए एक नई ऊर्जा की वापसी है।







