बिहार में बालू घाटों की नई व्यवस्था: अब छोटे टुकड़ों में होगी नीलामी, अवैध खनन पर नकेल कसने की तैयारी
Patna: बिहार में अवैध बालू खनन लंबे समय से सरकार के लिए सिरदर्द बना हुआ है। एक तरफ़ राजस्व का भारी नुकसान हो रहा है, दूसरी तरफ़ पर्यावरण और कानून-व्यवस्था भी इससे प्रभावित हो रही है। अब इस पर लगाम लगाने के लिए नीतीश सरकार ने एक नया तरीका अपनाया है। डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा, जो खान एवं भूतत्व मंत्री भी हैं, ने साफ़ कर दिया है कि अब से बालू घाटों की नीलामी बड़े-बड़े हिस्सों में नहीं, बल्कि छोटे-छोटे टुकड़ों में की जाएगी।
बड़ी वजह: खाली घाट और बढ़ता अवैध खनन
राज्य में फिलहाल 147 बालू घाट ऐसे हैं, जिनकी नीलामी किसी न किसी वजह से लंबित या रद्द हो चुकी है। ऐसे घाटों पर न तो वैध खनन हो रहा है और न ही सरकार को कोई कमाई हो रही है। उलटा, इन जगहों पर अवैध खनन जोर पकड़ रहा है, जिससे न सिर्फ खजाने को नुकसान हो रहा है बल्कि स्थानीय हालात भी बिगड़ते जा रहे हैं। डिप्टी सीएम का साफ़ कहना है, "जब कोई ठेकेदार दो घाट भी सही से नहीं चला पा रहा, तो तीन-चार घाट लेकर क्या करेगा? अब घाटों की नीलामी इस तरह होगी कि स्थानीय लोग भी इसमें हिस्सा ले सकें और घाटों का संचालन शुरू हो सके।"
इन जिलों में हालात सबसे खराब
बिहार के कई जिलों में घाटों की नीलामी अधर में लटकी हुई है। कुछ उदाहरण:
- जमुई: 45 में से 6 घाट सरेंडर
- औरंगाबाद: 61 घाट लंबित
- जहानाबाद: 12 घाट
- रोहतास और नालंदा: 8-8 घाट
- भोजपुर: 6 घाट
इन इलाकों में अब भी अवैध खनन बेरोकटोक चल रहा है। यही वजह है कि सरकार ने जल्द से जल्द नीलामी प्रक्रिया को नया रूप देने का फैसला लिया है।
सरेंडर करने वालों को नोटिस मिलेगा
विजय सिन्हा ने यह भी कहा है कि जो लोग पहले कई घाटों की नीलामी जीतकर बाद में उन्हें सरेंडर कर चुके हैं, उन्हें अब कारण बताओ नोटिस भेजा जाएगा। सरकार का इरादा है कि अब घाट उन्हीं लोगों को मिलें जो वास्तव में संचालन कर सकते हैं।
अगस्त में पूरी होगी नई नीलामी प्रक्रिया
सरकार चाहती है कि अगस्त के महीने में ही सभी लंबित और खाली घाटों की नई तरह से नीलामी पूरी हो जाए, ताकि अगले सीजन में वैध खनन शुरू हो सके। इससे:
- स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा
- सरकार को राजस्व मिलेगा
- और अवैध खनन पर लगाम लगेगी
अवैध खनन पर निगरानी और सख्ती
सरकार ने खनन विभाग को निर्देश दिए हैं कि प्रत्यर्पित घाटों पर अवैध खनन किसी हाल में न होने पाए। इसके लिए ज़िला खनन पदाधिकारी, स्थानीय पुलिस और प्रशासन को मिलकर संयुक्त कार्रवाई करनी होगी। डिप्टी सीएम ने कहा: "अब समय आ गया है कि हम नीलामी और निगरानी दोनों में बदलाव लाएं, ताकि बिहार को बालू माफियाओं से आज़ादी मिल सके।"







