एक नहीं, इस बार दो दिनों का होगा जितिया व्रत, जानिए माताओं को कितने घंटे रहना होगा निर्जला?
चंद्रोदय व्यापिनी और सूर्योदय व्यापिनी के कारण (जितिया) जीवित पुत्रिका व्रत को लेकर पंचांगों में एकमत नहीं है। ऐसे में तीन वर्ष बाद इस बार जितिया व्रत दो दिनों का हो गया है। मिथिला के विश्वविद्यालय पंचांग के मुताबिक, व्रती 24 सितंबर मंगलवार को व्रत रखेंगे। 25 सितंबर की शाम 5.05 बजे पारण करेंगे।
वहीं, बनारसी पंचांग के अनुसार 25 सितंबर बुधवार को जितिया व्रत कर व्रती 26 सितंबर की सुबह पारण करेंगे। ऐसे में बनारसी पंचांग के अनुसार, जितिया व्रत 24 घंटे का है और मिथिला विवि के अनुसार व्रती 35 घंटे का व्रत करेंगे।
आश्विन कृष्ण अष्टमी 24 सितंबर मंगलवार को अष्टमी तिथि शाम 6.06 बजे से आरंभ होकर 25 सितंबर बुधवार की शाम 5.05 बजे तक है। भविष्य पुराण, स्मृति ग्रंथ, निर्णय सिंधु में प्रदोष व्यापिनी अष्टमी में जीमूतवाहन भगवान की पूजा का वर्णन मिलता है।
ज्योतिष आचार्य पंडित राकेश झा ने बताया कि अलग-अलग पंचांगों के अनुसार व्रती अलग-अलग दिन व्रत करेंगे। महिलाएं पुत्रों की मंगल कामना, दीर्घ आयु, वंश वृद्धि कोे लेकर निर्जला व्रत रखेंगी। व्रत के दिन कुश से जीमूतवाहन की प्रतिमा बना कर उनकी पूजा के साथ मां दुर्गा, लक्ष्मी का पूजन करेंगे। कथा सुनने के बाद ब्राह्मण को दान दिया जाएगा।
मिथिला पंचांग के अनुसार
35 घंटे (प्रदोष काल में अष्टमी) व्रत
सरगही/ओठगन- सोमवार 23 सितंबर
जिउतिया व्रत-उपवास - मंगलवार 24 सितंबर
पारण- बुधवार 25 सितंबर की शाम 05:05 के बाद
बनारसी पंचांग के मुताबिक
24 घंटे (उद्यातिथि अष्टमी) व्रत
नहाय-खाय व सरगही - मंगलवार 24 सितंबर
जिउतिया उपवास- बुधवार 25 सितंबर
पारण- गुरुवार 26 सितंबर को सूर्योदय के बाद