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नीतीश कैबिनेट की बैठक आज, TRE-4 और कर्मचारियों के मानदेय पर बड़े फैसले संभव

 
नितीश कुमार कि बैठक

Patna: बिहार की राजनीति इस समय एक निर्णायक मोड़ पर खड़ी है। विधानसभा चुनावों में कुछ ही महीने बाकी हैं और ऐसे में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मंगलवार को जिस कैबिनेट बैठक की अध्यक्षता करने जा रहे हैं, उसे राज्य की राजनीति का “गेम चेंजर” कहा जा रहा है। इस बैठक से ऐसे कई फैसले निकल सकते हैं, जिनकी चर्चा न सिर्फ सरकारी दफ्तरों तक, बल्कि गांव-गांव और चौपालों तक होगी।

शिक्षक भर्ती में डोमिसाइल नीति

मुख्यमंत्री ने स्वतंत्रता दिवस पर जो संकेत दिए थे, अब वे ठोस निर्णय बन सकते हैं। सबसे अहम प्रस्ताव TRE-4 शिक्षक भर्ती परीक्षा में बिहार के मूल निवासियों को प्राथमिकता देने का है। यानी डोमिसाइल नीति लागू होने के बाद सिर्फ राज्य के युवा ही आवेदन कर पाएंगे।

सूत्रों के मुताबिक –
    •    2025 में TRE-4 और 2026 में TRE-5 आयोजित होंगी।
    •    उससे पहले STET परीक्षा कराई जाएगी ताकि योग्य उम्मीदवारों को मौका मिल सके।

यह कदम एक ओर स्थानीय युवाओं को नौकरी का भरोसा देगा, वहीं दूसरी ओर चुनावी साल में नीतीश सरकार के लिए बड़ा राजनीतिक सहारा साबित हो सकता है।

अनुबंधकर्मियों और योजना आधारित कर्मचारियों के लिए राहत

बैठक में उन लाखों अनुबंधकर्मियों और योजना आधारित कर्मचारियों की उम्मीदों पर भी फैसला हो सकता है, जो लंबे समय से मानदेय बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। यदि प्रस्ताव पास होता है तो यह कर्मचारियों के लिए राहत की बड़ी सौगात होगी और सरकार की जन-हितैषी छवि को मजबूत करेगा।

12 लाख सरकारी नौकरियां और 34 लाख रोजगार का लक्ष्य

नीतीश सरकार पहले ही 2025 तक 12 लाख सरकारी नौकरियों और 34 लाख रोजगार अवसर सृजित करने का लक्ष्य तय कर चुकी है। यह लक्ष्य जितना बड़ा है, उतना ही कठिन भी। लेकिन अगर कैबिनेट भर्ती प्रक्रियाओं को तेज करने का फैसला लेती है तो यह लक्ष्य कागज से निकलकर धरातल पर उतर सकता है।

पिछली कैबिनेट में भी आए थे अहम फैसले

गौर करने वाली बात यह है कि पिछली कैबिनेट बैठकों में भी सरकार ने कई बड़े निर्णय लिए थे –
    •    युवा आयोग का गठन
    •    दिव्यांगजनों के लिए प्रोत्साहन राशि
    •    महिलाओं को 35% आरक्षण

ये फैसले बताते हैं कि सरकार शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसे मुद्दों पर संतुलित तरीके से आगे बढ़ रही है।

राजनीति की नजर से देखें तो…

चुनावी माहौल में हर कदम की व्याख्या राजनीति से जुड़ी होगी। विपक्ष जहां इन फैसलों को “चुनावी सौगात” करार देगा, वहीं सत्ता पक्ष इन्हें “सुशासन” की स्वाभाविक परिणति बताएगा। पर असली सवाल जनता के सामने यही रहेगा कि क्या ये निर्णय सिर्फ कागजों तक रह जाएंगे या सचमुच उनकी जिंदगी बदलने का साधन बनेंगे?